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    Dilip Kumar Biography

    दिलीप कुमार भारतीय फिल्मो के अभिनेता हैं। यह पहले मात्र ऐसे मुसलमान थे जिन्होंने भारतीय फिल्मो में अपने अभिनय को दर्शन शुरू किया था और साथ ही सफलता का मुकाम हासिल किया था। दिलीप ने एक अभिनेता के साथ साथ एक फिल्म निर्माता का व्यवसाय भी शुरू था। दिलीप कुमार हमेशा अपने अच्छे काम और अच्छे व्यवहार की वजह से जाने गए हैं।

    दिलीप कुमार द्वारा अभिनय किए गए फिल्मो की बात करे तो उन्होंने ‘ज्वर भाटा’, ‘अंदाज़’, ‘दीदार’, ‘आन’, ‘दाग’, ‘देवदास’, ‘आज़ाद’, ‘नया दौर’, ‘मधुमती’, ‘कोहिनूर’, ‘मुशल-ए-आज़म’, ‘गंगा जमुना’, ‘क्रांति’, ‘शक्ति’, ‘मशाल’, ‘कर्मा’, ‘सौदागर’, ‘क़िला’ जैसी फिल्मो में अभिनय किया है।

    दिलीप कुमार ने ना केवल अपने अभिनय की वजह से कई अवार्ड्स को अपने नाम किया है, बल्कि उन्हें कई सारे और पदों से भी सम्मानित किया गया है।

    दिलीप कुमार का प्रारंभिक जीवन

    दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर, ब्रिटिश भारत में हुआ था, जो की अब पकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा नाम से जाना जाता है। दिलीप कुमार का असली नाम ‘मुहम्मद यूसुफ़ खान’ था। दिलीप के परिवार की बात करे तो उनके पिता का नाम ‘लाला गुलाम सर्वर’ था जो उस समय के जमीन और फलो का कारोबार करते थे। उनकी माँ का नाम ‘आयेशा बेगम’ था।

    दिलीप के अलावा उनके 11 और भाई बहन थे। उनके भाइयों के नाम ‘नासिर खान’, ‘एहसान खान’, ‘असलम खान’, ‘नूर मुहम्मद’ और ‘अयूब सर्वर’ थे। दिलीप की बहनो के नाम ‘फैजिआ खान’, ‘सकीना खान’, ‘ताज खान’, ‘फरीदा खान’, ‘साईदा खान’ और ‘अख्तर आसिफ’ थे। दिलीप ने अपने स्कूल की पढाई ‘बार्नेस स्कूल’, नाशिक डिस्ट्रिक्ट, महाराष्ट्र से पूरी की थी।

    दिलीप ने अपने स्कूल की पढाई पूरी करने के बाद साल 1940 में अपने पिता के कहने पर पुणे में जाने का फैसला लिया था। उन्होंने पुणे जाके एक कैंटीन के मालिक से मुलाकात की थी और आर्मी क्लब में सैंडविच की एक छोटी सी दूकान खोली थी। मुंबई से अपने घर वापिस लौटने के दौरान दिलीप के पास उस समय लगभग 5000 रुपया बचत के रूप में थे।

    साल 1943 में दिलीप को ‘डॉ. मसानी’ ने ‘बॉम्बे टाल्कीस’ की मालकिन और फिल्मो की अभिनेत्री ‘देविका रानी’ से मुलाकात कराइ थी। देविका ने दिलीप को मासिक 1250 रुपए तन्ख्वा के साथ काम पर रखने का फैसला लिया था। उसी दौरान दिलीप की मुलाकार अभिनेता ‘अशोक कुमार’ के साथ हुई थी, जिन्होंने दिलीप के अभिनय की तारीफ करते हुए उन्हें अभिनेता बनने का सुझाव दिया था। यही से शुरू हुआ था मुहम्मद यूसुफ़ खान का दिलीप कुमार बनने का सफर। देविका रानी ने दिलीप को ‘यूसुफ़ खान’ नाम को बदल कर ‘दिलीप कुमार’ नाम रखने का सुझाव दिया था।

    व्यवसाय जीवन

    दिलीप कुमार का फिल्मो का शुरुआती दौर

    दिलीप कुमार ने अपने अभिनय के व्यवसाय की शुरुआत साल 1944 से की थी। उन्होंने सबसे पहले फिल्म ‘ज्वर भाटा’ के साथ अपना डेब्यू फिल्मो में किया था। इस फिल्म में उनके किरदार का नाम ‘जगदीश’ था। फिल्म के निर्देशक ‘अमिया चक्रवत्री’ थी और फिल्म में मुख्य किरदारों को मृदुला रानी, शमीम बनो, अघा, विक्रम कपूर, के.एन सिंह, मुमताज़ अली और दिलीप कुमार ने अभिनय किया था।

