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    कन्या भ्रूण हत्या

    भारत में सदियों पहले से महिलाओं को देवी का रूप माना जाता रहा है । नारी को हमेशा से पूजा जाता रहा है, शास्त्रों में महिलाओं की तुलना लक्ष्मी, दुर्गा और कई अन्य देवियो से की जाती रही है।

    परंतु क्या आज भी यही स्थिति है या नहीं, मुझे तो ऐसा नही लगता क्योंकि जिस दर से आज महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहें हैं वह बेहद खतरनाक है। एक लड़की के जन्म से ही कई रिश्ते उसके जीवन से जुड़ जाते हैं वह रिश्तें बेहद महत्वपूर्ण होतें हैं। संसार में सिर्फ महिलाओं के पास यह क्षमता है कि वह किसी और मनुष्य को जीवन दे सकें।

    पर क्या आज ऐसा हो रहा है? नहीं, भ्रुण में ही बच्चियों का कत्ल किया जाता है। एक बेटी को पैदा हाने से पहले ही उसकी मृत्यु निश्चित कर दी जाती है।

    विषय-सूचि

    कन्या भ्रुण हत्या क्या होती है? (female foeticide in hindi)

    किसी मां के पेट में या भ्रुण में उसके बच्चे के कत्ल को भ्रुण हत्या कहतें हैं अगर यह कत्ल भ्रुण में किसी  लड़की का होता है तो इसे कन्या भ्रुण हत्या कहते है।

    कई बार यह मां की सहमति से होता है, कई बार यह क्रिया जबरदस्ती परिवार के सदस्यों द्वारा कराई जाती है।

    कन्या भ्रुण हत्या के कारण (cause of female foeticide in hindi)

    भ्रुण हत्या का मुख्य कारण है बेटे की चाहं। भारत आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है पर आज भी यहां कई ताकियानुसी सोच जीवित है। इस सोच के अनुसार यह मानना जाता है कि लड़की वंश आगे नहीं बढ़ा सकती, वंश या खानदान को आगे बढ़ाने के लिए बेटे की जरूरत होती है।

    पर मेरा एक सवाल है अगर आप किसी कन्या का कत्ल कर देंगे तो आपके वंश को आगे बढ़ाने वाले को कौन लाएगा। भारत में आज भी यह सोचा जाता है कि कोई लड़की शिक्षित हुई और नौकरी करने लगी तो उसकी सारी कमाई उसके ससुराल जाएंगी।

    कारणवश उन्हें लगता है लड़की के जन्म से सिर्फ खरचा बढ़ता है। पर अगर एक बेटे का जन्म हुआ तो वंश आगे बढ़ेगा, वह मुखअग्नि देगा और शादी से दहेज लाएगा।

    लड़की को हमारे समाज में हमेशा से ही बोझ माना गया है पहले पढ़ाई का बोझ और फिर शादी में दहेज और अन्य खर्च के बोझ से उसकी तुलना की गई है।

    भारत में कन्या भ्रुण हत्या की स्थिति (female foeticide in india in hindi)

    भारत के कानून में भ्रुण हत्या को धारा 302 के अंतर्गत अपराध माना गया है। इस धारा में यह सुनश्चित किया गया है कि डॉक्टर की सलाह से भ्रुण को हटाया जा सकता है अगर वह किसी बिमारी से ग्रस्त है, रेप के दौरान हुई प्रे्रगनेंसी को इससे बाहर रखा गया है।

    विश्व संस्थान संगठन ने एक सर्वे किया और उसमें बताया भारत दुनिया का चैथा सबसे खराब देश है जहां महिलांए रहती हैं।

    पिछले तीस वर्षो में भारत के अंदर पचास लाख कन्या भ्रुण हत्या की गई हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल निधि की एक रिर्पोट के अनुसार हरियाणा में लड़को को शादी के लिए तीन हजार किलोमीटिर चलकर वधु ढूंढनी होगी।

