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    जी 20 समूह के देश

    विषय-सूचि


    जी-20 दुनिया के 20 प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों के सरकारों एवं केंद्रीय बैंक के अध्यक्षों (governors) का एक समूह है।

    इसका कोई अपना संविधान या कानून नहीं है। इसका प्रमुख प्रसंग विश्व आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखना है, हालाँकि इसके बैठक के दौरान उस साल का अपना एक प्रसंग (theme) रहता है।

    भले ही इस समूह का अपना कोई कानून न हो, लेकिन यह विश्व की आर्थिक नीतियां बनाने में काफी योगदान देते हैं।

    इस समूह का निर्माण विश्व के साथ औद्योगिक देशों (कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, USA, UK एवं जापान) ने मिलकर बनाया था ताकि वह उभरते हुए अर्थव्यवस्था वाले देशों के साथ मिलकर विश्व की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए काम कर सके।

    जी-20 का उद्देश्य (relevance of g20 in hindi)

    इसका प्रमुख उद्देश्य बातचीत के द्वारा अन्तराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को प्रोत्साहन देना है। यह ऐसे मुद्दों को भी हल करने की कोशिश करता है जो किसी संगठन द्वारा खुद से हल नहीं हो पा रहा हो।

    जी-20 के सदस्य देश (members of g20 in hindi)

    वर्तमान में युरोपियन यूनियन के अलावा 19 देश इस समूह के सदस्य हैं – भारत, ब्राज़ील, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जर्मनी, फ्रांस, इण्डोनेशिया, जापान, दक्षिणी कोरिया, इटली, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिणी अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।

    युरोपियन कमीशन एवं युरोपियन केंद्रीय बैंक युरोपियन यूनियन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

    जी-20 का इतिहास (history of g20 in hindi)

    जी-20 की खोज साल 1999 में हुई थी एवं इसकी पहली बैठक जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद खोजे गए संगठनों में से जी-20 एक है।

    यह विश्व के 85% GWP (Gross World Product), 80% व्यापर एवं दो तिहाई जनसंख्या वाले देशों को मिलाकर उनका प्रतिनिधित्व करता है।

    जी-20 की वर्तमान स्थति (present condition of g20 in hindi)

    2007-08 के वित्तीय संकट के बाद G-20 की महत्वता बढ़ गयी। इसके बाद 2008 में  सदस्य देशों के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति पहली बार एक साथ USA की राजधानी वाशिंगटन में एक साथ मिले।

    इससे पहले के सम्मलेन में केवल वित्तीय मंत्री का केंद्रीय बैंकों के गवर्नर ही मिलते थे, इसके बाद उनके लिए G-20 का अलग सम्मलेन होने लगा।

    इसके बाद होने वाले सम्मेलनों में धनी देशों के साथ उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं जैसे अर्जेंटीना, भारत, दक्षिणी अफ्रीका को भी शामिल किया गया। वर्तमान में यह सम्मलेन साल में एक बार होता है।

    सदस्य देशों को पांच भागों में विभाजित किया गया है। हर भाग के हिसाब से एक देश को हर साल सम्मलेन के अध्यक्ष की कुर्सी मिलती है। इस साल भारत को इस अध्यक्ष की कुर्सी मिली हुई है। कोई भी निर्णय सभी देश एक साल मिलकर लेते हैं।

    जी-20 के मेहमान सदस्य (guest member countries of g20)

    हर साल G-20 सम्मलेन में स्पेन, ASEAN समूह का कोई एक देश, दो अफ्रीकी देश और किसी अन्य देश को बुलाया जाता है। इसके अलावा अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक आदि के भी अधिकारी भी इस सम्मेलन में भाग लेते हैं।

    इस संगठन को कई बार आलोचनाओं को भी झेलना पड़ा है। जैसे कि इसने अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं जैसे बेल्जियम, नॉर्वे, पोलैंड आदि को सदस्यता नहीं दी है।

    भले ही G-20 का उद्देश्य विश्व की अर्थव्यवस्था को बनाए रखना है, लेकिन यह गरीब देशों के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। अफ्रीका का सिर्फ एक देश इस संगठन का सदस्य है। सम्मलेन के कई निर्णयों को बाहर नहीं किया जाता।

    कई बार धनी एवं गरीब देशों के बीच तालमेल व दोस्ती नहीं होने के कारण कई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिए जाते।

    आप अपने सवाल एवं सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं।

    One thought on “G-20 समूह के देश”

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