    इसके बाद साल 1945 में उन्होंने फिल्म ‘प्रतिमा’ में अभिनय किया था और साल 1946 में उन्होंने ‘मिलन’ नाम की फिल्म में अभिनय किया था। साल 1947 में दिलीप ने एक हिट फिल्म में अभिनय किया था जिसका नाम ‘जुगनू’ था। इस फिल्म में उन्होंने अभिनेत्री ‘नूर जेहन’ के साथ अभिनय किया था और फिल्म के निर्देशक ‘शौक़त हुसैन’ थे। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था।

    साल 1948 में ही दिलीप कुमार ने एक और हिट फिल्म में अभिनय किया था जिसका नाम ‘शहीद’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘रमेश सैगल’ थे और फिल्म में दिलीप ने ‘राम’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इस फिल्म को भी दर्शको ने बहुत पसंद किया था। इसके बाद उसी साल उन्हें फिल्म ‘नदियां के पार’, ‘मेला’, ‘घर की इज़्ज़त’, ‘अनोखा प्यार’ जैसी फिल्मो में अभिनय करते हुए देखा गया था।

    साल 1949 में भी दिलीप को ‘बी. मित्रा’ द्वारा निर्देशित फिल्म ‘शबनम’ में देखा गया था। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को दिलीप कुमार, कामिनी कौशल, जीवन और श्यामा ने अभिनय किया था। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में बेहतरीन कमाई की थी और इसी के साथ दिलीप का नाम हिंदी फिल्मो में मशहूर हो चूका था। इसके बाद उसी साल दिलीप ने फिल्म ‘अंदाज़’ में भी अभिनय किया था और उनकी यह फिल्म भी सुपरहिट हुई थी।

    साल 1950 में ही उन्होंने अपना नाम एक बड़ी फिल्म के साथ जोड़ा था। उन्होंने उस साल सबसे पहले फिल्म ‘जोगन’ में अभिनय किया था जिसमे उनके किरदार का नाम ‘विजय’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘किदार नाथ शर्मा’ थे और फिल्म में दिलीप के साथ अभिनेत्री नरगिस ने मुख्य किरदार को दर्शाया था। उसी साल दिलीप ने दो और फिल्मो में अभिनय किया था जिनका नाम ‘बाबुल’ और ‘आरज़ू’ था। दोनों ही फिल्मो ने बॉक्स ऑफिस में अच्छी कमाई की थी। साल 1950 में दिलीप पहले ऐसे अभिनता बने थे जो अपनी एक फिल्म का 1 लाख रूपए चार्ज करते थे।

    दिलीप कुमार का फिल्मो के बाद का सफर

    साल 1951 में सबसे पहले दिलीप ने फिल्म ‘तराना’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘डॉ. मोतीलाल’ नाम का किरदार अभिनय किया था और फिल्म के निर्देशक ‘राम दरयानी’ थे। फिल्म में दिलीप ने अभिनेत्री मधुबाला के साथ मुख्य किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘हलचल’ में अभिनय किया था जो की बॉक्स ऑफिस में कुछ खास नहीं चली थी। उसी साल दिलीप को फिल्म ‘दीदार’ में ‘श्यामू’ नाम का किरदार अभिनय करते हुए देखा गया था। यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस में सुपर हिट हुई थी।

    साल 1952 में दिलीप ने फिल्म ‘आन’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘मेहबूब खान’ थे। फिल्म में दिलीप ने ‘जय तिलक’ नाम के किरदार को दर्शाया था। यह फिल्म दर्शको को बहुत पसंद आई थी। इसके बाद दिलीप ने फिल्म ‘दाग’ और ‘संगदिल’ में अभिनय किया था। इन दोनों फिल्मो में से फिल्म ‘दाग’ को दर्शको ने ज़्यादा पसंद किया था।

