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    विषय-सूचि

    IPv6 और उसके एड्रेसिंग मोड (ipv6 address in hindi)

    IPv6 को इन्टरनेट इंजीनियरिंग टास्क फाॅर्स (IETF) द्वारा IPv4 के exhaustion के समस्या के कारण उसकी जगह लेने के लिए विकसित किया गया था।

    ये एक 128 बिट्स का एड्रेस स्पेस है जिसके पास 2^128 एड्रेस स्पेस है जो कि IPv4 से बहुत ही ज्यादा है। IPv6 में हम कोलन-हेक्सा रिप्रजेंटेशन का प्रयोग करते हैं।

    इसमें कुल 8 समूह होते हैं और हर एक 2 बाइट के होते हैं।

    इसमें तीन एड्रेसिंग मोड होते हैं:

    1. युनिकास्ट
    2. मल्टीकास्ट
    3. एनीकास्ट

    यूनीकास्ट एड्रेसिंग: यूनीकास्ट के एड्रेस सिंगल नेटवर्क इंटरफ़ेस की पहचान करते हैं। यूनीकास्ट एड्रेस को भेजा गया पैकेट उस एड्रेस को पहचान कर और उसी इंटरफ़ेस के पास डिलीवर हो जाता है।

    मल्टीकास्ट एड्रेसिंग: मल्टीकास्ट एड्रेस को एक से ज्यादा होस्ट द्वारा प्रयोग किया जाता है जिन्हें हम ग्रुप कहते हैं और वो एक मल्टीकास्ट डेस्टिनेशन एड्रेस प्राप्त कर लेता है। ये होस्ट भौगोलिक रूप से नजदीक होने जरूरी नहीं है। अगर किसी भी पैकेट को किसी मल्टीकास्ट एड्रेस पर भेजा जाता है तो वो उस एड्रेस से जुड़े सारे के सारे इंटरफ़ेस में डिस्ट्रीब्यूट होता है।

    एनीकास्ट एड्रेसिंग: एनीकास्ट एड्रेसिंग को इन्तेर्के के पूरे समूह को असाइन किया जाता है। लेकिन एनीकास्ट एड्रेस के पते पर भेजा आज्ञा कोई भी पैकेट उस इंटरफ़ेस के सिर्फ किसी एक ही मेम्बर को मिलेगाजो कि अधिकतर केस में होस्ट के अबसे नजदीक वाला नोड होता है।

    IPv6 एड्रेस के प्रकार (types of ipv6 address in hindi)

    वैसे तो इसके IP एड्रेस में 128 बिट्स हिते हैं लेकिन इसके कुछ बिट्स को देख कर ही हम पहचान सकते हैं कि ये किस टाइप का IP एड्रेस है। इसके लिए निम्नलिखित तालिका को देखें:

    प्रेफीक्सएलोकेशनएड्रेस स्पेस का फ्रैक्शन
    0000 0000रिजर्व्ड1/256
    0000 0001Unassigned (UA)1/256
    0000 001NSAP के लिए रिजर्व्ड1/128
    0000 01UA1/64
    0000 1UA1/32
    0001UA1/16
    001ग्लोबल यूनीकास्ट1/8
    010UA1/8
    011UA1/8
    100UA1/8
    101UA1/8
    110UA1/8
    1110UA1/16
    1111 0UA1/32
    1111 10UA1/64
    1111 110UA1/128
    1111 1110 0UA1/512
    1111 1110 10लिंक लोकल यूनीकास्ट1/1024
    1111 1110 11साईट-लोकल यूनीकास्ट1/1024
    1111 1111मल्टीकास्ट1/256

    नोट– एक बात ध्यान देने योग्य है कि IPv6 में किसी भी हॉट को कहीं पर भी सभी 0 या 1 असाइन किये जा सकते हैं जो कि IPv4 में नहीं होता

    IPv6 के फीचर (features of ipv6 address in hindi)

    IPv6 के एक-एक फीचर को ध्यान से समझने के बाद आप इसकी जरूरत और कार्यप्रणाली के बारे में सझ जायेंगे। हम यहाँ डिटेल में इसके सारे फीचर की चर्चा करने जा रहे हैं।

    ज्यादा एड्रेस स्पेस

    IPv4 के एकदम विपरीत, IPv6 इन्टरनेट पर डिवाइस को एड्रेस करने के लिए उस से चार गुना ज्यादा बिट्स का प्रयोग करता है। इतने ज्यादा अतिरिक्त बिट्स आपको लगभग एड्रेस के 3.4*1038 अलग-अलग कॉम्बिनेशन दे सकते हैं।

    इतना ज्यादा एड्रेस पूरी दुनिया में किसी भी संस्था, सरकार सिस्टम इत्यादि की डिजिटल स्पेस सम्बन्धी जरूरतों को पूरा कर सकता है। एक अनुमान के मुताबिक़, इस धरती के हर एक वर्ग मीटर पर 1564 नये एड्रेस allocate किये जा सकते हैं।

    सादा हेडर

    Ipv6 के हेडर को और भी सिंपल बनाया गया है जिसमे सारी वैसी सूचनाएँ और विकल्प जिनकी जरूरत नहीं थी उन्हें IPv6 के हेडर के सबसे अंत में डाल दिया गया है (जो IPv4 हेडर में उपस्थित रहते हैं)।

    IPv6 का हेडर IPv4 के हेडर से केवल दोगुना ही बड़ा है जबकि इसका एड्रेस उस से चार गुना बड़ा है।

    एंड टू एंड कनेक्टिविटी

    अब आरे सिस्टम के पास अपना-अपना यूनिक IP एड्रेस है और वो इन्टरनेट पर कहीं भी बिना NAT या किसी और ट्रांस्मिसिंग कॉम्पोनेन्ट के विचरण कर सकते हैं।

    एक बार IPv6 पूरे अछे तरह से implement हो जाए फिर हर एक होस्ट सीधे किसी दूसरे होस्ट तक पहुँच सकता है। इमे बस फ़ायरवॉल, संस्था के नियम वगैरह तरह के limitation होंगे।

    ऑटो कॉन्फ़िगरेशन

    IPv6 अपने होस्ट devices पर दोनों ही कॉन्फ़िगरेशन के मोड को सपोर्ट करता है जो कि हैं- स्टेटफुल  कॉन्फ़िगरेशन और स्टेटलेस कॉन्फ़िगरेशन।

    इसका मतलब ये हुआ कि अगर DHCP सर्वर नहीं भी उपस्थित हो तो इसमें इंटर सेगमेंट संचार कभी बंद नही हो सकता।

    तेज फोर्वार्डिंग और routing

    सिंपल रूप दिए गये हेडर में सारी ऐसी सूचनाये जिनकी जरूरत नहीं है उ हे हेडर के अंत में डाल दिया जाता है।

    हेडर के पहले पार्ट में जो सूचनाएँ होती हैं वो काफी जरूरी होती है क्योंकि routing के सारे निर्णय उसी आधार पर लिए जाते हैं।

    इस से यह होता यह है कि ये सारे निर्णय काफी तेजी से होते हैं जो सीधा हेडर के पहले भाग में देख कर लिए जा सकते हैं।

    IPsec

    पहले ये निर्णय लिया गया था कि IPv6 में IPsec होगा ही होगा जिस से ये IPv4 से बहुत ज्यादा सिक्योर है लेकिन अब इस आप्शन को वैकल्पिक कर दिया गया है।

    नो ब्रॉडकास्ट

    ईथरनेट या टोकन रिंग को ब्रॉडकस्ट नेटवर्क मन जाता है क्योंकि वो ब्राडकास्टिंग पर काम करते हैं लेकिन IPv6 ब्रॉडकास्ट को सपोर्ट नहीं करता।

    ये एक से ज्यादा होस्ट से संचार करने के लिए मल्टीकास्ट का प्रयोग करता है।

    एनीकास्ट सपोर्ट

    ये IPv6 का एक महत्वपूर्ण characteristics है। IPv6 ने पैकेट routing के एनीकास्ट मोड से परिचय कराया।

    इस मोड के अंदर इन्टरनेट पर एक इंटरफ़ेस के समूह को समान IP एड्रेस दिया जाता है। जबकि routers ट्रांसमिशन के समय सबसे नजदीकी डेस्टिनेशन को पैकेट भेज देते हैं।

    मोबिलिटी

    IPv6 को मोबिलिटी को ध्यान में रखते हुए डिजाईन किया गया था। ये फीचर होस्ट (जैसे कि मोबाइल फोन) को इस बात के लिए सक्षम बनाता है कि वो अलग-अलग भोगोलिक क्षेत्र में विचरण कर सकते हैं और साथ ही एक ही IP के साथ कनेक्ट रह कर ऐसा कर सकते हैं। IPv6 का ये मोबोलिटी फीचर IP कॉन्फ़िगरेशन और एक्सटेंशन हेडर के कारण होता है।

    ज्यादा प्रायोरिटी सपोर्ट

    IPv4 6 बिट के DSCP (difference सर्विस कोड पॉइंट) और 2 बिट के ECN (Explicit Congestion Notification) का प्रयोग कर के सर्विस की गुणवत्ता देता था लेकिन इसका प्रयोग तभी किया जा सकता है जब एंड टू एंड devices इसका समर्थन करें। इसका मतलब ये हुआ कि सोर्स, डेस्टिनेशन और नेटवर्क सब इसे सपोर्ट करने चाहिए।

    वहीं IPv6 में ट्रैफिक क्लास और फ्लो लेवल का प्रयोग कर के नेटवर्क के अंदर राऊटर को ये बताया जाता है कि पैकेट को कैसे अछि तरह प्रोसेस कर के rout करना है।

    स्मूथ ट्रांजीशन

    बड़ा IP एड्रेस स्कीम का फायदा ये होता है कि IPv6 सभी डिवाइस को भोगोलिक रूप से यूनिक एड्रेस देता है।

    ये मैकेनिज्म IP एड्रेस को सेव कर देता है और NAT कि कोई जरूरत नहीं पड़ती। इसके द्वारा डिवाइस आपस में डाटा का एक्सचेंज करने में सक्षम हो जाते हैं।

    उदाहरण के तौर पर, VoIP या कोई और स्ट्रीमिंग मीडिया का प्रयोग ज्यादा एफिशिएंसी के साथ किया जा सकता है।

    दूसरा फैक्ट यह है कि हेडर के पास लोड कम होता है और इसीलिए routers फोर्वार्डिंग के निर्णय और प्रक्रिया पैकेट के आते ही काफी तेजी से करते हैं।

    एक्सटेंसिबिलिटी

    एक्सटेंसिबल का अर्थ हुआ फैलाव के लिए तैयार रहना।

    IPv6 के हेडर के साथ एक अछि बात यह है कि उसमे जरूरत पड़ने पर आप्शन वाले भाग में और नई सूचनाएँ भी डाली जा सकती है। IPv4 ऑपरेशन के लिए केवल 40 बिट देते हैं वहीं IPv6 में आप्शन इतने बड़े हो सकते हैं जितना कि पैकेट का साइज।

    IPv6 का हेडर (ipv6 header in hindi)

    IPv6 के हेडर को नीचे चित्र में दिखाया गया है:

    ये हेडर 40 बिट लम्बा होता है और हम अब एक-एक कर समझायेंगे कि इसमें क्या-क्या सूचनाएँ होती है:

    S.N.Field & Description
    1Version (4-बिट): ये इन्टरनेट प्रोटोकॉल के वर्जन को दिखाता हैl जैसे कि, 0110.
    2Traffic Class (8-बिट): इन 8 बिट को दो भागों में बांटा गया है। मोस्ट significant 6 बिट्स का प्रयोग सर्विस का टाइप दिखाने के लिए किया जाता है जिस से राऊटर को ये पता चलता है कि किस तरह की सर्विस दी जाये। लीस्ट significant 2 बिट को ECN यानि explicit कोन्गेस्तिओन नोतिफ़िकतिओन के लिए प्रयोग किया जाता है।
    3Flow Label (20-बिट): इस लेवल का प्रयोग संचार में पैकेट के फ्लो को ब्र्ब्रार रखने के लिए किया जाता है। सोर्स सीक्वेंस को लेबल कर देता है ताकि राऊटर ये पहचान सके कि कोण सा पैकेट किस फ्लो या सूचना से सम्बन्ध रखता है। ये क्षेत्र एक ही डाटा पैकेट को बार-बार भेजने से छुटकारा देता है। इसे स्ट्रीमिंग यानि कि वास्तविक समय मीडिया के लिए डिजाईन किया गया है।
    4Payload Length (16-बिट): इस क्षेत्र का इस्तेमाल राऊटर को ये बताने के लिए किया जाता है कि पेलोड में कोई खास पैकेट कितनी सूचना रखे हुए है। पेलोड में एक्सटेंशन हेडर और उपरी लेयर का डाटा होता है। 16 बिट्स के साथ 65,535 बाइट तक दिखाए जा सकते हैं लेकिन अगर एक्सटेंशन हेडर के पास hop-by-hop एक्सटेंशन हेडर है तो पेलोड 65,535 बाइट से ज्यादा भी हो सकता है और इस क्षेत्र को 0 सेट कर दिया जाता है।
    5Next Header (8-बिट): इस फील्ड का प्रयोग या तो एक्सटेंशन हेडर का टाइप बताने में किया जाता है या फिर अपर-लेयर PDU बताने में (अगर एक्सटेंशन हेडर उपस्थित नही हो तो)
    6Hop Limit (8-बिट): इस क्षेत्र का प्रयोग पैकेट को हमेशा के लिए रोक देने के लिए किया जाता है।
    7Source Address (128-बिट): ये क्षेत्र इस बारे में सूचना देता है कि पैकेट को कहाँ से भेजना शुरू किया गया है।
    8Destination Address (128-बिट): ये क्षेत्र ये बताता है कि इस पैकेट को कहाँ भेजा जाने वाला है।

     

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    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

    One thought on “कंप्यूटर नेटवर्क में इन्टरनेट प्रोटोकॉल v6 (IPv6); फीचर, हेडर और एड्रेसिंग मोड”

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