काउंसिल के फैसले के बाद से आवासीय निर्माण सेवाओं की बिक्री में 12 फीसदी जीएसटी दर में आने की उम्मीद जताई जा रही है। अब डेवलपर्स आवासीय इकाइयों के निर्माण से पहले घरेलू खरीददारों को 12 फीसदी स्लैब के हिसाब बिक्री कर सकते हैं। जीएम फाइनेेंशियल रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी स्लैब में किए गए बदलाव के बाद कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में ट्रांजेक्शन वैल्यू में 11-12 फीसदी तक की गिरावट हुई है।
जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट अभिषेक आनंद के मुताबिक यदि डेवलपर्स पूरी तरह से क्रेडिट पर आधारित रहकर कीमतों को नीचे लाते हैं, तो घर खरीदारों को जीएसटी स्लैब के तहत लाभ मिलेगा।
क्या जीएसटी घरेलू खरीददारों की मदद करेगा?
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत टैक्स 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा। ऐसे में डेवलपर्स प्रॉपर्टी निर्माण में खरीदे और खर्च किए गए सभी सामानों और सेवाओं पर इनपुट क्रेडिट का लाभ उठाने में सक्षम होंगे। वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि इनपुट सामग्री जैसे सीमेंट और इस्पात की कीमतों में अचानक इजाफा देखने को मिल सकता है।
यही नहीं रेत की आपूर्ति भी मानसून पर ही आधारित होती है। ऐसे में डेवलपर्स टैक्स क्रेडिट का लाभ पूरी तरह नहीं उठा सकते हैं।
वैसे जिस डेवलपर्स की परियोजनाएं प्रारंभिक चरण में है, जीएसटी स्लैब के जरिए अधिक से अधिक लाभ उठाने में सक्षम होंगे।
निर्माणाधीन संपत्ति पर जीएसटी
जिस प्रकार से आवासीय परियोजनाओं के सेवा कर में छूट दी गई है, ऐसे में जीएसटी स्लैब के अनुसार घर सस्ते हो सकते हैं। नए जीएसटी स्लैब के अनुसार इस्पात को 18 फीसदी, सीमेंट को 28 प्रतिशत, संगमरमर और ग्रेनाइट को 28 प्रतिशत, संगमरमर और ग्रेनाइट के ब्लॉक को 12 प्रतिशत, इसके बाद रेत चूने वाली ईंटें और फ्लाई ऐश ईंटों को 12 फीसदी में रखा गया है।
वहीं प्राकृतिक रेत, कंकड़, बजरी आदि 5 प्रतिशत स्लैब में निर्धारित की गई हैं। केवल सीमेंट, संगरमर और ग्रेनाइट ही 28 फीसदी स्लैब के तहत रखी गई हैं। बाकी निर्माण सामग्रियां सस्ती कर दी गई हैं।
तैयार प्रॉपर्टी पर जीएसटी
नए जीएसटी स्लैब के मुताबिक अफोर्डेबल हाउस बिल्कुल सस्ते हो सकते हैं। वर्तमान में डेवलपर्स सीमेंट तथा स्टील जैसे सामानों पर क्रमश: 28 तथा 18 फीसदी जीएस रेट से पेमेंट कर रहे हैं। वहीं ग्रेनाइट आदि की कीमतें भी 28 फीसदी रेट पर ही निर्धारित हैं। लेकिन बाकी सभी सामग्रियां 12 तथा 5 फीसदी के तहत बिल्कुल सस्ती कर दी गई हैं।
यदि भूमि सहित पूरी लागत पर 12 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है, ऐसे में यह राशि डेवलपर्स के इनपुट क्रेडिट के लिए पर्याप्त होगी। इस प्रकार कोई भी खरीददार घर खरीदते समय टैक्स के बोझ से बच सकता है।
किराए की प्रॉपर्टी पर जीएसटी
बीडीओ इंडिया के अमित सरकार के मुताबिक यदि डेवलपर प्रॉपर्टी को किराए पर लेने का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें क्रेडिट का लाभ नहीं मिल सकता है। ऐसे में हमें वाणिज्यिक किराए में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
केवल रहने के दृष्टिकोण से आवासीय संपत्तियों के किराए पर जीएसटी लगाया गया है, ऐसे में प्रॉपर्टी का किराएदारों को ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है। अन्यथा मौजूदा सिस्टम में आवासीय संपत्तियों पर कोई सेवा कर लागू नहीं है।