    साल 1953 और साल 1954 में दिलीप ने लगभग चार फिल्मो में अभिनय किया था जिनमे से सभी फिल्मे फ्लॉप लिस्ट में शामिल हुई थी। इसके बाद साल 1955 में दिलीप कुमार ने 4 फिल्मो में अभिनय किया था जिनमे से उनकी दो फिल्मो को बॉक्स ऑफिस में बेहतरीन कमाई के साथ सुपरहिट फिल्मो की सूचि में शामिल किया गया था। उन फिल्मो का नाम ‘देवदास’ और ‘आज़ाद’ था। इसके आलावा बाकि दो फिल्मे ‘उड़ान खटोला’ और ‘इंसानियत’ ने दर्शको का दिल नहीं जीता था और इसलिए अपना नाम फ्लॉप फिल्मो की सूचि में दर्ज किया था।

    साल 1957 में भी दिलीप ने फिल्म ‘नया दौर’ में अभिनय किया था जिसके निर्देशक ‘बी. आर. चोपड़ा’ थे। इस फिल्म में दिलीप ने ‘शंकर’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था और बॉक्स ऑफिस पर भी फिल्म ने बेहतरीन कमाई की थी।

    साल 1958 में दिलीप ने दो ही फिल्मो में अभिनय किया था और उनकी उस साल की उन दोनों फिल्मो ने बॉक्स ऑफिस में बेहतरीन कमाई की थी। फिल्मो के नाम ‘यहूदी’ और ‘मधुमती’ था। साल 1959 की फिल्म ‘पैग़ाम’ को भी दर्शको ने बहुत पसंद किया था। फिल्म में दिलीप ने ‘रतन लाल’ नाम का किरदार अभिनय किया था और फिल्म के निर्देशक ‘एस. एस. वसन’ थे।

    साल 1960 में भी दिलीप ने फिल्म ‘कोहिनूर’ में अभिनय किया था जिसमे उन्होंने ‘युवराज राणा देवेंद्र प्रताप बहादुर’ उर्फ़ ‘कोहिनूर’ नाम का किरदार अभिनय किया था। फिल्म के निर्देशक ‘एस. यू सनी’ थे और फिल्म में दिलीप ने अभिनेत्री मीना कुमारी, लीला चिटनीस और कुमकुम के साथ अभिनय किया था। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था।

    दिलीप कुमार का फिल्मो का सफल सफर

    उसी साल दिलीप ने फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ में भी अभिनय किया था। फिल्म में दिलीप ने ‘सलीम’ नाम का किरदार दर्शाया था और उनके साथ मुख्य किरदार को मधुबाला ने अभिनय किया था। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था और इसी के साथ दिलीप की यह फिल्म भी सुपरहिट फिल्मो की लिस्ट में शामिल हुई थी।

    साल 1961 में दिलीप ने अपना सबसे लोकप्रिय किरदार दर्शाया था जिसका नाम ‘गंगाराम’ उर्फ़ ‘गंगा’ था। इस फिल्म का नाम ‘गंगा जमुना’ था। फिल्म के निर्देशक ‘नितिन बोस’ थे और फिल्म में मुख्य किरदारों को दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला और नासिर खान ने अभिनय किया था। यह फिल्म दर्शको को बहुत पसंद आई थी और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में बेहतरीन कमाई की थी।

    साल 1964 की बात करे तो उस साल दिलीप को फिल्म ‘लीडर’ में देखा गया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘विजय खन्ना’ नाम का किरदार अभिनय किया था और दर्शको को फिल्म बहुत पसंद आई थी। साल 1966 में भी दिलीप ने ‘अब्दुल राशीद करदार’ द्वारा निर्देशित फिल्म ‘दिल दिया दर्द लिया’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में दिलीप के किरदार का नाम ‘शंकर’ और ‘राजा साहेब’ था और फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था।

    साल 1967 में दिलीप को एक ही फिल्म में देखा गया था जिसका नाम ‘राम और श्याम’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘तापी चाणक्य’ थे और फिल्म में दिलीप ने ‘राम’ और ‘श्याम’ के दो किरदारों को दर्शाया था। इस फिल्म को भी दर्शको ने बहुत पसंद किया था और फिल्म ने भी बहुत अच्छी कमाई के साथ अपना नाम सुपरहिट फिल्मो की सूचि में दर्ज किया था।

    साल 1968 में उन्होंने दो फिल्मो में अभिनय किया था जिनका नाम ‘संघर्ष’ और ‘आदमी’ था। फिल्म संघर्ष में दिलीप में ‘कुंदन एस. प्रसाद’ और ‘बजरंगी’ नाम का किरदार दर्शाया था और फिल्म के निर्देशक ‘कर्णम सिंह रवैल’ थे। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था। इसके बाद उसी साल दिलीप ने एक और सुपरहिट फिल्म में अभिनय किया था जिसका नाम ‘आदमी’ था। इस फिल्म में उन्होंने ‘राजेश’ और ‘राजा साहेब’ नाम के किरदारों को दर्शाया था।

