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    भारत, ईरान और अफगानिस्तान

    भारत ने कल रविवार को गुजरात के कांडला बंदरगाह से ईरान के चाबहार बंदरगाह के लिए गेंहू से भरा एक जहाज रवाना किया। यह व्यापारिक सौदा भारत और अफगानिस्तान के बीच है, जिसे पूरा करने के लिए भारत ईरान की मदद ले रहा है।

    ईरान के चाबहार बंदरगाह से ट्रक के जरिये यह गेंहू अफगानिस्तान के लिए रवाना किया जाएगा। दरअसल, यदि यह व्यापारिक मार्ग पाकिस्तान के जरिये होकर गुजरता, तो यह भारत के लिए समय और खर्चे के हिसाब से फायदेमंद होता। लेकिन दोनों देशों के बीच बिगड़ते हुए रिश्तों के बीच यह संभव नहीं हो सका।

    कांडला-चाहबहार बंदरगाह

    भारत को हालाँकि यह पहले ही पता था, कि मध्य एशिया के देशों से व्यापार करने के लिए भारत पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रह सकता है। इसी कारण से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल ही ईरान के साथ एक समझौता किया था, जिसमे भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए लगभग 3000 करोड़ रुपयों का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव के बदले भारत अपने व्यापारिक सौदों के लिए ईरान के इस बंदरगाह का इस्तेमाल करेगा।

    भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तीनों देशों के बीच इस व्यापारिक समझौते पर कहा कि इसके जरिये तीनों देशों में बिना कोई रुकावट के माल और सेवा का आयात-निर्यात हो सकेगा।

    ‘मुझे विश्वास है कि यह हमारे रिश्तों की शुरुआत है, जिसके जरिये हम एक दूसरे के बीच संस्कृति और व्यापार, परम्पराओं से तकनीक, निवेश से लेकर आईटी, सेवाओं से लेकर योजना और लोगों से राजनीति तक जुड़ सकेंगे,’ सुषमा ने कहा।

    भारत ने हाल ही में रूस के साथ मिलकर उत्तर-दक्षिण विकास मार्ग को भी विकसित करने की योजना बनायी है। इस योजना के जरिये विकसित किया जाने वाला मार्ग ईरान के चाबहार बंदरगाह से होकर गुजरता है।

    भारत-रूस विकास मार्ग

    ऐसे में यह कहना सही होगा कि भारत ने भविष्य की बड़ी योजनाओं को साकार करना अभी से शुरू कर दिया है। ऊपर दिए गए मानचित्र को देखें, तो यह देखा जा सकता है कि पहले भारत को रूस तक पहुँचने के लिए पुरे यूरोप का चक्कर लगाना पड़ता था। ऐसे में इस नयी योजना के तहत भारत ईरान के जरिये सीधे मॉस्को तक पहुँच सकता है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।