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    गुजरात विधानसभा चुनाव

    22 सालों का सियासी वनवास काटने के बाद कांग्रेस गुजरात में सत्ता वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है। गुजरात कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इसके लिए दिन-रात एक किए हुए हैं और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी भी गुजरात में सक्रिय नजर आ रहे हैं। गुजरात कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत अपने दशकों के राजनीतिक अनुभव से राहुल गाँधी का मार्गदर्शन कर कांग्रेस की सियासी राह आसान बना रहे हैं और गुजरात के जातीय समीकरणों को साधने में जुटे हुए हैं। संगठन और कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और भाजपा के खिलाफ बन रहे जातीय समीकरणों की वजह से अबकी बार कांग्रेस दशकों बाद गुजरात में भाजपा के सामने मजबूतर चुनौती पेश करती नजर आ रही है। कांग्रेस नेता चुनाव प्रचार में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के लिए ओछी बयानबाजी भी कर रहे हैं जो कांग्रेस के गले की फांस बन सकता है।

    गुजरात में आगामी दिसंबर महीने की 9 व 13 तारीख को विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है जिसके नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का गृह राज्य होने की वजह से गुजरात विधानसभा चुनाव देश के सियासी फलक पर छा गए हैं। भाजपा के लिए गुजरात में बड़ी जीत हासिल करना प्रतिष्ठा का सवाल है वहीं कांग्रेस गुजरात में बढ़त हासिल कर 2019 लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की फिराक में हैं। गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ आन्दोलनरत 3 युवा नेताओं अल्पेश ठाकोर, हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी को साधकर कांग्रेस भाजपा के हिंदुत्व कार्ड का जवाब जातीय कार्ड से देना चाहती है। अल्पेश ठाकोर बकायदा कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी भी भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।

    सरदार पटेल के नाम पर घमासान

    गुजरात की सियासत में सबसे अहम भूमिका निभाने वाला पाटीदार समाज 90 के दशक तक कांग्रेस का खास हुआ करता था। कांग्रेस के ‘खाम’ समीकरण को बढ़ावा देने से पाटीदार समाज में नाराजगी बढ़ गई और उसका रुख केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली भाजपा की ओर झुक गया। पिछले 2 दशक से भाजपा का परंपरागत वोटबैंक रहा पाटीदार समाज अब एक बार फिर भाजपा से छिटकता नजर आ रहा है। अगस्त, 2015 में युवा नेता हार्दिक पटेल के नेतृत्व में शुरू हुए पाटीदार आंदोलन की मांगों को भाजपा सरकार ने नहीं माना था। नतीजन पाटीदार समाज के नेताओं ने भाजपा को वोट ना देने की अपील की है। इसके अतिरिक्त लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को लेकर भी गुजरात की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस जहाँ सरदार पटेल को कांग्रेसी बता रही है वहीं भाजपा कांग्रेस पर सरदार पटेल के अपमान का आरोप लगा रही है।

    भाजपा पाटीदार समाज के वोटरों को साधने के लिए सरदार पटेल के नाम के सहारे है और गुजरात सरकार की हालिया योजनाओं में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सितम्बर महीने में अपने जन्मदिन पर गुजरात की लाइफलाइन कहे जाने वाले सरदार सरोवर बांध को देश को समर्पित किया। मोदी सरकार इससे पूर्व वड़ोदरा के निकट स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से सरदार पटेल की 240 मीटर ऊँची मूर्ति के स्थापना की घोषणा कर चुकी है और इसपर काम चल रहा है। तकरीबन 3,000 करोड़ की लागत की यह परियोजना 20,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक मंचों से अक्सर सरदार पटेल का गुणगान करते देखे जा सकते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा दल सरदार पटेल पर अपना अधिकार साबित कर पाता है।

    हार्दिक में है सरदार पटेल का डीएनए : गोहिल

    भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदारों को अपनी ओर मिलाने के लिए कांग्रेस हरसंभव कोशिश कर रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी से लेकर गुजरात कांग्रेस के स्थानीय नेता तक, हर कोई पाटीदारों का साथ देने की बात कर रहा है। गुजरात कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल पाटीदार नेताओं से लगातार संपर्क में हैं और उन्हें आधिकारिक रूप से अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच शक्ति सिंह गोहिल ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को लेकर एक विवादास्पद बयान दे दिया है। सरदार पटेल से हार्दिक की तुलना करते हुए गोहिल ने कहा, “उनमें सरदार पटेल का डीएनए है जिसे अंग्रेजों द्वारा भी नहीं खरीदा या तोड़ा जा सका। इसी तरह भाजपा हार्दिक को न तो खरीद सकती है न ही डरा सकती है।”

    गोहिल के इस बयान की भाजपा ने कड़ी निंदा की है। गुजरात के भाजपा नेता मनसुख मंडाविया ने कहा कि हार्दिक की तुलना सरदार पटेल से करना लौह पुरुष का अपमान है। मंडाविया ने कहा, “यह कहना कि एक व्यक्ति जो इस तरह के शर्मनाक हरकत (सेक्स क्लिप) में पकड़ा गया है, उसमें सरदार पटेल का डीएनए है, तो यह उनका अपमान है। कांग्रेस में सरदार पटेल का अपमान करने की परम्परा रही है और यह गुजरात के साथ ही देश का भी अपमान है।” सरदार पटेल के प्रपौत्र समीर पटेल ने शक्ति सिंह गोहिल की इस टिप्पणी को बकवास बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। समीर पटेल ने कहा, “यह कहना बकवास है कि हार्दिक पटेल में सरदार पटेल का डीएनए है क्योंकि सरदार पटेल ने देश को जोड़ने का काम किया था जबकि हार्दिक देश को बाँट रहे हैं।”

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।