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    अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर 575 दिन से अनशन कर रहे बुंदेली समाज के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को अनशन स्थल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 123वीं जयंती धूमधाम से मनाई। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि आजाद भारत में इस महान शख्सियत को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वो नहीं मिल पाया। भारतरत्न के असली हकदार नेताजी ही हैं। 23 जनवरी, 1897 को कटक में जन्मे सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का विवाद भी अभी तक नहीं सुलझ पाया।

    बुंदेली समाज के संरक्षक अरुण चतुर्वेदी ने कहा, “1992 में केंद्र की तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने पहली बार उन्हें भारतरत्न देने की घोषणा की, लेकिन उनके परिवार ने यह कहकर लेने से इनकार कर दिया कि जब उनके विदेह होने का कोई सबूत नहीं मिला तो उनको मरणोपरांत भारतरत्न देने की घोषणा ठीक नहीं।”

    इसी संगठन के महामंत्री डॉ. अजय बरसैया ने कहा कि जय हिंद का सबसे पहले उद्घोष करने वाले नेताजी का कद भारतरत्न से बहुत बड़ा है। उन्होंने कहा, “नेताजी ने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। का नारा देकर 21 अक्टूबर, 1943 को जो आजाद हिंद फौज बनाई थी, उसमें 80 हजार सैनिक थे। उन्होंने अघोषित स्वत्रंत भारत की जो पहली अस्थायी सरकार बनाई थी, उसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली और आयरलैंड ने मान्यता भी दे दी थी।”

    इस मौके पर पूर्व सैनिक कृष्णा शंकर जोशी, सुरेश बुंदेलखंडी, जग प्रसाद तिवारी, देवेंद्र तिवारी, अमरचंद विश्वकर्मा, कल्लू चौरसिया, इकबाल भाई, अमन तिवारी समेत तमाम मौजूद रहे।

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