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    के एल राहुल, हार्दिक पांड्या

    केएल राहुल हार्दिक पांड्या विवाद: क्रिकेट टीम में खिलाड़ियो से जुड़े विवाद पहले भी कई बार सामने आए है। लेकिन 82 सालो में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेटरो को सीरीज के बीच में ही स्वदेश वापस भेज दिया गया है।

    साल 1936 में पहली बार ऐसा हुआ था, प्रथम श्रेणी के खेल के दौरान कथित अपमान के लिए महान लाला अमरनाथ को विजयनगरम के पूर्व कप्तान महाराजा या ‘विज्जी’ द्वारा भारत के इंग्लैंड दौरे से वापस भेज दिया गया था।

    इससे पहले भी कई टूर पर अनुशासनत्मक मुद्दे सामने आए है लेकिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में, यह पहली बार हो रहा है जब भारतीय क्रिकेट बोर्ड निर्णय ले रहा है और गलत खिलाड़ियो को देश वापस बुलाया गया है।

    लालाजी (जैसा कि बिरादरी ने उन्हें प्यार से बुलाया था) विज्जी के साथ झगड़ा टीम की राजनीति के साथ अधिक था, और आम धारणा यह थी कि ब्रिटिश भारत के तहत एक रियासत के शासक को पात्रता के कारण कप्तानी मिली और क्षमता के कारण नही।

    28 जुलाई, 2007 को ईएसपीएन क्रिकइन्फो में मार्टिन विलियमसन द्वारा लिखे गए एक लेख ‘राइट रॉयल इंडियन मेस’ के अनुसार, अमरनाथ क्षुद्र राजनीति का शिकार थे। लेकिन पांड्या और राहुल का मामला उनसे अलग है उनको महिलाओ के ऊपर ढिली टिप्पणी करने के लिए कीमत चुकानी पढ़ रही है।

    “अमरनाथ को उस समय कुछ मैचो के लिए पीठ की चोट लगी थी लेकिन उन्हे आराम नही दिया गया था। लॉर्डस में उन्हे पैड लगाने के लिए कहा गया था और उसके बाद विज्जी द्वारा दवाब दिया गया की अन्य बल्लेबाजो की तरह चुपचाप टीम में रहो।

    “वह (अमरनाथ) अंततः अपने करीबी मिनटों पहले, और स्पष्ट रूप से गुस्से में आ गए, जब वह चेंजिंग रूम में लौटे तो उन्होने अपना गुस्सा जाहिर किया, अपने किट को अपने बैग में फेंक दिया और पंजाबी भाषा में कहा, ‘मुझे पता है कि क्या होता है ।”

    पुस्तक के अनुसार, लाला अमरनाथ: लाइफ़ एंड टाइम्स, उनके सबसे छोटे बेटे राजिंदर अमरनाथ द्वारा लिखित, उनके पिता कैनार्ड के शिकार थे।

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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