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स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा, एनएमसीजी) को 2014 में गंगा नदी को साफ करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के कार्यक्रम के रूप में चलाया गया था। जिसमें से अब तक 15,074 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं।

इस 15,074 करोड़ रुपये की राशि में से भी केवल ₹10,972 करोड़ या लगभग दो-तिहाई ही वित्त मंत्रालय द्वारा एनएमसीजी को जारी किया गया है। यह जानकारी जल शक्ति मंत्रालय ने सोमवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी है। एनएमसीजी आगे उन राज्यों को धन आवंटित करता है जहाँ से गंगा नदी हो कर गुज़रती है।

जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि नदी की सफाई और कायाकल्प के लिए घरेलू सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट, ठोस अपशिष्ट और रिवर फ्रंट के उपचार के लिए कई हस्तक्षेप किए गए हैं। प्रबंधन, पारिस्थितिक प्रवाह को बनाए रखना, ग्रामीण स्वच्छता, वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण और सार्वजनिक भागीदारी भी इसमें शामिल है। गंगा सफाई मिशन के लिए नियोजित परिव्यय, भविष्य की लागतों के लेखांकन सहित 20,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

राज्यसभा में दिए गए जवाब में जल शक्ति मंत्री ने बताया कि कुल मिलाकर ₹30,234 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत पर 346 परियोजनाओं को लिया गया था, जिनमें से 158 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।

एनएमसीजी के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि एजेंसी ने स्वीकृत लागत को पूरा करने के लिए फण्ड के लिए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया था। एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक डी.पी. मथुरिया ने कहा कि, “आवंटित निधियों में से कुछ 1985 से गंगा सफाई कार्यक्रमों में निवेश को दर्शाती हैं। स्वीकृत राशि बहुत अधिक है क्योंकि वे वर्तमान से 15 वर्षों तक सरकारी सहायता के साथ सीवेज उपचार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी शामिल करती हैं।” शेखावत ने कहा कि यह फंडिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि 30 जून तक नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत एनएमसीजी के पास 1,040.63 करोड़ रुपये उपलब्ध थे।

उत्तर प्रदेश (₹3,535 करोड़) को सबसे अधिक राशि आवंटित की गयी है। इसके बाद बिहार (₹2,631 करोड़), बंगाल (₹1,030 करोड़) और उत्तराखंड (₹1001 करोड़) का स्थान आता है।

एनएमसीजी की ओर से 17 जुलाई को जारी एक बयान में कहा गया है कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड में गंगा के किनारे के कस्बों के लिए सीवरेज परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं और मिशन प्राथमिकता के साथ गंगा की सहायक नदियों के कायाकल्प पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

By आदित्य सिंह

दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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