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    Stalin-kejriwal

    सोमवार को विपक्षी दलों के महाबैठक से कुछ घंटो पहले डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल की मुलाक़ात हुई।

    सूत्रों के अनुसार करीब 20 मिनट चले इस मीटिंग में स्टालिन ने अरविन्द केजरीवाल को विपक्षी महागठबंधन में शामिल होने का सुझाव दिया और साथ ही ये भी कहा कि उन्हें कांग्रेस के प्रति अपने विरोधाभासी रुख को छोड़ना चाहिए और भाजपा विरोधी मंच पर शामिल होना चाहिए।

    हालांकि, आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के मामले में केजरीवाल अलग थलग हो सकते हैं क्योंकि  उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं मनीष सिसोदिया और गोपाल राय कांग्रेस के साथ किसी भी तरह की नजदीकी का विरोध करते हैं क्योंकि दिल्ली और पंजाब दोनों में कांग्रेस और आप में मुख्य प्रतिद्वंदिता है।

    कांग्रेस ने लगातार विपक्षी मोर्चे में आप की भागीदारी को अवरुद्ध करने की कोशिश की है। राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने आम आदमी पार्टी से समर्थन मांगना उचित नहीं समझा था जिसके बाद आप ने विपक्षी उम्मीदवार को वोट देने से इनकार कर दिया था। राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के 3 सदस्य हैं।

    स्टालिन पहले नेता नहीं हैं जो कांग्रेस और आप के राजनितिक रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश कर रहे हैं।  हाल ही में किसान मुक्ति मोर्चा रैली में, केजरीवाल और राहुल गांधी ने पहली बार मंच साझा किया। वहां भी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने दोनों नेताओं को मतभेदों को हल करने के लिए एक-दूसरे से बातचीत करने की सलाह दी थी।

    दरअसल आम आदमी पार्टी की नींव ही कांग्रेस विरोध पर पड़ी थी। जन लोकपाल आन्दोलन में अरविन्द केजरीवाल और अन्ना के आन्दोलन ने दिल्ली की शिला दीक्षित सरकार और केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार की नींव हिला दी थी। आम आदमी पार्टी ने राजनीति में खुद को भाजपा और कांग्रेस जैसी भ्रष्ट पार्टियों का विकल्प बताते हुए पदार्पण किया था। ऐसे में कांग्रेस के साथ जाना आम आदमी पार्टी की राजनीति के लिए खतरनाक हो सकता है शायद इसलिए आम आदमी पार्टी कांग्रेस से किसी भी तरह की नजदीकी से बचना चाहती है।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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