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    सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान

    पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आलोचनायें की जा रही है। तुर्की की अदालत ने बुधवार को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के दो करीबी अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी का सामान जारी किया है। इस्तांबुल के प्रमुख अभियोक्ता के दफ्तर ने अहमद अल अस्सिरी और सूद अल कहतानी के गिरफ्तारी वारंट को प्राप्त करने के लिए याचिका दयार की थी, इसके तहत दोनों अधिकारी पत्रकार की हत्या के साजिशकर्ता थे।

    इस याचिका पर अदालत ने दोनों अधिकारियों को पत्रकार की बर्बरता पूर्वक हत्या में संलिप्त पाया और गिरफ्तार का आदेश दिया था। सऊदी अरब के मुताबिक क्राउन प्रिंस की पत्रकार की हत्या से कोई सम्बन्ध नहीं है और इसमें डोनाल्ड ट्रम्प उन्हें पूरा समर्थन कर रहे हैं। सऊदी प्रशासन क्राउन प्रिंस की पत्रकार से हत्या से जुड़े सभी सबूतों को मिटा रहा है।

    अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी की रिपोर्ट

    अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के रिपोर्ट जारी कर बताया कि पत्रकार जमाल खशोज्जी की हत्या के पीछे सऊदी अरब के ताकतवर सलमान बिन का हाथ है। द वांशिगटन पोस्ट ने स्टोरी कर बताया कि 15 सऊदी अरब के एजेंट तुर्की स्थित सऊदी दूतावास में पत्रकार की हत्या करने के लिए आये थे। हालांकि सीआईए ने इन आरोपों को खारिज किया है।

    पत्रकार जमाल खसोज्जी अपनी तुर्की की मंगेतर से शादी करने के लिए दूतावास में आये थे। सऊदी अरब के दूतावास में पत्रकार को हत्या की गई और शव लापता कर दिया गया था। रियाद ने शुरुआत में इसकी सूचना होने से इनकार कर दिया था हालांकि बाद मे प्रिंस सलमान बिन ने गुनाह को कबूल करते हुए कहा कि पूछताछ के दौरान पत्रकार को हत्या की गई थी।

    डोनाल्ड ट्रम्प का मोहम्मद बिन सलमान को समर्थन

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में जारी अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी की रिपोर्ट को खारिज किया है। ख़ुफ़िया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के आदेश सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दिए थे।

    सऊदी अरब के बादशाह और क्राउन प्रिंस के इस हत्या में शामिल होने के आरोपों को नकारते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि शायद विश्व उन्हें इस क़त्ल का गुनागार मानता हो, क्योंकि यह दुनिया बेहद दोषपूर्ण स्थान है। आलाचकों ने डोनाल्ड ट्रम्प के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि वह मानव अधिकार को नज़रंदाज़ कर, सऊदी अरब को आर्थिक कारणों से क्लीन चिट दे रहे हैं। ताकि वह तेल बाज़ार पर अपना प्रभुत्व कायम कर सके।

    डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते हफ्ते कहा था कि इस हत्या के कारण वे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और पर कठिन पाबंदियां नहीं लगायेंगे। उन्होंने कहा था कि मेरी नीति साफ़ है, अमेरिका पहले, अमेरिका को दोबारा महान बनाना और इसके लिए मैं ये सब कर रहा हूं। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि सऊदी अरब के बादशाह और क्राउन प्रिंस ने कबूल किया है कि उन्होंने यह नृशंस कृत्य नहीं किया है।

    उन्होंने कहा कि यह भयावह है, आपसे ज्यादा मैं इसे नापसंद करता हूँ लेकिन सऊदी के व्यापार के कारण अमेरिका  की पूँजी बढ़ेगी, नौकरियों में इजाफा होगा और सबसे महत्वपूर्ण वे तेल के कीमतों को कम रखने में समर्थ है। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि मुझे अपराधों से सख्त नफरत है, जो हुआ मुझे उससे नफरत है और मैं बताना चाहूँगा कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को यह मुझसे ज्यादा नापसंद है।

    अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हो सकता है क्राउन प्रिंस ने हत्या करवाई हो, शायद ना भी करवाई हो लेकिन सऊदी अरब हमारा सबसे महत्वपूर्ण मित्र देश है।

    अमेरिका में क्राउन प्रिंस और डोनाल्ड ट्रम्प की आलोचना

    अमेरिका में डेमोक्रेट की पूर्व राष्ट्रपति प्रत्याशी हिलारी क्लिंटन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का सत्य सबसे छुपा रहे हैं। हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि हमने राष्ट्रपति तुर्की में स्थित दूतावास में हुई घटना को सबसे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

    तुर्की के राष्ट्रपति रिच्चप तैयप्प एर्डोगन ने बताया कि पत्रकार को हत्या के आदेश सऊदी के हाई कमान ने दिए थे। उन्होंने कहा था कि पत्रकार को हत्या पूर्व नियोजित थी जिसे अंजाम देने के लिए सऊदी से 15 लोगों की एक टीम आई थी।

    तुर्की ने दावा किया था कि उनके पास पत्रकार की हत्या से संबंधी ऑडियो रिकॉर्डिंग है और इससे साबित हो जाएगा कि हत्या हाई कमान के इशारे पर की गई थी। अमेरिका ने रिकॉर्डिंग में प्रिंस सलमान के शामिल होने के सबूतों से इनकार किया था।

    शाही परिवार में बगावत की बू

    राजशाही परिवार के कई राजकुमार और क्राउन प्रिंस के भाई मोहम्मद बिन सलमान को सत्ता में नहीं देखता चाहते हैं। परिवार के सदस्यों ने विमर्श किया कि क्राउन प्रिंस के पिता की मौत के बाद बादशाह के भाई 76 वर्षीय प्रिंस अहमद बिन अब्दुलअज़ीज़ को नया बादशाह नियुक्त किया जाए।

    प्रिंस अहमद ढाई माह पूर्व विदेश से वापस सऊदी अरब लौटे थे। सूत्रों के मुताबिक प्रिंस अहमद ने लन्दन में सऊदी नेतृत्व की आलोचना की थी। वह राजशाही परिवार के उन सदस्यों में से है, जो मोहम्मद बिन सलमान को नए बादशाह के तख़्त पर नहीं देखना चाहते हैं।

    सऊदी अरब के राजशाही परिवार में सैकड़ों प्रिंस हैं। यूरोप के राजतन्त्र की तरह यहाँ बड़े पुत्र को विरासत में राजगद्दी नहीं दी जाती हैं। अगले नेतृत्व के चुनाव के लिए राजशाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य और बादशाह के मध्य चर्चा होती है। अमरीकी सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ हफ़्तों में सऊदी अरब के सलाहकारों ने प्रिंस अहमद का समर्थन किया है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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