    साल 1970 में भी दिलीप को दो फिल्मो में देखा गया था। पहली फिल्म का नाम ‘सगीना महतो’ था जिसमे उन्होंने ‘सगीना’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘तपन सिन्हा’ थे और फिल्म में मुख्य किरदारों को दिलीप कुमार और सायरा बनु ने दर्शाया था। यह एक बंगाली फिल्म थी और दर्शको ने इस फिल्म को बहुत पसंद किया था।

    उसी साल दिलीप ने एक और सुपरहिट फिल्म में अभिनय किया था जिसका नाम ‘गोपी’ था। फिल्म के निर्देशक ‘ए. भीमसिंघ’ थे और फिल्म में मुख्य किरदारों को दिलीप कुमार, सायरा बनु, प्राण, ओम प्रकाश, ललिता पवार और अरुणा ईरानी’ ने अभिनय किया था। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था।

    साल 1972 में दिलीप को फिल्म ‘दास्तान’ में अभिनय करते हुए देखा गए था। इस फिल्म के निर्देशक ‘बी. आर. चोपड़ा’ थे और फिल्म में दिलीप ने ‘अनिल’, ‘सुनील’ और ‘जज विष्णु सहाय’ नाम के किरदारों को दर्शाया था। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था और फिल्म ने अपना नाम बॉक्स ऑफिस में सुपरहिट फिल्मो की सूचि में दर्ज किया था।

    उसी साल दिलीप ने फिल्म ‘अनोखा मिलन’ में ‘वार्डन’ का एक कैमिओ किरदार दर्शाया था।

    साल 1974 में दिलीप को फिल्म ‘संगीना’ और ‘फिर कब मिलोगी’ में देखा गया था। इसके बाद साल 1976 में दिलीप ने फिल्म ‘बैराग’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘कैलाश’, ‘भोलेनाथ’ उर्फ़ ‘भोला’ और ‘संजय’ के तीन अलग अलग किरदारों को दर्शाया था। इस फिल्म को भी जनता ने बहुत पसंद किया था।

    साल 1981 में दिलीप ने फिल्म ‘क्रांति’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘मनोज कुमार’ थे और फिल्म में मुख्य किरदारों को दिलीप कुमार, शशि कपूर, हेमा मालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा और प्रवीण बाबी ने निभाया था। इस फिल्म में दिलीप ने ‘सांग’ और ‘क्रांति’ नाम के किरदारों को निभाया था। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में बहुत अच्छी कमाई की थी।

    साल 1982 में भी दिलीप कुमार एक सुपरहिट फिल्म का हिस्सा बने थे जिसका नाम ‘विधाता’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘सुभाष घई’ थे और फिल्म में दिलीप ने ‘शमशेर सिंह’ और ‘शोभराज’ नाम का किरदार दर्शाया था। इस फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था।

    उसी साल दिलीप को फिल्म ‘शक्ति’ में देखा गया था जिसके निर्देशक ‘रमेश सिप्पी’ थे। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, राखी, अमरीश पूरी और स्मिता पाटिल ने दर्शाया था। इस फिल्म में दिलीप ने ‘डी. सी. पी. अश्विनी कुमार’ नाम का किरदार दर्शाया था। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था।

    साल 984 में दिलीप दो बड़ी फिल्मो का हिस्सा बने थे। इन फिल्मो का नाम ‘मशाल’ और ‘दुनिया’ था। फिल्म ‘मशाल’ के निर्देशक ‘यश चोपड़ा’ थे और फिल्म में दिलीप ने ‘विनोद कुमार’ नाम का किरदार दर्शाया था। फिल्म ‘दुनिया’ के निर्देशक ‘रमेश तिवारी’ थे और फिल्म में दिलीप ने ‘मोहन कुमार’ नाम का किरदार दर्शाया था। यह दोनों ही फिल्मो को दर्शको ने बहुत पसंद किया था।

    साल 1986 में उन्हें फिल्म ‘कर्मा’ में देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘सुभाष घई’ थे और फिल्म में दिलीप के किरदार का नाम ‘जेलर विश्वनाथ प्रताप सिंह’, ‘राणा’ और ‘दादा ठाकुर’ था। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को दिलीप कुमार, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, श्रीदेवी, पूनम ढिल्लों और अनुपम खेर ने दर्शाया था। फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में अच्छी कमाई के साथ अपना नाम ब्लॉकबस्टर फिल्मो की सूचि में दर्ज किया था।

