Fri. Mar 29th, 2024

    मध्यप्रदेश की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं अब न तो शौचालयों की गिनती करेंगी और न ही कुओं की गिनती करती नजर आएंगी, क्योंकि अब उन्हें एकीकृत बाल विकास योजना के कार्यो के अतिरिक्त अन्य कार्यो से संबद्ध नहीं किया जाएगा।

    राज्य में वैसे तो महिला बाल विकास के अधीन काम करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के अलावा काम में लगाया जाता है, जिसके चलते वे अपने मूल काम को बेहतर तरीके से नहीं कर पाती हैं। इससे छह वर्ष तक की आयु के बच्चों के पोषण आहार से लेकर उनकी शाला पूर्व शिक्षा पर भी असर पड़ता है।

    इस समय प्रदेश में 80 हजार 160 आंगनवाड़ी केंद्र तथा 12070 मिनी आंगनवाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं। इन केंद्रों के माध्यम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों को पूरक पोषण आहार देकर सुपोषित करने एवं शाला पूर्व शिक्षा देने जैसा महत्वपूर्ण कार्य कराया जाता है। इसके अलावा गर्भवती और धात्री माताओं को पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं दी की जाती हैं, जिसकी निरंतरता एवं अति कम वजन वाले बच्चों की विशेष देखभाल की जाती है।

    आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को अब तक गैर आईसीडीएस कार्यो में भी संबद्ध किया जाता रहा है और जब वे अन्य कार्य नहीं कर पाती तो उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाती रही है, जिससे आंगनवाड़ी केंद्रों की सेवाएं लंबे समय तक प्रभावित होती रहीं। साथ ही, बच्चों के पोषण स्तर में सुधार भी बाधित होता रहा है।

    सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार केा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं पर आईसीडीएस के अतिक्ति कार्य कराए जाने से बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के मददेनजर व्यवस्था में बदलाव किया है। इसके लिए सामान्य प्रषासन विभाग ने संभागायुक्त, जिलाधिकारी और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं से आईसीडीएस के अलावा दीगर काम न कराए जाएं।

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