Fri. May 10th, 2024
पेट्रोल को जीएसटी दायरे में लाने के लिए सरकार तैयार

केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंगलवार को राज्यसभा में बयान दिया कि सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने को तैयार है। लेकिन इस कदम को उठाने से पहले केंद्र सरकार इस बात पर राज्य सरकारों के बीच आम सहमति चाहती है।

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पूछे सवाल

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने जानकारी मांगी कि पेट्रोल व डीजल को जीएसटी दायरे में लाने के लिए सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे। चिंदबरम ने यह भी पूछा कि वैश्विक मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद भी देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतें कम क्यों नहीं हुई?

प्रश्नों के जवाब में वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि यह प्रश्न एक ऐसे व्यक्ति ने किया है, जो इस मुद्दे से भलीभांति परिचित है। उन्होंने कहा कि पिछली यूपीए सरकार ने पेट्रोल को जीएसटी बिल से अलग रखा था, क्योंकि उसे पता था कि यह मामला केंद्र सरकार और राज्यों के बीच का है। जेटली ने चिदंबरम से कहा कि आप विपक्ष में हैं, इसलिए अपनी स्थिति बदलने में पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।

राज्यों के बीच आम सहमति जरूरी

जेटली ने कहा कि सरकार ने पेट्रोल को जीएसटी दायरे में लाने के लिए कुछ राज्यों को तैयार कर लिया था, लेकिन कुछ राज्यों की असहमति के चलते ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि राज्यों के बीच अब आम सहमति बनती नजर आ रही है, ऐसे में सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी दायरे में लाने को तैयार है।

जेटली ने कहा कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें इसलिए कम नहीं हो पा रही हैं, क्योंकि कई राज्यों में इन उत्पादों पर विभिन्न प्रकार के टैक्स थोप रखे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र की सलाह पर कई राज्यों ने इन करों को कम कर दिया है, लेकिन यूपीए समर्थित शासन वाले राज्यों ने ऐसा नहीं किया।

कॉल ड्रॉप की समस्या को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि 31 अक्टूबर 2017 तक कॉल ड्रॉप से संबंधित लगभग 50,770 मामलों को सुलझाया जा चुका है। कॉल ड्रॉप से मुक्ति पाने के लिए सरकार ने टेेलिकॉम आपरेटर्स को पर्याप्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया है।