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    ब्लूटूथ bluetooth in hindi

    विषय-सूचि

    ब्लूटूथ क्या है? (what is bluetooth in hindi)

    ब्लूटूथ एक वायरलेस लेन टेक्नोलॉजी (Wireless LAN technology) है जो विभिन्न उपकरणों जैसे- कंप्यूटर, टेलीफोन, प्रिंटर, कैमरा आदि को कनेक्ट करने का काम करता है। ब्लूटूथ से हर तरह की मीडिया फाइल्स को ट्रांसफर किया जा सकता है।

    ब्लूटूथ का इतिहास (history of bluetooth in hindi)

    सन् 1994 में हाटर्सन द्वारा विकसित किये गए ब्लूएटूथ ने आज हमारी ज़िंदगी को वायरलेस नेटवर्क से जोड़ा हुआ है। ब्लूटूथ का नाम स्कैंडिनेवियन ब्लांटेंड/ब्लैटेन( पुराना नॉर्स ब्लेटन) का एक अंग्रेजी वर्शन से लिया गया है। लेकिन कहा जाता है कि वास्तव में 10वीं सदी के राजा हेराल्ड ‘ब्लूटूथ’ ब्लैंकर के नाम पर रखा गया है।

    -इसके पांच अलग अलग version है:

    1.1, 1.2, 0.2 plus EDR, 3.0 plus HB, और 4।

    ब्लूटूथ की रेंज (bluetooth range in hindi)

    एक ब्लूटूथ डिवाइस में एक लघु रेंज रेडियो ट्रांसमीटर बनाया गया है। वर्तमान डेटा दर 2.4 गीगा बैंडविड्थ के साथ 1 एमबीपीएस है।

    ब्लूटूथ में डेटा ट्रांसफर के लिए कम फैलाव वाली रेडियो लिंक नाम की तकनीक का इस्तेनाल करते है यानि इसमे रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिये डेटा ट्रांसफर होता है। हालांकि यह तकनीक अब आउटडेटिड हो चुकी है लेकिन अब भी बेसिक फ़ोन और स्मार्टफोन में यह तकनीक आपको दिख जाएगी।

    ब्लूटूथ एक वायरलेस टेक्नोलॉजी स्टैण्डर्ड है जो कि शार्ट वेवलेंथ UHF रेडियो वेव्स(ISM band 2.4 से 2.485GHz) को प्रयोग करते हुए एक छोटे distance में डिवाइस को जोड़ता है।

    ब्लूटूथ की संरचना (bluetooth architecture in hindi)

    ब्लूटूथ की संरचना को दो प्रकार हैं-

    • पिकोनेट(Piconet)
    • स्कैटरनेट(Scatternet)

    पिकोनेट (Piconet in hindi)

    पिकोनेट-यह एक ब्लूटूथ नेटवर्क का प्रकार हैं, जिसमें एक प्राइमरी(मास्टर) डिवाइस होता हैं, जिसे कंप्यूटर साइंस में नोड कहा जाता हैं। नोड के अलावा अन्य सात एक्टिव सेकेंडरी(स्लेव) डिवाइसेस होते हैं। इसलिए पिकोनेट में अधिकतम आठ डिवाइसेस(एक मास्टर और सात स्लेव) को जोड़ा जा सकता हैं।

    पिकोनेट में सिर्फ जोड़े गए, आठ डिवाइसेस में से केवल एक ही प्राइमरी(मास्टर) नोड हो सकता हैं, हालांकि प्राइमरी नोड कोई भी डिवाइस हो सकता हैं, लेकिन आम तौर पर जो डिवाइस कनेक्शन की शुरुवात करता हैं और अन्य डिवाइस उस द्वारा शुरू किए गए नेटवर्क में जुड़ते हैं, उस डिवाइस को प्राइमरी(मास्टर) नोड कहा जाता हैं।

    क्योंकि, पिकोनेट में केवल एक ही प्राइमरी(मास्टर) नोड होता हैं, जो अन्य नोड्स को डाटा भेज सकता हैं। इसलिए पिकोनेट में प्राइमरी(मास्टर) और सेकेंडरी(स्लेव) नोड्स के बीच कोम्युनीकेशन   वन-टू-वन या वन-टू-मेनी हो सकता हैं। वन-टू-वन कोम्युनीकेशन का मतलब, जब प्राइमरी(मास्टर) नोड डाटा भेज रहा हो, तब केवल एक ही सेकेंडरी(स्लेव) नोड डाटा रिसीव कर सकता हैं। वन-टू-मेनी कोम्युनीकेशन का अर्थ, जब प्राइमरी(मास्टर) नोड डाटा भेज रहा हो, तब एक से ज्यादा सेकेंडरी(स्लेव) नोड डाटा रिसीव कर सकते हैं।

    पिकोनेट में कोम्युनीकेशन सिर्फ प्राइमरी(मास्टर) नोड और सेकेंडरी(स्लेव) नोड के बीच हो सकता हैं, स्लेव-स्लेव कोम्युनीकेशन पिकोनेट में नामुमकिन हैं। पिकोनेट में सात एक्टिव सेकेंडरी नोड्स के साथ ही अधिकतम 255 पार्क्ड नोड जोड़े जा सकते हैं। यह पार्क्ड नोड असल में सेकेंडरी नोड या स्लेव स्टेशन होते हैं, लेकिन यह पार्क्ड नोड्स पिकोनेट में हिस्सा नहीं ले सकते।

