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    श्रीलंका की संसद

    श्रीलंका के राजनीतिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे और विपक्षी पार्टियों के सांसद कल संसद में ही भीड़ गए। विवादित पीएम महिंदा राजपक्षे ने कहा कि स्पीकर के पास ध्वनिमत से उन्हें बर्खास्त करने का कोई अधिकार नहीं है। पीएम राजपक्षे की इस बात के बाद संसद में हंगामा मच गया था। राजपक्षे ने स्पीकर को पक्षपात करने वाला और रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी का समर्थक बताया था।

    महिंदा राजपक्षे ने कहा कि नए सिरे से मतदान करवाके इस संकट से उभरा जा सकता है। राजपक्षे के इन बयान के बाद उनके समर्थक मध्य में आकर खड़े हो गए तथा विरोधियों ने स्पीकर के पास जाकर नारे लगाए थे। सभा मे पक्षधर और विरोधी भीड़ गए औऱ राजपक्षे के समर्थकों ने स्पीकर पर बोतल, किताबे और कचरा फेंका था।

    महिंदा राजपक्षे के समर्थक सांसद ने कहा कि स्पीकर बेहद आक्रामक था और सांसदों को शारीरिक चोट पहुँचाने के लिए काफी करीब आ गया था। उन्होंने कहा कि विवाद बढ़ने के बाद पहली बार किसी स्पीकर ने आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था। बुधवार को स्पीकर जयसूर्या ने कहा कि सांसदों के आक्रामक रवैये के कारण सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करना संभव नही था इसलिए ध्वनिमत से फैसला लिया गया था।

    श्रीलंका में बीते 26 अक्टूबर के बाद से राजनीतिक संकट बना हुआ है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने पीएम रानिल विक्रमसिघे को बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को पीएम की कुर्सी सौंप दी थी। इसके बाद सिरिसेना ने संसद को बर्खास्त कर दिया था लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद उन्होंने संसद को दोबारा बहाल कर दिया था। हाल ही में वरिष्ठ के साथ बैठक के बाद सिरिसेना ने संसद को दोबारा बर्खास्त कर 5 जनवरी को चुनावों का ऐलान कर दिया था।

    विक्रमसिंघे के समर्थक इस असंवैधानिक निर्णय को शीर्ष अदालत में लेकर गए और वरिष्ठ जज ने चुनावों को रद्द करते हुए सिरिसेना को संसद बहाल करने का आदेश दिया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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