Wed. Apr 24th, 2024
    ईरान चीन भारत

    चीन लगातार भारत के खास पड़ोसी व मित्र राष्ट्रों को अपने पाले में लाने की कोशिशों में लगा हुआ है। पहले चीन ने अफगानिस्तान को सीपीईसी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। वहीं अब चीन की बुरी निगाहें ईरान के चाबहार बंदरगाह पर आ गिरी है। चीन ने ईरान को कहा है कि वो चाबहार बंदरगाह व पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को आपस में जोड़ना चाहता है।

    दरअसल चीन हिन्द महासागर और अरब सागर पर अपने प्रभुत्व को मजबूत करने के लिए इस नयी योजना को अपना रहा है। जाहिर है हाल ही में चीन नें श्रीलंका के हम्बंटोटा बंदरगाह पर कब्ज़ा कर लिया था। इससे जाहिर तौर पर दक्षिण में चीन भारत के करीब पहुँच जाएगा। अब हालाँकि चीन पश्चिम की ओर से भारत को घेर रहा है।

    इससे आने वाले समय में भारत चीन सम्बन्ध और भी कठोर हो सकते हैं।

    चाबहार फ्री ट्रेड जोन के प्रबंध निदेशक अब्दोलरहीम कोर्दी ने बताया कि चीन से ईरान को एक अनुरोध मिला है जिसके मुताबिक ईरान के चाबहार बंदरगाह और पाकिस्ताने के ग्वादर बंदरगाह के बीच संबंध स्थापित किया जाए।

    दोनों बदरगाहों को जोड़ने व विकसित करने का काम चीनी कंपनियां करेगी। चीन ने ईरान को कहा है कि वो ग्वादर बंदरगाह से अन्य गंतव्य स्थानों पर जाने वाले सामानों को पहुंचाने के लिए चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करना चाहता है।

    हालांकि कोर्दी ने कहा कि ईरान के चाबहार व पाकिस्तान के ग्वादर के बीच में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। बाजार क्षमता के अनुसार दोनों बंदरगाह एक दूसरे के साथ पूरक हो सकते है।

    भारत द्वारा चाबहार में किया जा रहा भारी मात्रा में निवेश

    गौरतलब है कि ईरान के चाबहार बंदरगाह बनाने के लिए भारत द्वारा बड़ी मात्रा में निवेश किया जा रहा है। भारत इस प्रॉजेक्ट में 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है। चाबहार व ग्वादर बंदरगाह की दूरी बेहद कम है।

    भारत चाबहार के जरिए अफगानिस्तान की मदद करना चाहता है। वहीं अब चीन की पैनी नजर ग्वादर के बाद चाबहार पर भी पड़ने लगी है। चीन ग्वादर बंदरगाह का विकास सीपीईसी प्रोजेक्ट के माध्यम से कर रहा है।

    चाबहार के प्रबंध निदेशक ने कहा कि ग्वादर बंदरगाह के मुकाबले में चाबहार बंदरगाह, मध्य एशिया और यूरोप जैसे क्षेत्रों में प्रमुख परिवहन साधनों यथा सड़क और रेल कनेक्शन के लिए काफी बेहतर है।

    इनके मुताबिक यह बंदरगाह 100,000 टन के जहाजों को भी वहन सकता है। साथ ही यह देश की अंतरराष्ट्रीय व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है। संभावना है कि चाबहार बंदरगाह की कुल में वार्षिक कार्गो क्षमता आने वाले समय में 82 मिलियन टन तक पहुंच जाएगी।

    भारत चाबहार को विकसित करने में अपने संसाधन लगा रहा है, वहीं चीन इसे भी अपनी सीपीईसी योजना के तहत जोड़ने की योजना बना रहा है।