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    चिकनगुनिया (chikungunya in hindi)

    चिकनगुनिया – एक ऐसी बीमारी जिसका कोई इलाज नहीं और तो और यह बीमारी के बाद के प्रभाव इस बीमारी से भी ज्यादा कष्टदायी हैं। यह बीमारी मच्छरों से फैलती हैं।

    सर दर्द की शिकायत, बुखार, बदन टूटना आदि इसके कुछ लक्षणों में से एक हैंं। यह बीमारी लाइलाज कही जाती है किन्तु ऐसी कोई बीमारी या तकलीफ नहीं जिसका घरेलू उपचार ना किया जा सके।

    घरेलू उपचार से ना सिर्फ इस बीमारी के दौरान आराम पड़ता है बल्कि इस बीमारी से होने वाले बाद के प्रभाव भी ख़त्म किए जा सकते हैं।

    विषय-सूचि

    तो आइए जानते हैं इसके कुछ उपचार लेकिन उससे भी पहले जानते हैं कि यह है क्या?

    चिकनगुनिया क्या है? (chikungunya in hindi)

    विशेषज्ञों ने चिकनगुनिया को विषाणु रोगों की श्रेणी में डाला है। चिकनगुनिया एक विषाणु से होता है। यह विषाणु मच्छरों से फैलता है।

    एडीज एल्बोपिक्टस व एडीज एजयिप्टी मछ्छर इस बीमारी को फैलाने का मुख्य कारण है। इस बीमारी का इलाज ढूंढने के लिए अब भी अनुसंधान जारी है।

    डॉक्टर्स इस बीमारी से लड़ने के लिए नॉनस्टॆरोयडल ऐन्टीइनफ्लेमेटरी ड्रग्स् देते हैं। बुखार कम करने की दवाइयाँ भी इस दौरान दी जाती है।

    चिकनगुनिया के लक्षण (chikungunya ke lakshan in hindi)

    चिकनगुनिया के लक्षण तस्वीरें
    चिकनगुनिया के लक्षण की तस्वीर

    इस रोग को शरीर मे आने के बाद इसे फैलने मे 2 से 4 दिन का समय लगता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार है –

    1. तेज बुखार
    2. जोड़ो में दर्द
    3. सर दर्द
    4. जोड़ो में सूजन
    5. उल्टी
    6. चक्कर आना
    7. मांसपेशियों में खिंचाव एवं दर्द
    8. खाज व  खुजली
    9. धड और हाथों एवं पैरों पे चकते बन जाना
    10. प्रकाश से भय लगना

    चिकनगुनिया के घरेलू उपचार (chikungunya treatment in hindi)

    चिकनगुनिया के उपचार के लिए बहुत से घरेलू नुस्खे हैं जिन्हें अपनाकर चिकनगुनिया से खुद को बचाया जा सकता है।

    1. गिलोय

    गिलोय को गुडुची भी कहा जाता है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह अपने इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, ऐन्टीइनफ्लेमेटरी एवं गठिया विरोधी गुणों के लिए जानी जाती है।

    इन सारे गुणों के कारण यह इस बीमारी के दौरान खासा इस्तेमाल की जाती है। यह बुखार के साथ साथ जोड़ो में दर्द व सूजन को कम करती है।

    यह औषधि कीटाणु विरोधी भी है इसी गुण के बदलोत यह शरीर मे मौजूद कीटाणुओं का भी नाश करती है।

    सामग्री – गिलोय की गोलियां

    विधि – कुछ हफ्तों तक इस गोली का सेवन करे। इस गोली को खाना खाने के बाद ले। पूरे दिन में लगभग 1 ग्राम गिलोय का सेवन करे।

    गिलोय की गोलियां 5 साल से छोटे बच्चों का ना दे। 5 साल से बड़े बच्चों को केवल दिन में 250 ग्राम का सेवन कराए एवं बड़े लोग 3 ग्राम से अधिक एक दिन में ग्रहण ना करे।

    2. पपीते की पत्तियाँ

    चिकनगुनिया व डेंगू के दौरान रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा बहुत कम हो जाती है। ऐसा देखा गया है कि पपीते की पत्तियों का सेवन करने से प्लेटलेट्स की मात्रा मे खासा बढ़ोतरी होती है।

    दूसरी ओर पपीते कि पत्तियों मे अंडानाशक गुण पाए जाते हैं जो कि मछ्छरों के अण्डों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

    सामग्री – 6-7 पपीते की ताजी पत्तियां व पानी

    विधि – पपीते की पत्तियों से उसकी डंठल अलग कर ले। इन पत्तियों के छोटे छोटे टुकड़े करे और पानी के साथ मिलाकर इनका घोल बनाए।

    घोल को अच्छी तरह चलाए व इस घोल को छान कर गूदे को अलग कर ले। छाने हुए पानी का सेवन दिन में 3-4 बार करे।

    4-5 चम्मच पानी का सेवन 2-3 दिन तक करे। अगर फिर भी आराम ना मिले तो इसका सेवन चालू रखे।

    अगर आपको पपीते की पत्तियां नहीं मिल रही है तो आप पपीते पत्ति टीनचर ले सकते हैं जो बाजार में असानी से उपलब्ध है।

    3. लहसुन का पेस्ट

    लेहसुन का पेस्ट लगाने से सूजन कम होती है। यह रक्त संचार को भी नियमित करता है। इस पेस्ट को लगाने से जोड़ो के दर्द में बहुत आराम मिलता है।

    सामग्री – 10-12 लेहसुन की कली व पानी

    विधि – लेहसुन को छील कर उसको काट ले। इस कटी हुई लेहसुन को पानी के साथ पीस लीजिए। जो पेस्ट मिला उसको अपने जोड़ो पर लगाए और कुछ घंटो के लिए छोड़ दें। दिन में दो बरी इस उपाय को अपनाए।

    4. हल्दी

    हल्दी के फ़ायदे अनगिनत है। हल्दी मे करक्यूमिन नामक रसायन पाया जाता है जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। इस कारण यह सूजन कम करता है। ये चिकनगुनिया के अन्य लक्षणों से भी लड़ने में काम आती है।

    सामग्री – आधा चम्मच हल्दी व एक ग्लास गरम दूध

    विधि – गरम दूध में हल्दी मिलाए और उसको जब तक चम्मच से चलाए जब तक कि सारी गाँठ ख़त्म ना हो जाए। इसका सेवन रोज सुबह व सोने से पहले करे।

    5. मिर्च

    मिर्च कॅप्सेसिन से भरपूर होती है। मिर्च में ऐन्टीइनफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिसके कारण यह सूजन कम करने में काम आती है। मिर्च हमारे दिमाग की वो कोशिकाएं जो हमें दर्द का एहसास करवाती है उनको बंद कर देती है। इस वजह से हमें दर्द महसूस होना बंद हो जाता है।

    सामग्री – 3 चम्मच लाल मिर्च, 1/2 कप कद्दूकस किया हुआ मधु-मोम एवं 1 कप ऑलिव ऑइल या जोजोबा का तेल या बादाम का तेल (तीनों तेल में से कोई एक)

    विधि – मिर्च को पानी में डालकर अच्छी तरह से उबाल लें। फिर इसमे मधु – मोम डाल कर तब तक चलाए जब तक मोम अच्छी तरह से पिघल ना जाए।

    इसको 10 मिनट तक फ्रीज में ठंडा होने के लिए रखे। 10 मिनट बाद बाहर निकाल कर तेल मिलाए व इसे अच्छे से चलाए और दोबारा ठंडा होने के लिए रख दे।

    जब जरूरत हो तब इस लेप को लगाए। इस लेप को 1-2 हफ्तों के लिए रखा जा सकता है।

    मिर्च पेस्ट बनाते हुए दस्तानों का प्रयोग अवश्य करे।

    6. ठंडी सिकाई

    ठंडी सिकाई हमारे जोड़ो को बहुत आराम देती है। इससे रक्त संचार धीमा हो जाता है जिससे सूजन व दर्द कम होता है।

    सामग्री – बर्फ के टुकड़े व एक तोलिया

    विधि – बर्फ के अच्छे से छोटे छोटे टुकड़े करके तोलिये में लपेट ले। इस से दिन में 2-3 बार सिकाई करे।

    7. मसाज ऑइल

    कैस्टर ऑइल व दालचीनी ऐन्टीइनफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। ये दोनों मिलने के बाद एक दूसरे के सहायक के रूप मे काम करते हैं। इनका मिश्रण जोड़ो की सूजन को कम करता है एवं दर्द भी घटाता है।

    सामग्री – 1 से 2 चम्मच कैस्टर ऑइल एवं 1 चुटकी दालचीनी पाउडर

    विधि – तेल को हल्का गरम करे। इस तेल में दालचीनी पाउडर मिलाए। मिश्रण से दिन में दो से तीन बार मालिश करें।

    8. अंगूर व गाय का दूध

    अंगूर में फिनोलिक कम्पाउंड पाए जाते हैं। इसी कारण से अंगूर एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट भी है। अंगूर में विषाणुओं को ख़त्म करने का सामर्थ्य भी होता है, वही दूसरी ओर गाय का दूध विटामिन एवं कैल्शियम युक्त होता है।

