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    कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश सीटों पर हुए भारी मतदान और अधिकांश एग्जिट पोल में भाजपा की जीत भविष्यवाणी को लेकर सत्ताधारी पार्टी दक्षिणी राज्य में और तीन साल तक सरकार में बने रहने को लेकर उत्साहित है। यह जानकारी एक पार्टी अधिकारी ने दी।

    भाजपा की राज्य इकाई के प्रवक्ता जी. मधुसूदन ने आईएएनएस से कहा, “15 विधानसभा क्षेत्रों में हुए चुनाव में हम 10 से 12 सीटों पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं, हालांकि 223 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए हमें सिर्फ 6-7 सीटों की आवश्यकता है।”

    सत्तारूढ़ पार्टी के पास कुल 105 सदस्यों का समर्थन है, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष और एक निर्दलीय एच. नागेश शामिल हैं।

    मधुसूदन ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों की 10 सीटों पर भारी मतदान (70 प्रतिशत से अधिक) और तीन अर्धशहरी सीटों पर मध्यम मतदान, मतदाताओं की मजबूत भागीदारी का संकेत देता है। उपचुनाव में भारी मतदान भाजपा के लिए फायदेमंद है, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए विकास के लिए सत्तारूढ़ पार्टी को वोट देना पसंद करते हैं।”

    वहीं चुनाव आयोग के अनुसार, 15 सीटों पर औसत मतदान लगभग 68 प्रतिशत था, जबकि आठ ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान 75 प्रतिशत से ऊपर दर्ज किया गया। बेंगलुरू के ग्रामीण जिले के होसकोटे में सबसे अधिक मतदान (90.90 प्रतिशत), चिकबल्लापुर में 86.84, हुनसुरु में 80.59, कृष्णराजपेट में 80.52, हिरेकरुर में 79.03, येल्लपुर में 77.53, कागवाड़ में 76.24 और अथानी में 75.37 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है।

    जद(एस) ने सिर्फ 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिसके कारण तीन सीटों -बेलगावी जिले की अथानी, उत्तर कन्नड़ जिले की येल्लापुर और बेंगलुरू ग्रामीण जिले की होसकोटे में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है।

    प्रवक्ता ने बताया, “हमें भरोसा है कि 12 सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई में कांग्रेस और जद (एस) के बीच धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा होगा और उसका हमें लाभ मिलेगा, जैसा कि मई 2018 के विधानसभा चुनाव में और अतीत के अन्य चुनावों में हुआ था। वैसे भी उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी को ज्यादातर लाभ मिलता है।”

    उदाहरण के तौर पर बेंगलुरू के शिवाजीनगर में, जहां अल्पसंख्यक वोटों की संख्या सबसे अधिक है, वहां भाजपा के एम. सरवना एकमात्र हिंदू उम्मीदवार हैं, जबकि उनके खिलाफ 10 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जिनमें कांग्रेस, जद(एस), एसडीपीआई (सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया), बेरोजगार आदमी अधिकार पार्टी और कर्नाटक राष्ट्र कर्मकार पक्ष के एक-एक उम्मीदवार और पांच निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं।

    एक राजनीतिक विश्लेषक ने आईएएनएस को बताया, “यदि अल्पसंख्यक वोट मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच बंट जाते हैं, और बहुसंख्यक हिंदू वोटों का एकजुट होता है, तो ऐसे में भाजपा उम्मीदवार को लाभ होगा।”

    वहीं 225 सदस्यीय सदन में कांग्रेस के 14 और जद (एस) के तीन बागी नेताओं के इस्तीफा और उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के बाद 17 सीटें खाली हैं। लेकिन दो सीटों -रायचूर जिले की मुसकी और बेंगलुरू दक्षिण पश्चिम की आर.आर. नगर- के लिए चुनाव नहीं हुए हैं, क्योंकि मई 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद इन दोनों सीटों को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में मुकदमा चल रहा है।

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