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    नरेंद्र मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के ओसाका में आयोजित 14 वें सम्मेलन में 28-29 जून को शरीक होने जायेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस ब्रीफिंग में बताया था। मोदी इस सम्मेलन के इतर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करेंगे।

    इस समारोह में सदस्य देशों की सरकारों के प्रमुख, यूरोपीय संघ और आंमंत्रित राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय संघठन भी उपस्थित होंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “यह छठी बार होगा जब प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में शामिल होंगे। वह द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और बहुपक्षीय मुलाकातों में शामिल होने जिसकी जल्द ही घोषणा कर दी जाएगी।”

    मंत्रालय ने ऐलान किया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु जी-20 सम्मेलन में भारत के शेरपा होंगे। शेरपा सरकार और राज्य प्रमुख के निजी प्रतिनिधि होता है जो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियां करता है इसमें विशेषकर जी-7 और जी-20 सम्मेलन शामिल है।

    सरकार ने बयान में कहा कि “जी-20 में भारत के लिए महत्वपूर्ण मामले ऊर्जा, सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता, आपदा लचीले ढाँचे, बहुपक्षवाद में सुधार, डब्ल्यूटीओ में सधार, आतंकवाद पर कार्रवाई, आर्थिक भगोड़ो को वापस लाना, तकनीकों में लोकतंत्र और पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा स्कीम होंगे।”

    चुनावो में जीत के बाद मोदी अहलि बार डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करेंगे और दोनों देश रणनीतिक संबंधों को मज़बूत बनाकर काफी ध्यान को आकर्षित करेंगे। सुरेश प्रभु ने कहा कि “साल 2008 में आर्थिक झटके के बाद जी-20 एक महत्वपूर्ण वैश्विक मंच बनकर उभरा है। इस समूह के सदस्य विश्व की जीडीपी में 85 प्रतिशत का योगदान देते हैं।”

    जी-20 के सदस्य एर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत,इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। जी-20 की अर्थव्यवस्थाओं ने सकल विश्व में 90 फीसदी, वैश्विक व्यापार में 80 फीसदी, दो-तिहाई वैश्विक आबादी और इसमें विश्व में आधी जमीन है।

    मुलाकात में भारतीय के एजेंडा पर बाबत सुरेश प्रभु ने बताया कि “भारत महत्वपूर्ण मामलो पर चर्चा करेंगे इसमें ऊर्जा सुरक्षा, बहुपक्षवाद में सुधार, वित्तीय स्थिरता और डब्ल्यूटीओ में सुधार है। हमे महसूस होता है कि डब्ल्यूटीओ को अधिक मज़बूत करना चाहिए और यह वह संस्था होनी चाहिए जो वैश्विक कारोबार को नियंत्रण करना चाहिए।”

    प्रभु ने कहा कि “आर्थिक भगोड़ो की वापसी, आतंकवाद, पोर्टेबल सोशल सिक्योरिटी स्कीम, आपदा से लचीले ढाँचे और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों को भारत उठाएगा।” यहाँ चार सत्रों का आयोजन होगा और वह वैश्विक अर्थव्यवस्था: कारोबार और निवेश: डिजिटल इकोनॉमी में नवीनीकरण और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस: असमानता और समावेशी सतत विश्व; और जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और पर्यावरण है।”

    संरक्षणवाद में वृद्धि और वैश्विक ताकतों के बीच व्यापार जंग के बाबत प्रभु ने कहा कि “भारत पूरी तरह कारोबार के मुक्त होने का पक्षधर है। भारत वैश्व में खुली हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमें बगैर किसी बाधा के एफडीआई को हासिल किया है इसलिए भारत का अन्य देशों से परस्पर व्यवहार की मांग करने का अधिकार है। हमें सीमाओं को खोलने का पूरा फायदा नहीं मिला था आज भारत की अर्थव्यवस्था 2.8 ट्रिलियन डॉलर है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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