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    राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित 39 योजनाओं को राज्यपाल किरण बेदी द्वारा नहीं के विरोध में पुडुचेरी के सीएम वी. नारायणास्वामी राज निवास के बाहर धरने पर बैठे हैं। इस धरना प्रदर्शन को आज तीन दिन हो चुके हैं। किरण बेदी ने सीएम को पत्र लिखकर 21 फरवरी को मिलने के लिए बुलाया था, जिसमें उन्होंने प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा करने की बात कही थी। सीएम नारायणास्वामी ने राज्यपाल की ओर से आए बुलावे ठुकरा दिया है।

    राज्य सरकार ने गवर्नर के पास योजनाओं की फाइल भेजी थी, जिसे उन्होंने मंजूरी नहीं दी। नारायणास्वामी समेत कांग्रेस व डीएमके सरकार के लोग भी गवर्नर पर आरोप लगा रहे हैं। सीएम ने रिपोर्टरों को बताया कि “मीटिंग की कोई आवश्यकता ही नहीं है। प्रस्तावित योजनाओं के बारे में गवर्नर को सबकुछ पता है। उन्हें बस मंजूरी देनी है।”

    दरअसल सरकार के द्वारा प्रस्ताव की फाइल भेजने के बाद ही पूर्व आईपीएस व पुद्दुचेरी की गवर्नर गुरुवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गई है। 20 फरवरी को वे वापस लौटेंगी, जिसके बाद उन्होंने नारायणास्वामी को मिलने के लिए बुलाया है लेकिन सीएम जिद्द पर अड़े हैं कि उन्हें कुछ प्रस्तावों को साइन कर देना चाहिए तभी वे धरना खत्म करेंगे।

    नारायणास्वामी ने एलजी पर आरोप लगाया है कि “जनता द्वारा चुने सरकार की बात को महत्व नहीं दिया जा रहा है। प्रस्तावित योजनाओं में ‘मुफ्त चावल स्कीम, सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए अनुदान’ जैसी कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं है कम से कम उन्हें मंजूरी दे दी जानी चाहिए।”

    एआईसीसी के सचिव संजय दत्त भी धरना स्थल पर नारायणास्वामी से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने भी किरण बेदी को दोषी कहा। उन्होंने कहा कि “गवर्नर राज्य का विकास करने में बाधा पहुंचा रही है। इस मामले को तूल देकर वे पब्लिसिटी हासिल कर रही हैं। क्योंकि उन्हें पता है लोकसभा चुनाव में जीत कांग्रेस की होगी, जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।”

    वहीं विपक्ष एआईएडीएमके ने बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे पर विशेष चर्चा करेगा। विधायक ए अनबलगन ने रिपोर्टरों को बताया कि ‘उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर गवर्नर किरण बेदी को हटाने की मांग की है। उनका पद किसी अन्य राज्य के राज्यपाल को सौंपने का आवेदन दिया है।’

    वहीं असेंबली स्पीकर वी. वैद्दलिंगम ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है। जिसमें राज्य मे फैली इस अशांति पर तत्काल कार्यवाही करने की मांग की है। साथ ही उन्हें कार्यकारी रुप से राज्य का प्रबंधन देखने की इजाजत देने का प्रस्ताव भी रखा है। उन्होंने कहा है कि “गवर्नर की ओर से राज्य सरकार के संचालन में किए जा रहे अकारण हस्तक्षेप के कारण अशांति हो रही है।”

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