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    पाकिस्तान चुनाव

    पाकिस्तान में नेशनल असेंबली के लिए 25 जुलाई को आम चुनाव कराए जाएंगे, इसकी पुष्टि पाकिस्तान राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता ने की। वर्तमान प्रधानमंत्री पर चुनाव के पाकिस्तान मुस्लिम लीग(नवाज) और विपक्षी दलों द्वारा डाले गए दवाब को भी प्रवक्ता ने माना।

    पाकिस्तान चुनाव आयोग(इलेक्शन कमीशन ऑफ़ पाकिस्तान) ने 21 मई को पाकिस्तानी राष्ट्रपति को लिखे ख़त में देश में नेशनल असेंबली और प्रांतीय सदनों(प्रोविंशियल असेंबली) के लिए 25-27 जुलाई के बीच चुनाव कराये जाने की बात कही हैं।

    राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार राष्ट्रपति हुस्सेन ने चुनाव के लिए 25 जुलाई की तारीख पर अपनी सहमति दे दी हैं। पाकिस्तान चुनाव आयोग के अनुसार देश के 10 करोड़ 59 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, इन मतदाताओं में 5 करोड़ 92 लाख मतदाता पुरुष और 4 करोड़ 67 लाख मतदाता महिलाएं हैं। पुरुष मतदाता और महिला मतदाताओं से 1 करोड़ 25 लाख अधिक हैं।

    पाकिस्तान की मौजूदा सरकार का कार्यकाल 30 मई को समाप्त हो रहा हैं, प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी के अनुसार 30 मई को अस्थायी सरकार का गठन किया जाएगा और अस्थायी सरकार के गठन होने के 60 दिनों के अंदर देश में चुनाव कराए जाएँगे।

    जुलाई में होने वाले चुनाव में पूर्व क्रिकेटर और तहरीक-इ-इन्साफ के चेयरमैन इमरान खान, को प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में से एक माना जा रहा हैं।

    आपको बता दे, पिछले महीने अप्रैल में पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और तहरीक-ए-इन्साफ के जनरल सेक्रेटरी जहाँगीर खान तरीन के चुनाव में हिस्सा लेने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया था।

    पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के चुनावी अभियान शुरू करने के कारण विरोधी पार्टियों में संशय का वातावरण हैं। तहरीक-ए-इन्साफ के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार इमरान खान ने नवाज़ शरीफ को पाकिस्तान सेना की मदत हासिल होने की बात कही हैं।

    नवाज शरीफ का चुनावी मैदान में फिरसे उतरना जबकि प्रतिबंध अब तक हटा नहीं और तहरीक-ए-इन्साफ का देश भर में रैलियों के द्वारा सरकार की नाकामियाबियों को उजागर करना यह सभी पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता की ओर इशारा करते हैं।

    हालांकि, जुलाई में होने वाले चुनाव के बाद सभी सवालों के जवाब मिल जाएँगे। आशा हैं पाकिस्तान में गणतांत्रिक रूप से चुनकर आयी सरकार के कामों में सेना का हस्तक्षेप कम हो, जिससे सरकार जनता के लिए काम कर सके।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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