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    भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 31 दिसम्बर को नए कानून पर हस्ताक्षर कर भारत के साथ रक्षा समझौतों को मजबूती प्रदान की है। डोनाल्ड ट्रम्प ने यह चीन के बढ़ते प्रभुत्व और खतरे से निपटने के लिए किया है ताकि अमेरिकी नेतृत्व दोबारा इंडो-पैसिफिक इलाके पर आना प्रभुत्व कायम कर सके।

    भारत के साथ कूटनीतिक, आर्थिक और रक्षा समझौतों की मजबूती के लिए कहा है, द एशिया रीएसुरेंस इनिशिएटिव एक्ट (एआरआईए) के पांच सालों के लिए 1.5 अरब डॉलर का बजट दिया गया है, ताकि अमेरिका अपने क्षेत्रीय साझेदारों के साथ रिश्तों में विस्तार कर सके।

    नए कानून के मुताबिक चीन का दक्षिणी चीनी सागर में अवैध निर्माण और सैन्यकरण के खिलाफ होगा और अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के मुताबिक चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करेगा। इस एक्ट के अनुसार इस्लामिक स्टेट के दक्षिण पूर्वी एशिया में मेरिका अपनी उपस्थिति को बढ़ाएगा, साथ ही अमेरिका के लिए खतरा बने आतंकी संगठनों पर भी अपनी पैंठ बढ़ाएगा।

    इस कानून में भारत और अमेरिका की साझेदारी को एक अहम किरदार निभाने की की जिम्मेदारी दी गयी है। अमेरिका और भारत के मध्य कूटनीतिक, आर्थिक और रक्षा मजबूती के समझौतों का विस्तार और मज़बूत करने के लिए कहा है। यह दोनों देशों के मध्य अमेरिका के द्विपक्षीय और रक्षा समझौतों की प्रतिबद्धता को दोहराता है।

    इस कानून में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के मध्य क्वाड्रीलेटरल रक्षा वार्ता का भी जिक्र है, यह इंडो पैसिफिक में अ चुनौतियों के लिए एक महत्वपूर्ण भाग है जो नियमों के आधार पर हो, अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करता हो और मुक्त और खुले इंडो पैसिफिक का पक्षधर हो।

    इस कानून को बीते अप्रैल में अमेरिकाई संसद में सांसद कोरी गार्डनर ने रखा था, वह ईस्ट एशिया उप महाद्वीप के विदेशी मसलों से सम्बंधित मसलों की जानकार है। यह अमेरिकी सीनेट में 4 दिसम्बर को पारित हो गया था और अमेरिकी कांग्रेस में 12 दिसम्बर को पारित हो गया था। डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा साल के अंतिम दिन में 13 कानूनों में दस्तखत होने वाले बिलों में से यह एक है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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