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नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस)| स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश पात्रता मानदंड में संशोधन के अपने निर्णय का बचाव करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि नए प्रवेश मानदंडों का निर्धारण हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के बाद किया गया था।

स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय के नए पात्रता मानदंड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर डीयू का जवाब आया है।

डीयू ने न्यायाधीश अनु मल्होत्रा और तलवंत सिंह की खंडपीठ से कहा, “विशेष रूप से बीए वाणिज्य और बीए अर्थशास्त्र (ऑनर्स) में स्नातक पाठ्यक्रमों में अतिरिक्त पात्रता मानदंड का निर्धारण बहुत विचार-विमर्श और संबंधित क्षेत्रों में हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा के बाद किया गया है।”

विश्वविद्यालय ने अदालत को बताया कि यह शिक्षा के लिए बेहतर मानकों को तैयार करने की एक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में निर्णय किया गया है।

डीयू ने अदालत को यह भी कहा कि विश्वविद्यालय को हमेशा शिक्षा के बेहतर मानकों को लागू करने के लिए सशक्त किया जाता है और ऐसा करने के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है।

विश्वविद्यालय ने कहा कि दरअसल, विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा के मानक के कारण ही डीयू को बाकी विश्वविद्यालयों की तुलना में अधिक प्राथमिकता मिलती है।

पीठ ने कहा कि डीयू को उसके शिक्षा मानकों में सुधार करने से कोई नहीं रोक रहा है।

पीठ ने कहा, “कोई नहीं कह रहा है कि आपका निर्णय (संशोधन) सही नहीं है, लेकिन आप के निर्णय का समय शायद सही नहीं है।”

अदालत ने टिप्पणी की कि डीयू को तीन महीने पहले विद्यार्थियों को इस बात की सूचना देनी चाहिए थी।

By पंकज सिंह चौहान

पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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