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    भारतीय जनता पार्टी

    जी जनार्दन रेड्डी, जिनकी कर्नाटक के बेल्लारी में कभी तूती बोलती थी, जो खनन सम्राट कहे जाते थे वो अचानक गायब हो गए जब कर्नाटक के सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने 600 करोड़ रुपये के पोंजी स्कीम घोटाले के तहत उनकी खोज शुरू की।

    रेड्डी ने कथित तौर पर भाजपा के साथ अपने अच्छे सम्बन्धो का उपयोग करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के चंगुल से बचाने के लिए घोटालेबाज के साथ 18 करोड़ रुपये का सौदा किया।

    पुलिस ने रेड्डी और पोंजी स्कीम में शामिल अन्य लोगों का पता लगाने के लिए विशेष टीम बनाई हैं। पोंजी स्कीम में 15,000 लोगों से ज्यादा रिटर्न देने की बात कह कुछ निवेश करवाया गया और उनके साथ धोखा किया गया।

    कर्नाटक उपचुनाव में रेड्डी के प्रभाव वाले लोकसभा सीट बेल्लारी गंवाने के बाद ये भाजपा के लिए नई मुसीबत है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अपने एक बड़े करीबी पर इस तरह के आरोप भाजपा को मुश्किल में डाल सकते हैं। बेल्लारी उपचुनाव के लिए भाजपा ने अपने नेता श्रीरामुलु की बहन शांता को मैदान में उतारा था। श्रीरामुलु, रेड्डी के करीबियों में से एक है।

    भाजपा चाहे रेड्डी से दूरी दिखने की लाख कोशिश करे लेकिन राज्य में सबको रेड्डी और भाजपा के करीबी रिश्तों के बारे में पता है। जब 2008 के विधानसभा चुनावों में रेड्डी ने भाजपा को राज्य विधानसभा चुनाव जीतने में मदद की और लिंगयाट नेता येदुरप्पा मुख्यमंत्री बने तो जनार्दन रेड्डी, उनके भाई करुणकर रेड्डी और उनके दोस्त बी श्रीरामुलु मंत्री बने, जबकि एक और भाई सोमाशेखर रेड्डी को राज्य के शक्तिशाली दूध संघ का प्रमुख बना दिया गया।

    साल 2011 में, घोटालों के आरोपों में येदियुरप्पा के इस्तीफे को मुख्यमंत्री पद से स्तीफा देना पड़ा जबकि रेड्डी को  सीबीआई द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। रेड्डी लगभग चार सालों बाद बाहर आए, लेकिन 2013 में मुख्यमंत्री बनने वाले सिद्धाराय्याह ने उन्हें 2015 में जेल भेज दिया। वह जमानत पर बाहरआये, एक शर्त यह थी कि उन्हें बेल्लारी में प्रवेश नहीं करना चाहिए। इसने उन्हें बेल्लारी सीमा के नजदीक एक गांव से काम करने के लिए मजबूर कर दिया गया।

    कांग्रेस ने भी कई खनन माफियाओं को टिकट दिया है चुनावों में लेकिन रेड्डी और भाजपा की सीधी करीबी ने पार्टी को कई बार मुश्किल में डाला है।

    अब जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव नजदीक है रेड्डी पर लगे नए आरोप पहले से ही कर्नाटक में मुश्किलों से जूझ रही भाजपा को और मुश्किल में डाल सकते हैं।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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