    साल 1986 के बाद के सालो में भी दिलीप को फिल्म ‘कानून अपना अपना’ और ‘इज़्ज़दार’ में देखा गया था लेकिन दर्शको को यह फिल्म कुछ खास पसंद नहीं आई थी। इसके बाद साल 1991 में उन्होंने फिल्म ‘सौदागर’ में अभिनय किया था। फिल्म में उनके किरदार का नाम ‘ठाकुर वीर सिंह’ था। इस फिल्म को दर्शको ने बहुत पसंद किया था। इसके बाद साल 1998 में दिलीप ने अपनी आखरी फिल्म में अभिनय किया था जिसका नाम ‘क़िला’ था। यह फिल्म भी दर्शको को ठीक ठाक पसंद आई थी।

    साल 2000 से 2006 तक दिलीप कुमार भारतीय नेशनल कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा के सदस्य के रूप में जाने गए थे। फिलहाल दिलीप को कभी कभी किसी अवार्ड्स शोज में देखा जाता है।

    पुरस्कार और उपलब्धियां

    दिलीप कुमार ने अपने अभिनय की वजह से कई सारे अवार्ड्स को अपने नाम किया है। इसके अलावा भी उन्हें निजी जीवन में कई सारे सम्मानों से सम्मानित किया जा चूका है, जिनमे से कुछ की जानकारी निचे मौजूद है।

    • साल 1991 में ‘पद्मा भूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
    • साल 1994 में ‘दादासाहेब फाल्के’ अवार्ड्स से सम्मानित किया गया था।
    • साल 1998 में पाकिस्तान सरकार की तरफ से उन्हें ‘निशान-ए-इम्तिआज़’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
    • साल 2015 में ‘पद्मा विभूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

    दिलीप कुमार पर लिखी गई किताब

    • साल 2014 में ‘उदयात्रा नैयर’ द्वारा लिखी गई किताब ‘दिलीप कुमार: द सब्सटांस एंड द शैडो’ थी।

    दिलीप कुमार का निजी जीवन

    दिलीप कुमार का नाम सबसे पहले अभिनेत्री ‘कामिनी कौशल’ के साथ जोड़ा गया था। उन दोनों ने एक दूसरे के साथ कुछ समय बिताया था, जिसके बाद दोनों ने अलग होने का फैसला किया था। दिलीप का नाम कामिनी के बाद अभिनेत्री ‘मधुबाला’ के साथ भी जुड़ा था। दोनों ने कुछ फिल्मो में एक साथ अभिनय किया था जहाँ से इनकी जान पहचान आगे बड़ी थी। इसके बाद दिलीप ने अभिनेत्री ‘सायरा बनु’ को भी डेट किया था और उनसे साल 1966 में शादी की थी।

    साल 1980 में दिलीप का दिल ‘अस्मा रेहमान’ पर आया था और उन्होंने उनसे शादी की थी। दिलीप की यह दूसरी शादी केवल 2 साल तक ही चली थी और साल 1983 में उन्होंने अस्मा को तलाख देने का फैसला लिया था। फिलहाल दिलीप अपनी पहली पत्नी सायरा के साथ मुंबई में ही रहते हैं। दिलीप कुमार के कोई बच्चे नहीं हैं।

    दिलीप कुमार को हिंदी भाषा के अलावा उर्दू, हिंदको, पंजाबी, भोजपुरी, मराठी, अंग्रेजी, बंगाली, गुजरती, पश्तो और फ़ारसी भाषाय भी अच्छे से आती हैं। दिलीप को उर्दू भाषा में अच्छी पकड़ होने की वजह से उन्होंने स्क्रिप्ट लिखने का काम भी शुरू किया था। अभिनेता ‘राज कपूर’ और ‘देव आनंद’ दिलीप कुमार के बहुत अच्छे दोस्त हैं।

    दिलीप के पसंदीदा चीज़ो की बात करे तो उन्हें अभिनेत्रियों में सबसे अधिक मीना कुमारी और नलिनी जयवंत पसंद हैं। दिलीप का पसंदीदा खेल ‘क्रिकेट’ है। उनका पसंदीदा रंग ‘काला’ है। दिलीप ने साल 2011 में, अपने 89वे जन्मदिन पर सोशल मीडिया ‘ट्विटर’ पर अपना अकाउंट बनाया था और अपने सभी फैंस को जन्मदिन की शुभ-कामनाओ के लिए धन्यवाद कहा था।

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