Tue. Apr 16th, 2024
    चीन राष्ट्रपति

    चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाल ही में दूसरी बार देश के राष्ट्रपति चुने गए है। दूसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद शी जिनपिंग देश के सबसे ताकतवर नेता के तौर पर उभरे है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख के तौर पर शी जिनपिंग का चीन में प्रभाव काफी बढ़ा है। लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासनकाल में सबसे बड़ी दुर्दशा मानव अधिकारों की हो रही है।

    आमतौर पर चीन में शी जिनपिंग को ताकतवर नेता का दर्जा प्राप्त है। लेकिन चीन में मानव अधिकारों के उल्लंघन की बात काफी समय से सामने आ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये शी जिनपिंग के कार्यकाल में बढ़ा है।

    चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती जा रही है और इसके वैश्विक प्रभाव मे भी बढ़ोतरी हो रही है। चीन में युवा नागरिकों को वापस से राजनीतिक पार्टी की गतिविधियों को दैनिक जीवन में पुन: सम्मिलित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।

    चीन में मानवाधिकारों की स्थिति बेहद खराब

    विभिन्न शोधकर्ताओं व विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में मानवाधिकारों के प्रति काफी गंभीर स्थिति बनी हुई है। हमें वर्तमान में सुधार का कोई संकेत नहीं मिल रहा है। इनका मानना है कि जो भी चीनी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है उसे दबाया जा रहा है व उस पर अत्याचार किए जा रहे है। इसे शी जिनपिंग की दमनकारी नीतियां मानी जा रही है।

    चीन में मानवाधिकार की दुर्दशा वर्तमान में काफी खराब कहीं जा रही है। इसे शी जिनपिंग सरकार की बड़ी विफलता कहीं जा रही है। इसके कई उदाहरण सामने आए है। चीन में ऐसी कई घटनाएं सामने आई है जब चीनी सरकार ने नागरिकों को उनके खिलाफ आवाज उठाने के आरोप में सजा दी है।

    चीनी सरकार दे रही है यातनाएं

    एक चीनी प्रचारक के अनुसार चीन में कैदियों के साथ यातना, दुर्घटना, उत्पीड़न और भेदभाव लगातार बढ़ रहा है। साथ ही चीनी सरकार की मानवाधिकार नीतियों को निराशावादी करार दिया। चीन में कई मानवअधिकार कार्यकर्ताओं ने अपनी जान तक गंवाई है।

    नोबेल शांति पुरस्कार विजेता लियू ज़ियाओबो को चीनी सरकार की सत्ता को खत्म करने के लिए उकसाने पर 11 साल की सजा सुनाई गई थी। बाद में इनकी मौत हो गई थी। इतना ही नहीं लियू ज़ियाओबो की पत्नी लियू ज़िया को उनके घर में कैदी की तरह रखा गया। चीन की वर्तमान कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार से लोगों में असंतोष बढ़ रहा है।

    लेखक और अधिकार प्रचारक यांग टोंगयान को 1989 की दंड की आलोचना के लिए 12 साल की सजा सुनाई गई थी लेकिन उससे पहले ही हाल ही में इनकी मौत हो गई।

    स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से संबंधित एक चीनी कार्यकर्ता ने एक वेबसाइट शुरू की थी जो कि सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करती थी। लेकिन चीनी सरकार ने इसे पिछले नवंबर को हिरासत में लिया। इनके वकील के अनुसार इसके अगले साल तक छूटने की उम्मीद नहीं है।

    इसके अलावा एक अन्य मामले में जेल में बंद कैदी को जेल कमिश्नर ने बेहतर भोजन दिए जाने पर रोक लगा दी है। जबकि ये कैदी किडनी और हृदय रोग सहित कई बीमारियों से ग्रस्त है।

    ऐसे ही कई अन्य मामले भी है जो शी जिनपिंग के कार्यकाल में सामने आए है। इससे स्पष्ट होता है कि चीन में मानव अधिकारों के हालात काफी भयावह है। शी जिनपिंग की सरकार अपने खिलाफ बोलने वाले लोगों को कुचलने में लगी हुई है।