    ये दोनों मिलकर चिकनगुनिया के विषाणु को कड़ी टक्कर देते हैं।

    सामग्री – बीज रहित अंगूर व 1 कप दूध

    विधि – अंगूर को चबा कर खाए और उसके ऊपर गाय का दूध पीए। जिन लोगो को दूध से बनी चीजों से एलर्जी है वह लोग इस उपाय को ना अपनाए।

    9. तुलसी की पत्तियां

    तुलसी एक मात्र ऐसी बूटी है जो लगभग सभी आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल की जाती है। तुलसी का सेवन करने से बुखार में कमी आती है। तुलसी हमारी प्रतिरोधक क्षमता को उन्नत करती है। तुलसी विषाणुओं से लड़ने में भी मदद करती है।

    सामग्री – 10 तुलसी की पत्तियां व 1 ग्लास पानी

    विधि – तुलसी की पत्तियों को पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा ना हो जाए। इस पानी को छान ले व दिन मे कई बार इसका सेवन करे। कुछ दिनो तक इसका सेवन करे।

    10. नारियल पानी

    नारियल पानी चिकनगुनिया के दौरान बहुत फायदेमंद होता है। इसमे मैंगनीज़ (manganese) धातु पाई जाती है जो कि हमारे शरीर का विषहरण करती है।

    यह अपने ऐन्टीइनफ्लेमेटरी के कारण भी जाना जाता है। चिकनगुनिया मे इसका असर बहुत प्रभावशाली होता है।

    सामग्री – नारियल पानी

    विधि – दिन में करीब 3 – 4 बार इसका सेवन करें।

    भले ही इस बीमारी का इलाज बाजार में मौजूद ना हो किन्तु इन घरेलू उपचारों से इसका इलाज संभव है। घरेलू उपचारों के अलावा होम्योपैथि में भी इसका कारगर इलाज है।

    चिकनगुनिया का होम्योपैथिक इलाज (chikungunya ayurvedic treatment in hindi)

    ज्यादातर होम्योपैथिक दवाइयां प्राक्रतिक चीजो से बनी होती है। प्राक्रति से जो भी हमें मिलता है उसका हमारे शरीर के प्रति कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।

    यही कारण है कि घरेलू उपचार के साथ साथ होम्योपैथी मे भी इस लाइलाज बीमारी का इलाज संभव है।

    कुछ होम्योपैथिक दवाइयां-

    1. रह्स टोक्स – यह दवाई चिकनगुनिया के दौरान होने वाले जोड़ो के दर्द व कमर दर्द की शिकायत से आराम दिलाती है।
    2. यूपाटोरियम परफोलिआटम – जब तीव्र दर्द, शरीर में कंपन व उल्टी होती है उस दौरान डॉक्टर्स ये दवाई लिखते हैं।
    3. मर्क सॉल – यह दवाई तब दी जाती है जब रात में दर्द असहनीय बन जाता है।
    4. अरनिका- दर्द से जब नीले – लाल चक्कतें बन्ने लगे तब यह दवाई दी जाती है।
    5. फास्फोरिक एसिड – यह मरीज के अंदर आई कमजोरी को ठीक करने के लिए दिया जाता है।

    कृपया इनमे से कोई भी दवाई लेने से पहले अपने होम्योपैथिक चिकित्सक को जरूर दिखा ले।

    चिकनगुनिया से बचने के लिए उपाय

    इतनी भयंकर बीमारी से जूझने से अच्छा है कि हम पहले से ही सतर्क रहे। निम्नलिखित कुछ उपाय हैं जिनके द्वारा इस बीमारी से बचा जा सकता है।

    1. अपने आसपास की अच्छी तरह से सफाई करे। कही भी पानी जमा ना होने दे। हर रोज फ्लावर पॉट का पानी चेंज करे। कूलर के पानी को इक्ट्ठा ना होने दे।
    2. पीने का पानी और खाने को ढक कर रखे। कभी भी किसी भी चीज को खुला वा ना रखे।
    3. घर के बाहर पानी जमा ना होने दे। उसकी तुरंत सफाई करे। घर के पास अगर कोई नाली हैं तो उसकी रोज सफाई करवाए।
    4. घर के अंदर बाल्टीयों में पानी जमा ना रखे।
    5. एडीज मच्छर दिन के दौरान काटता है। मच्छरों से बचने वाली दवाई या क्रीम 24 घंटे लगा कर रखे।
    6. बच्चों के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करे।
    7. जितना हो सके पूरी बाजू के कपड़े पहने।

    चिकनगुनिया बहुत भयावह व दुखदायी बीमारी है। किंतु अगर ध्यान से रहा जाए तो इससे बचा जा सकता है। और अगर आपको ये हो जाए तो तनाव ना ले। उपर्युक्त नुस्खे अपनाए व किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाए।

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