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    चीन और इटली

    चीन की महत्वकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना में जी 7 से पहला जुड़ने वाला देश इटली है। पश्चिमी देशों की चेतावनी के बावजूद रोम ने बिगड़ती अर्थव्यवस्था को संवारने के लिए इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए थे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीन दिवसीय यात्रा पर इटली गए थे।

    चीन और इटली संबंधों में विस्तार करना चाहते हैं, जबकि अमेरिका के साथ बीजिंग अभी व्यापार युद्ध में बंधा हुआ है। दोनों राष्ट्रों की कंपनियों ने 10 समझौतों पर दस्तखत किये थे। इसमें ऊर्जा, स्टील और गैस पाइपलाइन क्षेत्र शामिल है। हालाँकि इस कॉन्ट्रैक्ट की पूरी जानकारी का खुलासा नहीं किया गया है।

    रायटर्स के मुताबिक यह डील 22.62 अरब डॉलर की है जबकि इटली की मीडिया के अनुसार यह मूल्य 5 अरब यूरो है।

    शुक्रवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने इटली के समकक्षी सर्जिओ मट्टरेल्ला से मुलाकात की थी। राष्ट्रपति शी की यात्रा से पूर्व रोम में एक हज़ार सैनिको की तैनाती की गयी थी। इटली के उप प्रधानमंत्री मट्टेओ साल्विनि ने कहा कि “वह राष्ट्रपति शी के लिए शनिवार को आयोजित रात्रि भोज में शामिल नहीं होंगे।”

    उन्होंने कहा कि “इटली किसी का उपनिवेश नहीं हो सकता है और हुआवेई के नेक्स्ट जनरेशन 5 जी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर खतरे को इत्तलाह किया था। जबकि गठबंधन के साझेदार लुइगी डी माइओ चीन के साथ साझेदारी करने के लिए उत्सुक है।”

    इटली की ओर से हालाँकि यह तर्क दिया जा रहा है कि इस बेल्ट एंड रोड से जुड़ने से उसका चीन से व्यापार घाटा कम हो जाएगा, जो साल 2018 में लगभग 12.1 अरब डॉलर था। लेकिन फ्रांस और जर्मनी ऐसे यूरोपी देश हैं, जिनका चीन के साथ व्यापार संतुलित है और ये देश बेल्ट एंड रोड योजना का हिस्सा भी नहीं हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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