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    डोनाल्ड ट्रम्प

    अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा मुस्लिम देशों पर लगाया यात्रा प्रतिबंध जारी रह सकने उम्मीद जताई जा रही है।

    इस प्रतिबंध की सुनवाई अमरीकी उच्चतम न्यायालय में चल रही है और मुख्य न्यायाधीश जॉन रोबर्ट की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यों की बेंच इस याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

    बुधवार 25 अप्रैल की सुनवाई के दौरान 5 जजों ने राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा दायर की गए यात्रा प्रतिबंध के दुसरे संस्करण पर अपनी सहमती जताई।

    चुनावी वादे और अध्यादेश

    आपको बता दें, अपने चुनावी अभियान के वादे को पूरा करते हुए अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने छह मुस्लिम बहुसंख्य देशों के नागरिकों की अमरीका यात्रा पर रोक लगा दी थी। यह देश मुख्य तौर पर मध्यपूर्व एशिया और उत्तरी अफ्रीका में स्थित हैं।

    • सीरिया
    • ईरान
    • यमन
    • सोमालिया
    • लीबिया

    पिछले साल सितम्बर में अध्यादेश द्वारा लागु किए गए इस आदेश के अनुसार, 5 मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों की अमरीका में यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया था। मुख्य अध्यादेश में इराक,चाड,सूडान भी शामिल थे, लेकिन बाद मे उन्हें इस सूची से हटा दिया गया,जबकि वेनेस़ुएला और उत्तरी कोरिया पर आतिरिक्त प्रतिबंध लगाए गए।

    आपको बतादे,अपने इस अध्यादेश का बचाव करते हुए ट्रम्प ने कहा, “इस कानून का उद्देश,अमरीका को बढ़ते इस्लामी कट्टरपंथियों से बचाना है”। ट्रम्प प्रशासन का पक्ष रखेने का काम मुख्य अधिवक्ता नोएल फ्रंस्सिस्को कर रहे हैं।

    राज्यों की नाराजगी और कोर्ट का फैसला

    इस आदेश के लागु होने के बाद कई राज्यों ने इस पर अपनी नाराजगी जताई और इसे भेदभाव से प्रेरित कदम बताया। इस फैसले का विरोध करने वाले राज्यों में हवाई सबसे आगे हैं। हवाई राज्य और मुस्लिम अमेरिकन ग्रुप ने इस फैसले को असंवैधानिक और मुलभुत अधिकारों का हनन बताते हुए अमरीकी उच्चतम न्यायलय में चुनौती दी है।

    इस विषय पर उच्चतम न्यायलय के जजों में आम सहमती नहीं बन पा रही हैं और ऐसा लग रहा हैं,की जज दो गुटों में बट गए हो।

    यह यात्रा प्रतिबंध राष्ट्रपति ट्रम्प की शरणार्थी नीती का एक मुख्य पहलु हैं। इस यात्रा प्रतिबंध को राष्ट्रपति ट्रम्प की क़ानूनी परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है,अगर ट्रम्प यह केस जीत जाते हैं।तो इसे ट्रम्प की जीत के तौर पर देखा जाएगा।

    मुख्य न्यायाधीश रोबर्ट्स के कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा में मद्देनजर शरणार्थीयों की आवाजाही पर रोक लगाने का अधिकार राष्ट्रपति के पास हैं। इससे पहले इस प्रकार की रोक रेगन और कार्टर के कार्यकाल के दौरान भी लगाई गयी थी।”

    इस विषय पर कोर्ट का अंतिम फैसला आना अभी बाकि है मगर, फैसला ट्रम्प के पक्ष में आना लगभग तय माना जा रहा है।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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