Sat. Apr 20th, 2024
    सुषमा स्वराज

    उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन उम्मीदवार को लेकर संशय अभी भी बरकरार है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ सहयोगी दलों के नेताओं के नाम भी दौड़ में शामिल है। दूसरी ओर कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के पोते गोपाल कृष्णा गाँधी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। उपराष्ट्रपति पद के लिए 5 अगस्त को वोट डाले जायेंगे। परिणाम की घोषणा भी उसी दिन कर दी जाएगी।

    किसी भी करवट बैठ सकता है ऊँट

    राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए भाजपा ने अप्रत्याशित रूप से रामनाथ कोविंद का चुनाव किया था जिसने बिहार के महागठबंधन में भी दरार डाल दी थी। देश के अब तक के इतिहास में यह पहला अवसर था जब किसी दलित को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया हो। रामनाथ कोविंद मूलतः उत्तर प्रदेश के निवासी है और दलित समाज से ताल्लुक रखते है। अगर तथ्यों पर गौर किया जाए तो 2014 के आम चुनावों में भाजपा(+) ने उत्तर प्रदेश की 73 सीटें जीतीं थी जो की पार्टी के बहुमत का मुख्य आधार था। यूँ ही नहीं कहा जाता है की देश के राजनीति की दशा-दिशा उत्तर प्रदेश निर्धारित करता है।

    उत्तर प्रदेश के निवासी दलित का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनना भाजपा के दलित वोट बैंक बढ़ाने का फार्मूला है। योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के बाद एक तबका जो भाजपा के वोट बैंक से कट गया था उसकी भरपाई रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी ने कर दी है। साथ ही भाजपा की यह कोशिश है कि जातिगत आधार पर बनी क्षेत्रीय पार्टियों का पूरी तरह सफाया कर दिया जाये। भाजपा अब हर कदम 2019 आम चुनावों को ध्यान में रखकर उठा रही है चाहे वह योगी को मुख्यमंत्री बनाना हो या कोविंद की दावेदारी। उसकी यह सोच कितनी कारगर साबित होती है ये तो वक़्त ही बताएगा पर फिलहाल भाजपा के इस क़दम ने विपक्षी दलों की नींद हराम कर रखी है।

    अब अगर समीकरणों पर गौर करें तो नजर आता है कि भाजपा अपने सहयोगी दलों के किसी वरिष्ठ नेता को मैदान में उतार सकती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का नाम भी चर्चा में है पर ऐसी चर्चा तो लाल कृष्ण आडवाणी की भी थी। सुषमा स्वराज का चयन निश्चय ही सर्वप्रिय होगा और ये भाजपा के “सशक्त महिला, सशक्त भारत” कथन को चरितार्थ करेगा। कलराज मिश्रा जो पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते है और प्रदेश में हिंदुत्व के बड़े चेहरे है, उनके लिए भी अटकलों का बाज़ार गर्म है। कलराज मिश्रा की उम्मीदवारी उत्तर प्रदेश के सवर्णों में भाजपा की पैठ को और मजबूत करेगी। भाजपा दक्षिण में अपनी दमदार उपस्थिति जताने के लिए वेंकैया नायडू पर भी दांव खेल सकती है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी अटकलों में शामिल हैं। उनकी उम्मीदवारी सहयोगियों में भाजपा के “सबका साथ, सबका विकास” के कथन को चरितार्थ करेगी।

    विपक्ष की सोच

    विपक्ष ने महात्मा गाँधी के पोते गोपाल कृष्ण गाँधी पर दांव खेला है। साफ़-सुथरी छवि और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत गाँधी परिवार के वंशज 1968 बैच के आईएएस अफसर रह चुके हैं और केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। पूर्व में वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं और इन्हें लेफ्ट का समर्थन भी हासिल है। इससे पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए भी इनका नाम सुर्ख़ियों में आया था।

    मतदान का दिन

    चुनाव आयोग ने 5 अगस्त को मतदान का दिन निर्धारित किया है। नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 4 जुलाई से शुरू है जो 18 अगस्त तक चलेगी। मतदान के बाद शाम तक परिणाम जारी कर दिए जायेंगे।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।