    संस्थान का कहना है लड़िकयां रातों रात गायब नहीं हुई हैं। यह कन्या भ्रुण हत्या का परिणाम है। साल 1991 में हरियाणा का लिंग अनुपात था 947ः1000 जो 2001 में 927ः1000 हो गया था। साल 1994 में पूर्वकल्पना और जन्मपूर्व नैदानिकी एक्ट भारत में लागू हुआ जिसके अंदर भ्रुण की जांच कराने वाले व्यक्ति को तीन सौ से लेकर चार हजार तक का जुर्माना भरना होगा।

    कन्या भ्रुण हत्या रोकने के उपाय (how to stop female foeticide in hindi)

    समाज में कार्यक्रमों के जरिए यह बताना होगा कि हमारे पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं की स्थिति क्या है, महिलाओं के महत्व पर हमें ज़ोर देना होगा व उन्हें शिक्षित करना होगा।

    महिलाओं को उनकें अधिकारों के बारे में बताना होगा। कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू करना होगा व कड़ी से कड़ी सज़ा का प्रावधान बनाना होगा।

    जो चिकित्सक इन गतिविधयों में पाए जातें हैं उनका लाईसेंस तुरंत बंद होना चाहिए।

    कन्या भ्रुण हत्या के परिणाम (result of female foeticide in hindi)

    भारत का लिंग अनुपात धीरे धीरे सुधर रहा है क्योकि भारत में भेदभाव कम हो रहा है और जागरूकता धीरे धीरे बढ रही है।

    1. लिंग अनुपात पर असर पड़ना

    कन्या की भ्रुण में हत्या करने से लिंग अनुपात कम होगा और पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या पर कमी आएगी। लिंग अनुपात कम होने से सामाजिक, आर्थिक व मानसिक रूप से हमारे समाज पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ेगा।

    भारत के विकाशीलता के क्षेत्र में कई ऐसे कम है जिन्हें महिलाये निपुणता से करना जानती है।

    किसी भी देश की प्रगति के लिए वहा का लिंग अनुपात सही होना चाहिये जिससे महिलाओं और पुरुषों दोनों को समान अधिकार की प्राप्ति हो सके।

    2. प्रकृतिक संतुलन बिगड़ना

    प्रकृति ने महिलाओं और पुरूषों को भिन्न प्रकार की क्षमताएं दी हैं। कई खुबियां महिलाओं के पास ऐसी हैं जो पुरूषों के पास नहीं हैं और इसका विपरीत भी सच है।

    अगर महिलाओं की संख्या घटती गई तो प्रकृति पर असर पड़ेगा। कन्या को भ्रूण में मार देने से कई रिश्तें खत्म हो जाते है। प्रकृति का निर्वाचन आगे करने के लिए महिलों का भी अहम किरदार है।

    3. जन्संख्या में गिरावट आना

    महिलाओं को जन्म देने की विशेषता प्राप्त है अगर भ्रुण में ही किसी कन्या की मृत्यृ कर दी जाएगी तो आने वाले समय में नए शिशु का जन्म कैसे होगा। अगर माँ नही होगी तो बच्चा नहीं होगा।

    कन्या भ्रूण हत्या के कारण महिला लिंग अनुपात में गिरावट होगी और बच्चे पैदा होने की दर में गिरावट आयगी और जनसँख्या में वृद्धि नहीं होगी।

    भारत और चीन जैसे कई अन्य देशों को अपनी जनसँख्या पर ध्यान देना होगा परन्तु एक लिंग को खत्म करना या कम करना इसका समाधान नहीं है।

    4. रेप जैसी घटनाओं में वृद्धि

    रेप, छेड़खानी आदि जैसे अपराधों की संख्या में वृद्धि होगी। जब महिलाओं की संख्या घटती रहेगी तो उसे निम्न स्तर का दर्जा दिया जाने लगेगा व उसके साथ अन्याय की घटनाएं बढ़ने लगेंगी।

