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    उत्तर कोरिया संकट

    उत्तर कोरिया संकट को लेकर अब अमेरिकाकनाडा अगले महीने एक बैठक की सह-मेजबानी करेंगे। इस बैठक में हालाँकि अमेरिका के साथी देश जापान नें अब तक शामिल होने की इच्छा नहीं जताई है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार दोनों देश इस बैठक को इसी महीनें करने के पक्ष में थे, लेकिन जापान इसको इस साल इस साल कराने के पक्ष में नहीं है।

    अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन व कनाडा में उनके समकक्ष क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने कल ओटावा मे हुई बैठक के दौरान यह घोषणा की है। ये बैठक 16 जनवरी को होगी जिसकी मेजबानी अमेरिका व कनाडा करेंगे। इस बैठक में भारत सहित दुनिया के कई देशों के विदेश मंत्रियों के शामिल होने के आसार है।

    टिलरसन ने कहा कि जनवरी के मध्य में वैंकूवर समूह की बैठक होगी। इस बैठक में कोरियाई संघर्ष से ग्रस्ति देशों के विदेश मंत्रियों के साथ ही अन्य देश भी शामिल होंगे। वैंकूवर समूह में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, कोलम्बिया, इथियोपिया, फ्रांस, ग्रीस, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड और तुर्की शामिल है।

    टिलरसन ने संवाददाताओं को कहा कि 16 जनवरी को होने वाली बैठक में वैंकूवर समूह के इन देशों के अलावा दक्षिण कोरिया, जापान, भारत व स्वीडन सहित कई देशों को शामिल किया जा रहा है। ये सभी देश उत्तर कोरिया संकट को लेकर होने वाली बैठक में शिरकत करेंगे।

    उत्तर कोरिया पर बनाया जाएगा अधिकतम दबाव

    टिलरसन ने कहा कि विदेश मंत्रियों के स्तर की होने वाली संभावित बैठक में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि उत्तर कोरिया पर वर्तमान दबाव अभियान की प्रभावशीलता में सुधार कैसे किया जाए।

    इस बैठक में उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों को रोकने के लिए संभावित चर्चा की जाएगी साथ ही तय किया जाएगा कि इस मामले को शांति से सुलझाया जा सकता है या फिर युद्ध के द्वारा।

    इस दबाव अभियान वार्ता का मुख्य उद्देश्य है कि उत्तर कोरिया बात करने के लिए तैयार हो जाए अन्यथा अमेरिका का नेतृत्व वाला अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी उससे बात नहीं करेगा।

    वहीं कनाडा के विदेश मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने कहा कि 16 जनवरी को होने वाली बैठक में उत्तर कोरिया के खतरनाक व अवैध कार्यों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन किया जाएगा।

    आगे कहा कि उत्तर कोरिया पर तब तक दबाव बनाया जाएगा जब तक कि उसके व्यवहार मे बदलाव नहीं आ जाता। साथ ही आशा जताई है कि बैठक से राजनियक समाधान निकल सकता है।

    भारत का बैठक में शामिल होना अच्छा संकेत

    उत्तर कोरिया परमाणु हथियार परीक्षणों को लेकर भारत भी इस बैठक में शामिल होने वाला है। भारत का इस बैठक में अलग से शामिल होना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी अहम भूमिका को साबित करता है।

    उत्तर कोरिया परमाणु हमले से अभी तक भारत को कोई खतरा साबित नहीं हुआ है। लेकिन आशंका जताई जा रही है कि उत्तर कोरिया कभी भी परमाणु हमलों का प्रयोग दुनिया के किसी भी देश के खिलाफ कर सकता है।

    मौजूदा हालातों में अमेरिका, जापान व दक्षिण कोरिया जैसे देशों को उत्तर कोरिया से सर्वाधिक खतरा है। अगले महीने होने वाली बैठक में चीनपाकिस्तान को शामिल नहीं किया जा रहा है। जो इस बात का संकेत है कि अमेरिका भारत को वैश्विक स्तर पर बड़ी भूमिका मान रहा है।