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    राहुल गाँधी गुजरात

    गुजरात विधानसभा चुनावो की तारीखों की घोषणा हो चुकी है, गुजरात में चुनाव दो चरणों में होंगे। चुनाव के नतीजों की घोषणा 18 दिसम्बर को होगी देखना यह है कि 22 साल से गुजरात में सियासी वनवास काट रही कांग्रेस इस चुनाव में कुछ बदलाव कर पाती है, या फिर भाजपा अपनी छठी जीत तय करेगी। इस बार कांग्रेस जातीय समीकरण को साथ रखते हुए इस चुनाव की रणनीति बना रही है, अब देखना यह है कि इस मामले में कांग्रेस कितनी कामयाब हो पाती है।

    बीजेपी के पास 2002 से रिकॉर्ड सीट

    गुजरात में कांग्रेस की हालत 1995 के बाद से ख़राब है वही बीजेपी की बात करे तो 2002 में हुए दंगो के बाद हुए चुनाव में भाजपा ने गुजरात में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। गुजरात में उस वक़्त 182 सीटों पर चुनाव हुए थे जिसमें से बीजेपी ने 127 सीटें जीती, वहीं कांग्रेस की बात करे तो कांग्रेस ने उस विधानसभा चुनाव में 51 सीटें जीती थी। भाजपा के लिए यह अब तक की सबसे बड़ी जीत थी।

    कांग्रेस बढ़ रही है लगातार

    वर्ष 2002 के बाद भाजपा ने प्रचंड बहुमत से वापसी की जिसमें भाजपा ने 127 सीटें जीती, जबकि कांग्रेस ने 51 सीटें जीती। 2007 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कुछ सीटें कम हुई और कांग्रेस के सीट ग्राफ में बढ़त हुई थी। इस चुनाव में भाजपा ने 117 सीट जीती, वहीं कांग्रेस ने इस चुनाव में 59 सीटें जीती थी। अगले चुनाव 2012 में बीजेपी को एक छोटा झटका और लगा भाजपा को 2 सीट का नुकसान हुआ और वहीं कांग्रेस को दो सीट का फायदा हुआ इस चुनाव में कांग्रेस को 61 सीटें मिली वहीं भाजपा को 115 सीटें मिली थी। पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस के ग्राफ में वृद्धि हो रही है, अब देखना यह है कि इस वर्ष होने वाले चुनाव में कांग्रेस क्या कर पाती है।

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    सबसे भारी जीत का रिकॉर्ड कांग्रेस के नाम

    कांग्रेस के गुजरात में अच्छे चुनावी परिणामो की बात की जाए तो वह अंतिम 1984-85 में मिले थे जहा साल 1984 में लोकसभा चुनाव में 26 में से 24 सीट मिली थी, और वहीं साल 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 182 में से 149 सीटें मिली थी। इसके बाद कांग्रेस 1995 में सत्ता से बाहर हो गई जो अब तक सत्ता में आने का रास्ता ढूंढ रही है। बीजेपी की बात करे तो उन्हें कांग्रेस के 1985 जैसी जीत हासिल नहीं हो सकी है। भाजपा के 2002 में भारी जीत का कारण उसी वर्ष हुए सांप्रदायिक दंगो को माना जाता है, इन दंगो के कारण वोटो का ध्रुवीकरण हुआ जिससे बीजेपी को गुजरात विधानसभा में बड़ा बहुमत मिला। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार 150 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।

    बीजेपी का ग्राफ कैसे बढ़ा

    कांग्रेस के 1985 गुजरात विधानसभा में वोट प्रतिशत की बात की जाए तो वह 55.6 प्रतिशत था, जो धीरे-धीरे गिरता चला गया। गुजरात में जब 2002 में बीजेपी की प्रचंड वापसी हुई तो उसके बाद से कांग्रेस की हालत ख़राब होती चली गयी। भाजपा के जीत के ग्राफ को देखा जाए तो वह 15 प्रतिशत से बढ़कर 48 प्रतिशत हो गया है, भाजपा के लिए सर्वश्रेष्ठ चुनाव वर्ष 2002 के साबित हुए जंहा भाजपा को 49.9 प्रतिशत वोट मिले, भाजपा को पिछले तीन चुनावो में औसतन 48 प्रतिशत वोट मिले है।

    कांग्रेस ने अपना आंकड़ा सुधारा

    कांग्रेस ने जब 1985 में रिकॉर्ड जीत हासिल की थी तब कांग्रेस को 55.6 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं अगले चुनाव जो 1990 में हुए, जिसमें कांग्रेस को सबसे कम 30.7 प्रतिशत वोट मिले। कांग्रेस ने 2002 चुनाव के बाद लगातार अपनी जीत का ग्राफ बढ़ाया है, कांग्रेस ने अपने ख़राब प्रदर्शन को सुधारते हुए 2012 में 39 फीसदी वोट प्राप्त किये। गुजरात चुनाव में पिछले चुनाव का आंकलन देखे तो भाजपा और कांग्रेस के बीच 10 फीसदी का अंतर है, अगर इस चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 5 प्रतिशत गिरता है और कांग्रेस इसका फायदा उठाती है तो इससे गुजरात चुनाव के परिणामो के नतीजे बदल सकते है।

    इस चुनाव की बात करे तो पूरा चुनाव भाजपा के लिए एक कड़ी टक्कर है, क्योकि इस चुनाव में कांग्रेस जातीय समीकरणों को लेकर अपनी चुनावी रणनीति तैयार की है, वही दूसरी और भाजपा अपने इस चुनाव के लिए आश्वस्त नहीं लग रही है, इन्ही कारणों से भाजपा ने अपने स्टार प्रचारको जैसे योगी और सुषमा को मैदान में उतार दिया है।

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    राहुल गाँधी का बदलाव

    इस चुनाव में राहुल गाँधी के सुर बदले हुए लग रहे है, राहुल गाँधी इस चुनाव में अपने बयानों से सटीक और गंभीर वार कर रहे है। पीएम और बीजेपी को कटाक्ष करते हुए राहुल गाँधी तंज वाले ट्वीट कर रहे है। भाजपा की तरह वह इस चुनाव में सोशल मीडिया का सहारा ले रहे है। राहुल गाँधी का लक्ष्य पहाड़ जैसी 92 सीटों को लाना होगा और अगर राहुल गाँधी इन सीटों को लाने में समर्थ साबित होते है, तो यह राहुल गाँधी के लिए और कांग्रेस के लिए बड़ी अच्छी खबर होगी, क्योंकि इस जीत के कारण आने वाले 2019 के लोकसभा चुनावो में उन्हें इससे काफी मदद मिलेगी।