Wed. Apr 24th, 2024

    मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नए प्रदेशाध्यक्ष के चयन को लेकर असमंजस के दौर से गुजर रही है। पार्टी को नए प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर ऐसे नेता की तलाश है, जिसको लेकर किसी तरह के विवाद की स्थिति न बने। इसके चलते विधानसभा सत्र के बाद तक के लिए नाम के ऐलान को टाले जाने के आसार हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव इसी माह के अंत तक होना प्रस्तावित है।

    उससे पहले मंडल अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव होना है। राज्य में 900 मंडल अध्यक्षों के चुनाव हो चुके हैं, वहीं 33 जिलाध्यक्षों के ही चुनाव हो पाए हैं। प्रदेशाध्यक्ष के लिए कई दावेदार हैं, तो कई बड़े नेता अपने समर्थक को यह जिम्मेदारी दिलाना चाहते हैं। इसी के चलते पार्टी में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

    पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा और राज्यसभा का सत्र शुक्रवार को खत्म हो चुका है। अब पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य के नेताओं से रायशुमारी कर सकते हैं। नए अध्यक्ष की कतार में वर्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह के अलावा पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, विश्वास सारंग, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा, सांसद वी. डी. शर्मा और पूर्व विधायक हेमंत खंडेलवाल हैं। दावेदारों के अध्यक्ष बनने के अपने अपने कारण हैं, मगर पार्टी ऐसे नेता को कमान सौंपना चाहती है, जिसके नाम के ऐलान के बाद विवाद की स्थिति न बने।

    दावेदारों की संगठन और संघ से नजदीकी पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि प्रभात झा, वी. डी. शर्मा और हेमंत खंडेलवाल उन नेताओं में हैं, जिनकी संगठन और संघ दोनों से नजदीकी है। वहीं वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को संगठन का संरक्षण हासिल है। इसके अलावा पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की कार्यकर्ताओं में पैठ है। भूपेंद्र सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का समर्थन हासिल है। इसके अलावा पूर्व मंत्री विश्वास सारंग की पूर्व मुख्यमंत्री चौहान और संघ से नजदीकी है।

    राज्य विधानसभा का सत्र 17 दिसंबर से शुरू होने वाला है। पार्टी इस सत्र में कमलनाथ सरकार को घेरने का मन बनाए हुए है। यही कारण है कि विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने व्हिप जारी कर दिया है। सभी विधायकों को सत्र में मौजूद रहना होगा। पिछले सत्र में भाजपा को विषम स्थिति का सामना करना पड़ा था, जब भाजपा के दो विधायकों ने क्रास वोटिंग कर दी थी। इसलिए भाजपा ने सत्र से पहले व्हिप जारी कर दिया है।

    सूत्रों का कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव की तारीख का अब तक ऐलान नहीं हुआ है। फिलहाल विधानसभा सत्र के दौरान नाम के ऐलान की संभावना भी कम है। अभी प्रदेश प्रतिनिधियों का भी चुनाव नहीं हुआ है। किसी तरह की कानूनी अड़चन से बचने के लिए अभी आवश्यक खानापूर्ति किया जाना है, इसलिए आगामी एक सप्ताह तक प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर अंतिम मुहर नहीं लग सकती है। पार्टी भी नहीं चाहती कि विधानसभा सत्र के दौरान अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर किसी तरह के विवाद को जन्म दिया जाए।

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