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    कर्मचारियों की संख्या में कटौती

    स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि वित्तीय वर्ष 2018 में बैंक कर्मचारियों की संख्या में कटौती संभव है। हांलाकि जहां एसबीआई के कस्टमर्स की इतनी बड़ी संख्या है, ऐसे में कर्मचारियों की आवश्यकता तो होगी ही।

    उन्होंने कहा, अगर आप मुझसे यह पूछेंगे कि क्या इस साल की शुरूआत में एसबीआई के कुल कर्मचारियों की संख्या 278,000 बरकरार रहेगी?, तो मैं यही कहूंगा कि ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। एसबीआई कर्मचारियों की कुल संख्या 278,000 में कटौती संभव है।

    रजनीश कुमार ने कहा कि टेक्नोलॉजी और डिजिटल मोर्चे पर बैंक जो कुछ भी कदम उठा रहा है, उसमें निश्चित रूप से लागत आ रही है। उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक आॅफ इंडिया टेक्नोलॉजी पर प्रतिवर्ष 4,000 करोड़ रुपये खर्च करता है, हांलाकि इसमें अभी एटीएम खर्च शामिल नहीं किया गया है। इस खर्चें में साल दर साल वृद्धि होती ही जा रही है।

    गौरतलब है कि एसबीआई कोई पहला बैंक नहीं जो तकनीकी कारणों से कर्मचारियों की संख्या में कटौती कर रहा है, बल्कि सितंबर 2016 से सितंबर 2017 के बीच एचडीएफसी बैंक के कुल कर्मचारियों की संख्या 95,002  से घटकर मात्र 86,543 रह गई।

    उपनिदेशक एमडी परेश सक्थंकर का कहना है कि सितंबर 2016 में यह आंकड़ा अपने शीर्ष पर था लेकिन बाद में बैंक ने अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती की। हांलाकि वित्तीय वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 83,750 हो गई।
    सितंबर 2017 में यस बैंक ने भी 2500 कर्मचारियों को हटाए जाने की सूचना दी थी। इन कर्मचारियों को खराब परफार्मेंस, कार्य क्षमता में कमी तथा डिजिटलाइजेशन आदि की वजह से ​हटा दिया गया।