    पिकोनेट में हिस्सा लेने के लिए पार्क्ड नोड्स को एक्टिव सेकेंडरी नोड्स में बदला जाना जरुरी है, मगर यह बदलाव करते समय पिकोनेट की अधिकतम सीमा(एक मास्टर नोड और सात स्लेव नोड) का ध्यान रखना आवश्यक हैं।

    स्कैटरनेट (Scatternet in hindi)

    स्कैटरनेट- एक ब्लूटूथ नेटवर्क का प्रकार हैं, जिसे एक से अधिक पिकोनेट्स को जोड़कर तयार किया जाता हैं। एक पिकोनेट में जो कंप्यूटर(मशीन) सेकेंडरी(स्लेव) नोड हैं, वही नोड दुसरे पिकोनेट में प्राइमरी(मास्टर) नोड की तरह काम कर सकता हैं। इस कारन वश, एक स्टेशन(मशीन या नोड) दो पिकोनेट्स का हिस्सा हो सकता हैं, लेकिन एक नोड-एक से ज्यादा पिकोनेट्स में प्राइमरी(मास्टर) नोड नहीं हो सकता।

    जैसा की आप जानते हैं, स्कैटरनेट को एक से ज्यादा पिकोनेट्स से जोड़ कर तयार किया जाता हैं। इसका मतलब अगर कोई स्टेशन(नोड) किसी पिकोनेट में स्लेव नोड हैं और दुसरे पिकोनेट में मास्टर नोड हैं। तो वह नोड, जिस पिकोनेट में स्लेव हैं उस पिकोनेट से प्राप्त डाटा या मेसेज को दुसरे पिकोनेट में(जिसमें वह मास्टर नोड हैं) अपने स्लेव नोड्स को भेज सकता हैं।

    ब्लूटूथ के प्रयोग (use of bluetooth in hindi)

    1. गेम्स खेलने के लिए

    ब्लूटूथ के माध्यम से हम मल्टीप्लेयर गेम्स भी खेल सकते हैं। दो फोन के बीच मे एक लोकल नेटवर्क बनाकर हम खेल सकते हैं। हालांकि इसकी reach ज्यादा नही होती।

    2. सुरक्षा के लिए

    घर और कार सुरक्षा के लिए ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी वायरलेस एंट्री सिस्टम में भी मौजूद है जिसके जरिये आप अपने घर या कार को अपने स्मार्टफोन पर मौजूद बटन (on) करके खोल सकते हैं।

    3. रिमोट

    ब्लूटूथ रिमोट से आप कमरे में कही से भी रिमोट को बिना टीवी के सामने रखकर भी उपयोग कर सकते हैं।

    4. कीबोर्ड और माउस

    ब्लूटूथ कीबोर्ड और माउस से कहीं से भी सटीकता की चिंता किये बिना टाइप और क्लिक कर सकते हैं। इसमे तारों के उलझने की चिंता नही होती।

    5. डेटा सिंक्रोनाइज

    कुछ डिवाइस आपको आपकी कांटेक्ट लिस्ट, ईमेल, कैलेंडर आदि जैसे कार्यक्रमों को सिंक्रोनाइज करने की सुविधा भी देते हैं। डेटा ट्रांसफर का यह एक अच्छा माध्यम है।

    6. ब्लूटुथ इयरपीस

    लैंडलाइन, सेलफोन को बलुुटुथ इयरपीस से जोड़कर आप बिना फ़ोन का रिसीवर पकड़े भी बात कर सकेते हैं।

    ब्लूटूथ के फायदे (benefits of bluetooth in hindi)

    1. यह सस्ता है।
    2. इसे install करना आसान है।
    3. यह विभिन्न उपकरणों को सुविधाजनक बनाता है।
    4. यह वायरलेस है।
    5. अगर कोई डिवाइस इसके साथ स्थापित है तो यह उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है।

    ब्लूटुथ के नुकसान (disadvantages of bluetooth in hindi)

    1. इसे हैक किया जा सकता है।
    2. यदि सेलफोन किसी से कंनक्टेड है तो यह वायरस प्राप्त करने के लिए प्रवण है।
    3. यह उपकरणों के बीच केवल लघु सीमा संचार की ही अनुमति देता है।
    4. यह एक समय में केवल 2 उपकरणों को ही जोड़ सकता है।
    5. कुछ स्थितियों में यह कनेक्शन खो सकता है।

    कैसे करें ब्लूटूथ कनेक्ट? (how to connect bluetooth in hindi)

    ब्लूटूथ के जरिये जोड़ने के लिए पहले अपने फोन या टेबलेट का ब्लूटूथ चालू करें जब कोई ब्लूटूथ डिवाइस इस्तेमाल करते हैं, तो उसे अपने फोन या टेबलेट के साथ जोड़ें। जोड़ने के बाद दोनों डिवाइस को कनेक्ट करें:

    1. अपने डिवाइस का setting एप्प खोलें।
    2. स्क्रीन पर दिखे जुड़े device पर क्लिक करें।
    3. ब्लूटूथ चालू या बंद करें।

    इस विषय से सम्बंधित यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिखकर पूछ सकते हैं।

    2 thoughts on “ब्लूटूथ क्या है? पूरी जानकारी”
    1. इसे हैक किया जा सकता है।
      यदि सेलफोन किसी से कंनक्टेड है तो यह वायरस प्राप्त करने के लिए प्रवण है।
      यह उपकरणों के बीच केवल लघु सीमा संचार की ही अनुमति देता है।
      यह एक समय में केवल 2 उपकरणों को ही जोड़ सकता है।
      कुछ स्थितियों में यह कनेक्शन खो सकता है।

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