    महिलाओं की संख्या कम होने के कारण शादी के लिए महिलाओं की तस्करी शुरू हो सकती है। हर इन्सान की शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए दुसरे साथी की ज़रूरत होती है पर अगर एक साथी धीरे धीरे विलुप्त होगा तो उसकी तस्करी शुरू हो जाएगी।

    कई बार ऐसी घटना समने आई है कि माता पिता ही अपनी बेटी को पैसे के लिए बेच देते है। बाल विवाह और अनचाहा गर्भ ऐसी समस्या का एक पहलु है।

    5. लड़को की शादी की संख्या में गिरावट आना

    अगर समाज में लड़िकयां नहीं होंगी तो लड़को की शादी नहीं हो पाएगी व उनका परिवार आगे नही बढ़ेगा। शादियों के लिए पुरूषों को अपने समाजिक स्तर पर महिलाएं नहीं मिलती यह सबसे बडा दुष्प्रभाव है।

    सामाजिक रूप से महिला और पुरुष दोनों एक एक दुसरे के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। जीवन व्यतीत करने के लिए महिलओं और पुरुषों को एक दुसरे की आवश्यकता है।

    समाज में अगर लड़कियां नहीं होंगी तो शादी नहीं होगी और महिलों का व्यापार शुरू हो जायेगा।

    आज हमारे समाज की सोच है कि हमें दीपा करमाकर तो चाहिए पर अपने घर में नहीं। अगर किसी ने उसकी भी भ्रुण में हत्या कर दी होती तो आज शायद वह एक मिसाल न होती।

    आज हमारी धारणा यह हो चुकी है कि हम सोचते है भ्रुण हत्या सबसे ज्यादा गरीब लोग कराते है परंतु ऐसा नही है यह गलत है। शिक्षित व शहर में रहने वाले लोग इस क्रिया को बढ़ावा देते हैं।

    गरीब लोग बच्ची को देवी का रूप व भगवान का अर्शीवाद मान कर अपना लेते हैं। मुझे उस दिन हैरानी नहीं होगी जब कन्या पूजन के दिन हम मिट्टी की गुड़िया को पूज रहें होगें।

    मेरा मानना यह है जब मिट्टी की पूजा हो सकती है तो क्या उससे वंश नही पाया जा सकता? यह सवाल उन ताकियानूसी सोच पर है जो आज भी हमारे यहां जीवित हैं।

    इस लेख में हमनें कन्या भ्रूण हत्या के कारण, हल, उपाय, कानून आदि के निबंध के बारे में पढ़ा।

    इस विषय में आप अपने सवाल और सुझाव नीचे कमेंट में लिखकर हम तक पहुंचा सकते हैं।

    3 thoughts on “कन्या भ्रुण हत्या के कारण, हल पर निबंध”
    1. जे पत्र मेरे बहुत ही काम आया हैं और जैसा मैं चाहता था ये पत्र बैसा ही हैं।
      मैं 9 स्टैंडर्ड मे हूँ ।
      धन्यबाद
      मेर नाम— वंश गुप्ता

    2. आपका लेख बहुत अच्छा लगा. स्कूल के बच्चो को मदद मिलेगी इससे
      कन्या भ्रूण हत्या समाज के लिए एक अभिशाप है. इसे मिटाना होगा.
      पूरा लेख पढ़िये- कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध

    3. मैंने कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित फिल्म आठवां वचन एक प्रतिज्ञा का निर्माण किया है यह फिल्म एक मील का पत्थर साबित हो सकती है यदि इसे टीवी पर प्रसारित किया जाए परन्तु मेरे पास कोई प्लेटफार्म नहीं है आप कोई यदि मोका दे तो कन्या भ्रूण हत्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है पहले एक बार इस फिल्म को देखें यूट्यूब पर। रामनिवास शर्मा 9810042018

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