Fri. Apr 19th, 2024
    Yashwant-Sinha-

    पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सरकार की नीतियों के कटु आलोचक माने जाते हैं, ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद कहा “मोदी मैजिक” नाम का जो सिद्धांत भापा ने गढ़ा था वो ख़त्म हो चूका है।

    उन्होंने कहा कि 2019 में चुनाव जीतने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों को कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट होना पड़ेगा। यशवंत ने कहा कि तीन राज्यों में कांग्रेस की वापसी के बाद उसे भाजपा विरोधी गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका निभानी चाहिए।

    एक इंटरव्यू ने उन्होंने कहा कि “चुनाव पूर्व एक विपक्षी गठबंधन समय की आवश्यकता है और इसमें कांग्रेस की भी सहभागिता होनी चाहिए ताकि भाजपा विरोधी मतों के बिखराव को रोका जा सके।” उन्होंने ये भी कहा कि अगर किसी कारणवश ऐसा संभव नहीं हो पाता तो उन्हे हरसंभव समझौते करने चाहिए ताकि भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सके।”

    उन्होंने कहा कि कांग्रेस को खुद को विपक्षी गठबंधन के नेता के रूप में घोषित करने से रोकना चाहिए और चुनाव के बाद विपक्षी गठबंधन के नेता को चुना जाना चाहिए। उन्होंने क्षेत्रीय दलों को भी नसीहत देते हुए कहा कि भाजपा को हारने के लिए उन्हें एक दुसरे के साथ अपने हितों के टकराव को रोकना होगा।

    उन्होंने कहा कि “तृणमूल कांग्रेस (बंगाल) का तेलुगु देशम पार्टी (आंध्र) या डीएमके (तमिलनाडु) के साथ कोई टकराव नहीं होगा। अगर सब साथ रहे तो क्षेत्रीय पार्टियाँ भाजपा से अधिक सीटें ला सकती है। क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस के साथ समझौता होना चाहिए कि सरकार बनाने के लिए वो साथ आ सकते हैं।”

    मंगलवार को 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में भाजपा को जबरदस्त तरीके से मात दी जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी।

    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू कई कोशिशें कर रहे हैं विपक्षी दलों को सतह लेकर भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के लिए। तेलंगाना में शानदार जीत के बाद टीआरएस प्रमुख केसीआर भी एक नई राष्ट्रीय पार्टी लॉन्च करने वाले हैं।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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