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    पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के राज्यमंत्री हमद अजहर और उनकी टीम मंगलवार से बीजिंग में शुरू हो रही आतंक के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की संयुक्त बैठक में 22 बिंदुओं पर देश के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी और इसके साथ ही थोड़ी और मोहलत की भी मांग करेगी। एक समाचार रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई।

    द न्यूज इंटरनेशनल ने सोमवार को इस रपट में कहा कि तीन दिवसीय (मंगलवार से गुरुवार) इस बैठक में पाकिस्तान के 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिए देश के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एफएटीएफ द्वारा दी गई 22 प्रमुख कार्ययोजना बिंदुओं पर अपनी बात रखने के उद्देश्य से भाग ले रहे हैं।

    दूसरी ओर, एफएटीएफ की आगामी विस्तृत बैठक की सम्भवत: अगले महीने पेरिस में आयोजित होने की उम्मीद है, जहां पाकिस्तान के लिए तीन संभावनाएं हो सकती हैं-या तो ग्रे सूची से बाहर किया जाएगा और सफेद सूची पर लाया जाएगा या सबसे खराब स्थिति में ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। ग्रे लिस्ट की स्थिति में पाकिस्तान साल 2018 के जून से मौजूद है।

    पाकिस्तान ने अपनी अनुपालन रिपोर्ट में एफएटीएफ के संयुक्त समूह को अवगत कराया कि देश में ज्यादा से ज्यादा 500 आतंक-वित्तपोषण से संबंधित मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 55 अदालत में दोषी ठहराए गए।

    अपनी पिछली बैठक में एफएटीएफ ने कार्ययोजना के कुल 27 बिंदुओं में से केवल पांच पर ही संतोष दिखाया था और फरवरी तक देश को ग्रे सूची में रखने का निर्णय लिया था।

    जानकार सूत्रों के मुताबिक, कार्ययोजना के बचे कुल 22 बिंदुओं पर अपनी बात रखने की फरवरी तक की समयसीमा बहुत कम होने के चलते पाकिस्तान को इस बात की उम्मीद है कि एफएटीएफ उन्हें संभवत: जून या सितंबर तक का और वक्त दे दें।

    पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्की, मलेशिया, सऊदी अरब और मध्य पूर्वी देशों के राजनयिक समर्थन के चलते ब्लैकलिस्ट से बचने में सफल रहा है।

    अब ब्लैकलिस्ट में शामिल होने से बचने के लिए एफएटीएफ फोरम के कुल 39 सदस्यों में से सिर्फ तीन वोटों की आवश्यकता है।

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