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    खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी

    नवंबर महीने में खुदरा महंगाई 16 महीने के सबसे उच्चे स्तर 4.88 फीसदी पर पहुंच चुकी है, दरअसल सब्जियों की बढ़ती कीमतें तथा ईंधन के दामों में इजाफा इस खुदरा महंगाई की सबसे बड़ी वजह है। नवंबर में सब्जियों के दाम एक साल पहले की तुलना में 22.48 प्रतिशत बढ़े हैं।

    हांलाकि पिछले साल नवंबर में सब्जियों की कीमतों में 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। आप को जानकारी के लिए बता दें नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 4.41 फीसदी हो गई, जबकि अक्टूबर में यही आंकड़ा 2.26 फीसदी था। दालों को छोड़कर सभी सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है। जबकि सब्जियों के दाम तो सातवें आसमान पर हैं।

    मुद्रास्फीति दर

    गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तलों की कीमतें ज्यादा बढ़ी हैं, जिसके कारण देश में ईंधन के दामों में महंगाई देखने को मिली है। नवंबर महीने में ईंधन की कीमतों में 7.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। देश में तेल की कीमतों में निरंतर बढ़ोतरी एक अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि ईंधन के महंगा होने का मतलब आने वाले समय खुदरा महंगाई और बढ़ेगी, यही नहीं खाद्य कीमतें में बढ़ेंगी। खुदरा मुद्रास्फीति का सीधा असर सरकारी कर्मचारियों के वेतन वृद्धि में भी देखने को मिली है, कर्मचारियों का एचआरए भत्ता 4.98 से बढ़ाकर 7.36 फीसदी कर दिया गया है।

    आरबीआई पूर्वानुमान को चोट

    सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा नीति बैठक में मुद्रास्फीति 4 फीसदी तक रहने की घोषणा की थी, जबकि नंवबर में ही मुद्रास्फीति बढ़कर 4.83 फीसदी हो गई। हांलाकि आरबीआई ने वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति 4.3-4.7 फीसदी रहने की भविष्यवाणी की थी।

    रिजर्व बैंक ने सर्वेक्षण के आधार पर मार्च तक खुदरा मुद्रास्फीति को 4.4 फीसदी तथा मुख्य मुद्रास्फीति को 4.5 फीसदी तक रहने का पूर्वानुमान लगाया था। लेकिन नवंबर महीने में मुद्रास्फीति 4.88 फीसदी के आंकड़े ने आरबीआई को परेशान कर दिया है, इससे आगामी महीनों मुद्रास्फीति दर और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद दिखाई दे रही है।