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    जीएसटी

    शनिवार को केंद्रीय सरकार द्वारा एक रिपोर्ट में बताया गया की वित्तवर्ष 2018-19 में इस जनवरी में तीसरी बार ऐसा हुआ है की माल एवं सेवा कर का मासिक संगृह 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा हुआ है।

    पिछले महीनों का जीएसटी संग्रह :

    बिजनेस टुडे के मुताबिक जनवरी में पिछले महीनों के मुकाबले जीएसटी संग्रह में एक तेज़ बढ़ोतरी देखी गयी है। बता दें की पिछले दो महीनो से जीएसटी के संग्रह में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी। इस वर्ष दिसंबर 2018 में 94,725 करोड़ रुपये का संग्रह, और नवम्बर में 89,825 करोड़ रुपये का संग्रह जोकि जनवरी 2018 की तुलना में 14 प्रतिशत कम है।

    जनवरी माह ऐसा तीसरा माह है की जब जीएसटी में 1 लाख करोड़ से ज्यादा का संग्रह हुआ है। इससे पहले अप्रैल और अक्टूबर माह में भी संग्रह 1 लाख करोड़ से ऊपर रहा था। इन महीनो में संग्रह क्रमशः 1,03,458 करोड़ और 1,00,710 करोड़ रहा था।

    जीएसटी संग्रह अप्रैल में 1.03 लाख करोड़ रुपये, मई में 94,016 करोड़ रुपये, जून में 95,610 करोड़ रुपये, जुलाई में 96,483 करोड़ रुपये, अगस्त में 93,960 करोड़ रुपये, सितंबर में 94,442 करोड़ रुपये, अक्टूबर में 1,00,710 करोड़ रुपये रहा, नवंबर में 97,637 करोड़ और दिसंबर 2018 में 94,725 करोड़ रुपये रहा था।

    जनवरी महीन के संग्रह की जानकारी :

    जनवरी माह में जीएसटी 1,02,503 करोड़ रहा जोकि पिछले महीने की तुलना में 8 प्रतिशत ज्यादा है और नवम्बर माह से करीब 14 प्रतिशत ज्यादा है। जनवरी 31, 2019 तक कुल 73.3 लाख सेल्स रिटर्न फाइल किये गए थे। सरकार ने नियमित निपटान के रूप में सीजीएसटी को 18,344 करोड़ रुपये और आईजीएसटी से एसजीएसटी को 14,677 करोड़ रुपये दिए हैं।

    वित्तमंत्रालय ने दी जानकारी :

    जीएसटी के 1 लाख करोड़ पार होने के बाद वित्त मंत्रालय द्वारा रिपोर्ट जारी की गयी थी इसमें कहा गया था “जनवरी 2019 में कुल सकल जीएसटी राजस्व 1,02,503 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्रीय जीएसटी 17,763 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) 24,826 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) 51,250 करोड़ रुपये और उपकर 8,690 करोड़ रुपये है।”

    पियूष गोयल ने बजट भाषण में किया जिक्र :

    इस वर्ष के अपने बजट भाषण में, केंद्रीय मंत्रालय पीयूष गोयल ने कहा था: “जीएसटी के परिणामस्वरूप टैक्स बेस, उच्च संग्रह और व्यापार में आसानी हुई है। इससे करदाता और सरकार के बीच दिन के संचालन और आकलन के लिए इंटरफ़ेस कम हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग और ई-वे बिल प्रणाली के साथ, अंतर-राज्य आंदोलन “बिना प्रवेश कर, चेक पोस्ट और ट्रक कतारों के साथ” अधिक तेज़, अधिक कुशल और परेशानी मुक्त हो गया है।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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