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एमएस धोनी

कोलकाता, 12 जून (आईएएनएस)| अगर आप क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) के प्रशंसक हैं और शंभू बोस के रेस्टोरेंट में पहुंचते हैं तो आपका पेट बिना पैसे दिए भर सकता है।

धोनी के बड़े प्रशंसक शंभू पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में एक रेस्टोरेंट चलाते हैं जिसका नाम ‘एमएस धोनी रेस्टोरेंट’ है। इस रेस्टोरेंट की खास बात यह है कि 32 साल के शंभू धोनी के प्रशंसकों को मुफ्त में भोजन देते हैं।

शंभू ने आईएएनएस से कहा, “इस दुर्गा पूजा को हम दो साल पूरे कर लेंगे। यहां हर कोई इस जगह को जानता है, लोग यहां खाने के लिए आते हैं। आप किसी से भी धोनी के होटल के बारे में पूछ लीजिए, आप यहां आ ही जाएंगे।”

शंभू से जब धोनी से लगाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “उनकी तरह कोई नहीं है। मैं जब बच्चा था, तभी से उनको पसंद करता हूं। वह जिस तरह से हैं, जिस तरह से वे क्रिकेट खेलते हैं, उसी से पता चलता है कि लेजेंड कैसे बनते हैं। वह मेरे लिए प्रेरणा है।”

शंभू के इस छोटे से रेस्टोरेंट में मुख्यत: बंगाली खाना ही मिलता है। रेस्टोरेंट में हर कोने में धोनी के पोस्टर हैं। आलम यह है कि दीवारें कहां खाली हैं, यह पता लगाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा, “ऐसा ही मेरे घर पर भी है। उन्हें देखकर मैंने काफी कुछ सीखा है। मैं एक दिन उनसे मिलना चाहता हूं लेकिन मेरे पास स्टेडियम में जाकर मैच देखने के पैसे नहीं हैं।”

शंभू ने कहा, “मैं जानता हूं कि मेरा सपना कभी पूरा नहीं होगा, लेकिन अगर मैं उनसे किसी दिन मिल सका तो मैं उनसे मेरे रेस्टोरेंट में आने को कहूंगा। मुझे पता है कि उन्हें भात-मच्छी पसंद है।”

शंभू ने दो अप्रैल 2011 को याद करते हुए कहा, “मैं उस समय चाय की दुकान चलाता था। उसका कोई नाम नहीं था लेकिन उसमें धोनी का छोटा सा पोस्टर था। मुझे उनके लंबे बाल पसंद थे। मुझे याद है कि मैंने 2011 विश्व कप का फाइनल अपने दोस्तों के साथ मेरी चाय की दुकान पर देखा था। मैं वो रात कभी नहीं भूल सकता, (खुशी में) मैं काफी रोया था।”

भारत ने दो अप्रैल 2011 को 28 साल बाद विश्व कप जीता था।

By पंकज सिंह चौहान

पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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