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    श्लोक:

    काक चेष्टा बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च ।
    अल्पहारी गृह त्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥

    भावार्थ:

    कौआ की तरह चतुर, बगुला की तरह ध्यान करने वाले, स्वान की तरह कम निंद्रा , तथा कम खाने वाला, ग्रह का त्याग करने बाले ही विद्यार्थी के पांच लक्षण हैं।

    भावार्थ 2:

    एक विद्यार्थी को कौव्वे की तरह जानने की चेष्टा करते रहना चाहिए, बगुले की तरह मन लगाना(ध्यान करना) चाहिए, कुत्ते की तरह सोना चाहिए, काम से काम और आवश्यकतानुसार खाना चाहिए और गृह-त्यागी होना चाहिए।
    यही पांच लक्षण एक विद्यार्थी के होते है

    अंग्रेजी में अर्थ:

    A student should be alert like a crow, have concentration like that of a Crane and sleep like that of a dog that wakes up even at slightest of the noise. The student should eat scantily to suffice his energy needs and neither less not more. Also he should stay away from chores of daily house hold stuff and emotional attachment.

    विद्यार्थियों के लिए अन्य श्लोक:

    विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् ।
    पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥

    भावार्थ:

    पढ़ने-लिखने से शऊर आता है। शऊर से काबिलियत आती है। काबिलियत से पैसे आने शुरू होते हैं। पैसों से धर्म और फिर सुख मिलता है।

    ॐ असतो मा सद्गमय ।
    तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
    । 
    मृत्योर्मामृतं गमय ।
    ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।

    -बृहदारण्यक उपनिषद् 1.3.28.

    हिंदी
    —–
    मैं असत्य की ओर नहीं, सत्य की ओर जाऊँ,
    मैं अन्धकार की तरफ नहीं, रौशनी की तरफ जाऊँ,
    मैं मृत्यु को नहीं, अमृत को पाऊँ।

    [ratemypost]

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

    5 thoughts on ““काक चेष्टा बको ध्यानं” श्लोक का भावार्थ, मतलब”

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