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    कश्मीर

    संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद् के प्रमुख ने सोमवार को कहा कि “वह भारतीय सरकार के पाबंदियो के आदेशो से बेहद चिंतित है।” भारत ने बीते हफ्ते जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा लिया था और इसके बाद राज्य में कई पाबंदिया लगायी गयी है।

    कश्मीर की स्थिति

    संयुक्त राष्ट्र में मानव अधिकार की उच्चायुक्त मिशेल बचेलेट ने कहा कि “भारत सरकार की हालिया कार्रवाई का कश्मीरियों के मानव अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभाव से मैं बेहद चिंतित हूँ। इसमें इन्टरनेट कम्युनिकेशन और शांतिपूर्ण एकजुटता पर पाबंदिया और स्थानीय राजनेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी भी शामिल है।”

    उन्होंने कहा कि “मैं भारत और पाकिस्तान की सरकार से मानव अधिकारों का सम्मान और संरक्षण को सुनिश्चित करने का आग्रह करती हूँ। मैं विशेषकर भारत से राज्य में कर्फ्यू में ढील बरतने की गुजारिश करती हूँ, मूल सुविधाओं तक लोगो की पंहुच को सुनिश्चित करने और गिरफ्तार किये गए सभी लोगो के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी निर्णय में कश्मीर की जनता का परामर्श और सहयोग हो क्योंकि यह उनके भविष्य को प्रभावित करेगा।”

    बीते महीने भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था और जम्मू कश्मीर के सभी विशेष अधिकारों को वापस ले लिया था जैसे वह राज्य के कानूनों का खुद निर्माण करे। सतह ही राज्यों को दो केन्द्रशासित प्रदेशो में विभाजित्कर दिया गया था।

    बचेलेट ने कहा कि “उनका दफ्तर सीमा के दोनों तरफ मानव अधिकार की स्थिति की रिपोर्ट्स से वाकिफ है और यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी निर्णय में कश्मीर की जनता का परामर्श और सहयोग हो क्योंकि यह उनके भविष्य को प्रभावित करेगा।”

    यूएन के आला मानव अधिकार अधिकारीयों ने भी कहा कि अवैध आप्रवासियों को बाहर निकालने के लिए असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजिका से अनिश्चितता और व्यग्रता बढ़ गयी है। 31 अगस्त को प्रकाशित अंतिम सूची से 19 लाख लोगो का नाम नहीं था।

    भारत ने कहा कि “शीर्ष अदालत के आएश के मुताबिक एनआरसी को पारदर्शी, कानूनी प्रक्रिया से अपडेट किया जा रहा है। एनआरसी सूची में नहीं होने से असम के किसी भी निवासी के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। जो अंतिम सूची में शामिल नहीं है उन्हें हिरासत में नहीं लिया जायेगा और वह सभी अधिकारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं।”

    बयान में कहा कि “यह व्यक्ति को विदेश नहीं बना देता है। जिन अधिकारों का वे पहले लुत्फ़ उठा रहे थे उन्हें उससे वंचित नहीं किया जायेगा।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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