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    अमेरिका के साथ तनाव के बीच ईरान में शुक्रवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान जारी है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने पहला वोट डाल कर औपचारिक तौर पर मतदान प्रक्रिया की शुरुआत की। मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू हुआ। राष्‍ट्रपति चुनाव में देश की न्यायपालिका के प्रमुख इब्राहिम रायसी की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। हालांकि मतदान फीका नजर आ रहा है।

    रायसी को ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामनेई का काफी नजदीकी माना जाता है। ईरान के लोगों में निवर्तमान राष्ट्रपति हसन रूहानी के प्रशासन के प्रति निराशा एवं रोष के कारण चुनाव में इस बार कट्टरपंथियों की स्थिति मजबूत नजर आ रही है। रूहानी के नेतृत्व में ईरान ने दुनिया के शक्तिशाली देशों के साथ 2015 में परमाणु समझौता किया था।

    ईरान में 5.9 करोड़ लोगों को मताधिकार

    इसके तहत ईरान को खुद पर लगे प्रतिबंधों में छूट के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना था, लेकिन 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश को इस समझौते से बाहर निकाल लिया, जिसके बाद समझौते को ले कर स्थिति अस्पष्ट रही। साथ ही ईरान की पहले से खराब अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की बिक्री बंद होने, महंगाई बढ़ने और मुद्रा के कमजोर होने से और खस्ताहाल हो गई।

    ‘सेंट्रल बैंक’ के पूर्व प्रमुख अब्दुलनासिर हेम्माती भी चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें उदारवादी चेहरा माना जाता है। कुल चार उम्मीदवार राष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में हैं। ईरान के आठ करोड़ से अधिक लोगों में से 5.9 करोड़ लोगों को मताधिकार हासिल है। हालांकि सरकारी ‘ईरानियन स्टूडेंट पोलिंग एजेंसी’ ने कुल 42 प्रतिशत मतदान होने का अनुमान लगाया है, जो कि 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से सबसे कम होगा। ईरान इस समय कोविड-19 महामारी, वैश्विक अलगाव, व्यापक अमेरिकी प्रतिबंधों और बढ़ती महंगाई जैसी समस्याओं से जूझ रहा है, इसलिए चुनाव को लेकर मतदाताओं के बीच कोई खास उत्साह नहीं दिखाई दे रहा।

    इसलिए पक्की लगती है रईसी की जीत

    ईरान में कट्टरपंथी नेता इब्राहिम रईसी मौलवियों के उस छोटे से समूह का हिस्सा हैं, जिसने 1988 में तत्कालीन सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी के आदेश पर ईरान-इराक युद्ध के बाद बंदी बनाए गए हजारों राजनीतिक कैदियों को मारने के आदेश पर दस्तखत कर दिए थे।

    तब वे तेहरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशन कोर्ट में एक प्रॉसिक्यूटर के पद पर थे। इसके बाद अमेरिका ने रईसी पर प्रतिबंध लगा दिए। इसका लाभ देश के कट्टरपंथी मतदाताओं के बीच इस बार उठाने में सबसे आगे हैं।

    दुश्मनों का दबाव घटाएगा अधिक मतदान : खामनेई

    ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह खामेनेई ने ईरानी लोगों से आग्रह किया कि वे शुक्रवार को राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले मतदान में जरूर हिस्सा लें। उन्होंने कहा, अधिक मतदान व इस्लामी रिपब्लिक पर बाहरी दबाव के बीच सीधा संबंध है। यदि मतदान में लोगों की भागीदारी कम होती है तो दुश्मनों का दबाव बढ़ेगा। विदेशी दबाव और प्रतिबंधों को कम करने के लिए मतदान में लोगों की भागीदारी बढ़ना बेहद जरूरी है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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