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    पीओके

    पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की आवाम सात दशको से पाकिस्तान का गैर कानूनी कब्जे में जूझ रही हैं। पाकिस्तान के भेदभावपूर्ण शोषण के कारण यह इलाका अब प्राकृतिक संसाधन से भी महरूम हैं और यहाँ के लोगो की जिंदगियां भी दुश्वार हो गयी है। मीलुम और झेलम की नदियों पानी भी अब लोगो के लिए हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी के बहाने मोड़ा जा रहा है।

    जब लोगो ने इस हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन किया। सरकार ने कहा कि प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद इलाके को लोगो की अतिरिक्त बिजली और जल मुहैया किया जायेगा। लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद चीजे विपरीत दिशा में चली गयी है।

    जब से झेलम- नीलम प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ है तब से पीओके के लोगो का आम जनजीवन अजाब हो गया है। इस प्लांट से 1500 मेगावाट से अधिक की उर्जा का उत्पादन करता है और इसे पाकिस्तान के अन्य प्रान्तों में ट्रान्सफर कर दिया था, खासकर पंजाब प्रान्त के लोगो को दी जाती है।

    अब इस इलाके में बिजली और पानी के न होने से लोग अँधेरे में धकेल दिए गए है। सरकार इस इलाके के लोगो से अतिरिक्त कर वसूल करती है। पीओके विधानसभा के पूर्व उम्मीदवार मुहम्माफ़ अल्ताफ बट ने कहा कि “इलाके में मौजूदा बिजली  प्रणाली से लोगो में क्रोध पनप रहा है और विभाग इसे  नजरंदाज कर रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि “यह इस इलाके के लोगो के लिए खेदजनक है, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन और पानी की कुर्बानी दी थी। इस हालात में भी राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, प्रमुख सचिव और मुख्य न्यायधीश अन्य प्रान्तों की तरह इस इलाके के लिए भी बराबर बिजली सप्लाई के लिए एकजुट नहीं हुए हैं।”

    इस क्षेत्र बेहद कम उद्योग है और इन्हें भी बिजली की आपूर्ति है, जिसके कारण बेरोजगारी और अधूरा कार्य है। बट ने कहा कि “इस क्षेत्र में करीब 1500 वाट बिजली का उत्पादन किया जाता है लेकिन इस क्षेत्र के लिए 400 से 500 वाट भी मुहैया नहीं की जाती है। शुरुआत में इस क्षेत्र के प्रधानमन्त्री रजा फारूक हैदर ने बेहद सख्ती से इस मुद्दे को उठाया था लेकिन अब अल्लाह जाने ऐसा क्या हुआ कि वह अब चुप्पी साधे बैठे हैं।”

    प्रधानमन्त्री इमरान खान ने पीओके की जनता और देश एक अन्य इलाको में लोगो के जीवन को बेहतर करने के बड़े-बड़े दावे किये थे लेकिन इसमें से आधे भी दावो को पूरा नहीं कर सके हैं। पाकिस्तान में ऊर्जा की मांग बढ़ने से हालात अधिक बिगड़ते जा रहे हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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