Sat. Apr 20th, 2024

    उत्तर प्रदेश में इन दिनों प्रदूषण ने कहरा बरपा रखा है। इससे इंसान तो पहले ही परेशान थे, अब जानवरों के लिए भी काफी मुश्किल हो रही है। ताजा उदाहरण कानपुर के प्राणी उद्यान का है, जहां वायु प्रदूषण का असर वन्य जीवों पर भरपूर पड़ रहा है। कानपुर की आबोहवा इतनी खराब हो गई है कि इससे जानवरों का दम घुट रहा है। प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप से जानवरों के अंदर धूल के कण जम रहे हैं। कानपुर के जानवरों को सबसे ज्यादा दिक्कत वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से हो रही है। आम इंसान तो धूल से बचने के लिए मास्क लगा लेता है लेकिन जानवर तो मास्क भी नहीं लगा सकते हैं। जितने भी जानवर इन दिनों मर रहे हैं सबके फेफड़ों में धूल के कण और कार्बन की मात्रा काफीपाई जा रही है, इसी वजह से इनकी मौत हो रही है।

    कानपुर के प्राणी उद्यान में तैनात पशु चिकित्साधिकारी आर. के. सिंह ने आईएएनएस को बताया कि प्रदूषण का असर कभी डायरेक्ट नहीं होता है। यह जैसे मनुष्य के शरीर में करता है, ठीक उसी प्रकार जनवरों के शरीर में धीरे-धीरे करता है। लेकिन हाल-फिलहाल प्रदूषण के कारण हमारे यहां कोई मौत नहीं हुई है। पिछले माह हमारे यहां एक बाघ अपनी आयु पूरी करके मरा था। उसके पोस्टमार्टम में उसके फेफड़े में धूल के अलावा अन्य कई बाहरी तत्व चिपके मिले थे। इससे पहले जो मरे थे उनके भी शरीर में प्रदूषण का असर था।

    उन्होंने बताया कि बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण पर्वतीय भालू और गैंडे के जोड़े प्रजनन से दूर हो गए हैं। यह प्रजनन के लिए शांति पसंद करते हैं। लेकिन ध्वनि ज्यादा होने के कारण यह लोग अपने साथी से दूर हो गए हैं। शांति में इनके शरीर में अलग हार्मोन्स रिलीज होते हैं, जो प्रजनन में सहायक होते हैं, लेकिन शोर के कारण इनका रिसाव रुक जाता है।

    चिड़ियाघर घर के सहायक निदेशक एके सिंह ने कहा, “इन दिनों कानपुर में वायु और ध्वनि प्रदूषण के कारण यहां की आबोहवा खराब हो गई है। इसका असर सीधा जानवरों पर पड़ रहा है। वह चिड़चिड़े हो रहे हैं या फिर सुस्त हो जा रहे हैं। यही नहीं यहां पर रात भर काम चलता है जिसके कारण होने वाले शोर से जानवर परेशान हो रहे हैं और यही नहीं काम के दौरान जलने वाली बड़ी बड़ी लाइट भी जानवरों को बहुत परेशान कर रही हैं।”

    रोडवेज का बसअड्डा और सेग्नेचर की बिल्डिंग बनने के कारण ध्वनि ज्यादा हो रही है, जो जानवरों के लिए नुकसानदायक है। यहां जो फ्लैट बन रहे हैं, उनसे रोग और प्रदूषण बढ़ेगा और जनवरों और मनुष्यों में परेशानी होगी।

    उन्होंने बताया कि केंद्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने काम रोका, लेकिन कुछ शतोर्ं के साथ काम दोबारा शुरू हो गया। इस बीच पिछले कुछ साल से सर्दियों के मौसम होने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण लोगों को परेशान कर रहे हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *