Fri. Mar 29th, 2024
    raman-singh-karuna-shukla

    छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ राजनंदगांव से कांग्रेस ने भाजपा के शिखर पुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को मैदान में उतार कर भाजपा को चौका दिया था।

    कांग्रेस के लिए ये सिर्फ रमन सिंह के खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार को उतारना भर नहीं था बल्कि वाजपेयी जी की विरासत पर दावा ठोक उसे भाजपा के खिलाफ ही इस्तमाल करने की रणनीति है। इसी साल अगस्त महीने में अटल जी का निधन हो गया था।

    कैम्पेन के दौरान करुणा भी बार बार वाजपेयी के नाम का इस्तमाल कर ना सिर्फ उनकी विरासत पर दावा ठोक रही है बल्कि जनता से भावनात्मक रूप से जुड़े वाजपेयी के नाम पर सहानुभूति वोट लेने की भी कोशिश करती नज़र आती हैं। कैम्पेन के दौरान करुणा कहती हैं ‘भाजपा ने अपना चल, चरित्र और चेहरा बदल लिया है। अब ये वो पार्टी नहीं है जो अटल जी और आडवाणी जी ने शुरू किया था। राज्य के लोग इसे भली भांति जानते हैं।’

    पिछले महीने करुणा के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कार्यकर्ता रायपुर में भाजपा ऑफिस तक पहुँच गए थे, वाजपेयी की अस्थियों को लेने के लिए। वाजपेयी के निधन के बाद भाजपा ने उनकी अस्थियों के हर राज्य के कार्यालयों में भिजवाया था ताकि वृहद् रूप से उसका विसर्जन किया जा सके।

    करुणा ने आरोप लगाया था कि अभी तक भाजपा ने उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं किया है। ये हिन्दू परंपरा के साथ साथ वाजपेयी का भी अपमान है।

    करुणा शुक्ला ने 30 साल भाजपा के साथ बिताने के बाद 2014 में कांग्रेस में शामिल हो गयीं थीं। उन्होंने पार्टी में कई पदों पर रहते हुए काम किया और पार्टी की महिला मोर्चा की अध्यक्ष तक बनी। करुणा ने भाजपा के टिकट पर जांजगीर लोकसभा सीट से 2004 में जीत हासिल की लेकिन 2009 में कोरबा संसदीय सीट से हार गईं। उन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ज्वाइन कर लिया और बिलासपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरी लेकिन 1.76 लाख वोटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। ये हार अप्रत्याशित नहीं था क्योंकि बिलासपुर भाजपा का वो गढ़ था जहाँ से वो 1996 से जीतती आ रही है और फिर 2014 में मोदी लहर में तो बड़े बड़े सूरमा उखड गए थे।

    अब वो भाजपा के एक और गढ़ राजनंदगांव से मैदान में है। करुणा और रमन दोनों ही वाजपेयी की विरासत को भुना रहे हैं। रमन वो शख्स हैं जो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने से पहले वाजपेयी कैबिनेट में राजयमंत्री थे।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *