Tue. Apr 23rd, 2024
    अमेरिका ट्रम्प प्रशासन

    अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन 2011 में प्रस्तावित एच-1 बी वीजा नियम को पुनर्जीवित करने की योजना बना रहा है जिसमें पहले अमेरिका में काम करने वाले विदेशी नागरिकों का नियोक्ता के द्वारा प्री-रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है। इसी योजना को ट्रम्प प्रशासन वापस से लाने की योजना बना रहा है।

    इसका असर सबसे ज्यादा भारतीयो पर पड़ने की आशंका है। ट्रम्प प्रशासन एक बार फिर से एच-1बी वीजा में कड़े बदलाव करने जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका में काम करने वाले भारतीय इंजीनियरों पर पड़ सकता है।

    जानकारी के अनुसार ये नया नियम अगले साल फरवरी से लागू हो सकता है। इसके मुताबिक अमेरिका में स्थित बड़ी कंपनियों को वहां काम करने वाले विदेशियों को काम में रखने से पहले इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण कराना होगा।

    साथ ही ये कंपनियां सालाना 85000-65000 दूसरे देशों से कर्मियों का प्री रजिस्ट्रेशन कर सकती है, जबकि यूएस विश्वविद्यालयों और कॉलेज में एडवांस डिग्री पाने वाले करीब 20000 हजार विदेशी कर्मियों को नियुक्त कर सकते है।

    बाय अमेरिकन – हायर अमेरिकन की नीति पर चल रहे ट्रम्प

    हालांकि इन नए नियमों के बाद यह कहना मुश्किल है कि इसका असर यूएस नियोक्ता के लिए आसान रहेगा या कठिन। लेकिन अमेरिका में काम करने वाली दिग्गज आईटी कंपनियां इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो में काम करने वाले एच -1बी कामगारों पर इसका असर पड़ सकता है।

    एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका में करीब 70 प्रतिशत एच -1बी श्रमिक भारत से आकर यहां पर माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और फेसबुक जैसे अमेरिकी कंपनियों में काम करते है। इससे पहले भी ट्रम्प ने ग्रीन कार्ड मामले में कठोर परिवर्तन किया था।

    गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रम्प जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने है तब से ही उन्होंने अमेरिकी लोगों पर ज्यादा फोकस किया है। उन्होंने “बाय अमेरिकन – हायर अमेरिकन” की नीति भी चला रखी है।

    ट्रम्प की योजना है कि विदेशी कामगारों की बजाय अमेरिका में काम करने वाले लोगों को पहले यहां पर नौकरी की प्राथमिकता मिले।