Sat. Apr 20th, 2024

    तालिबान ने शुक्रवार को अफ़ग़ानिस्तान के और कई प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया है। जानकारों का मानना है कि तालिबान अब अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण लेने की कोशिश में लगा हुआ है। इसके साथ ही विद्रोही अब देश की राजधानी काबुल के बेहद करीब पहुंच गए हैं। इसको देखते हुए अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने नागरिकों को राजधानी से निकालने के लिए हजारों सैनिकों को तैनात किया है।

    काबुल से केवल 50 किलोमीटर दूर

    अमेरिका और ब्रिटेन ने निकासी के आदेश तब दिए जब तालिबान ने विद्रोह के गढ़ में देश के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर भी नियंत्रण कर लिया। सरकार के नियंत्रण में अब केवल काबुल, मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद जैसे शहर ही बचे हैं। एक स्थानीय सांसद ने कहा कि तालिबान ने काबुल से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर लोगर प्रांत की राजधानी पुल-ए-आलम शहर पर भी कब्जा कर लिया है।

    इससे पहले शुक्रवार को कंधार में अधिकारियों और निवासियों ने बताया था कि सरकारी बलों ने इस दक्षिणी शहर के बाहर एक सैन्य सुविधा में अपना गढ़ बना लिया है।

    लश्कर गाह भी तालिबान के कब्ज़े में

    तालिबान के एक प्रवक्ता ने शहर के एक ऐतिहासिक स्थल का जिक्र करते हुए ट्वीट किया कि, “कंधार पूरी तरह से जीत लिया गया है। मुजाहिदीन शहीद चौक पहुंच चुके हैं।” कुछ घंटे बाद तालिबान ने कहा कि उन्होंने पड़ोसी हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्कर गाह पर भी कब्जा कर लिया है।

    एक सुरक्षा सूत्र ने शहर के पतन की पुष्टि करते हुए कहा कि अफगान सेना और सरकारी अधिकारियों ने आतंकवादियों के साथ स्थानीय संघर्ष विराम समझौते के बाद लश्कर गाह को खाली करा लिया था। तालिबान द्वारा शहरी केंद्रों में आठ दिनों के हमले के बाद अब सरकार ने प्रभावी रूप से देश के अधिकांश हिस्से को खो दिया है जिसने काबुल में अमेरिकी समर्थकों को भी स्तब्ध कर दिया है।

    अमेरिका और ब्रिटेन की अपने नागरिकों को निकालने की योजना

    इस बीच वाशिंगटन और लंदन ने गुरुवार देर रात अपने दूतावास के कर्मचारियों और नागरिकों को राजधानी से बाहर निकालने की योजना की घोषणा की। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने संवाददाताओं से कहा, “हम विकसित सुरक्षा स्थिति के संदर्भ में काबुल में अपने नागरिक पदचिह्न को और कम कर रहे हैं।” लेकिन अमेरिकी दूतावास खुला रहेगा।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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