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    i3s technology in hindi

    विषय-सूचि


    आई3एस एक ऐसी तकनीक है, जो आपकी मोटरसाइकिल के इंजन को अपने आप बंद कर देती है, जिससे तेल कम खर्च हो और प्रदुषण से भी बचा जा सके।

    उदाहरण के तौर पर, जब हम किसी ट्रैफिक लाइट पर खड़े होते हैं, तब हमारा इंजन चालु रहता है, जिससे तेल भी खर्च होता रहता है और धूँआ भी निकलते रहता है।

    आई3एस तकनीक को मुख्य रूप से प्रदुषण के लिए लाभदायक बताया है, इसी लिए इसे हरी तकनीक भी कहा गया है।

    आई3एस तकनीक की मदद से जब आपकी बाइक खड़ी होगी, तब इंजन अपने आप बंद हो जाएगा और जब आप चलने के लिए एक्सेलरेटर दबायेंगे, तब गाड़ी का इंजन अपने आप शुरू हो जाएगा।

    दरअसल आई3एस तकनीक की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि जब हम अपने आप बार-बार गाड़ी के इंजन को बंद-चालु करते हैं, तब पेट्रोल भी ज्यादा खर्च होता है और प्रदुषण भी ज्यादा फैलता है।

    इसलिए इस समस्या से निपटने के लिए एक ऐसी तकनीक को खोजा गया, जो अपने आप ही गाड़ी एक इंजन को बंद-चालु कर दे और जिससे ज्यादा तेल भी खर्च ना हो। इसीलिए आई3एस टेक्नोलॉजी को खोजा गया।

    आई3एस टेक्नोलॉजी का मतलब (i3s technology information in hindi)

    आई3एस टेक्नोलॉजी का मतलब है आईडीएल स्टॉप-स्टार्ट सिस्टम यानी कि एक ऐसा सिस्टम, जो अपने आप बंद-चालु हो सके।

    इससे पहले गाड़ियों में स्टार्टर मोटर होती थी, जिसमें इंजन को बंद करने के लिए ज्यादा बैटरी खर्च होती थी, और ज्यादा समय भी लगता था।

    आई3एस टेक्नोलॉजी की मदद से इंजन जल्दी बंद चालु हो जाएगा और इस बीच ठंडा भी हो सकेगा।

    आई3एस टेक्नोलॉजी किसी भी गैसोलीन इंजन को जल्द से बंद और चालु कर सकता है, जैसी कि किसी ट्रैफिक लाइट या एक्सीडेंट के मामले में।

    आई3एस टेक्नोलॉजी कैसे कार्य करती है? (how does i3s technology work in hindi)

    इस टेक्नोलॉजी में मुख्य कार्य बैटरी का होता है। बैटरी का मुख्य कार्य होता है कि वह जल्द से इंजन को बंद कर दे और जल्द से ही उसे शुरू कर दे।

    यह इस प्रकार कार्य करेगी कि मान लीजिये, आप ट्रैफिक लाइट पर गाड़ी रोकते हैं। साधारण स्थिति में या तो आप इंजन को बंद नहीं करते हैं, यदि करते भी हैं, तो यह धीरे-धीरे बंद होता है और बैटरी पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।

    आई3एस टेक्नोलॉजी की मदद से जैसे ही बैटरी को लगता है कि गाड़ी रुकी हुई है, यह तुरंत इंजन को पूरी तरह से बंद कर देती है और जब आप एक्सेलरेटर घुमाते हैं, तो यह फिर से शुरू हो जाती है।

    आई3एस टेक्नोलॉजी के फायदे (benefits of i3s technology in hindi)

    • पेट्रोल 5 से 10 प्रतिशत तक कम खर्च होता है।
    • co2 गैस का उत्सर्जन भी 5 से 10 फीसदी तक कम हो जाता है।
    • इंजन अपने आप 350 मिलीसेकंड के भीतर शुरू हो जाता है।
    • जब गाड़ी खड़ी होती है, तो किसी प्रकार का हिलना-डुलना नहीं होता है।
    • लगाने में ज्यादा खर्चा नहीं आता है।
    • इंजन अपने आप बंद-चालु हो जाता है।

    आई3एस टेक्नोलॉजी के नुकसान (disadvantage of i3s technology in hindi)

    • इंधन ज्यादा बचाव नहीं कर पाता है।
    • कुछ गाड़ियों में एसी बंद हो जाती है।
    • कई कंपनियां इसके लिए अधिक चार्ज करती हैं।
    • चार पहिये की गाड़ी में यह टेक्नोलॉजी लगाने के लिए विशेष प्रकार की बैटरी और स्टार्टर लगाना होता है।

    आई3एस टेक्नोलॉजी का उपयोग (uses of i3s technology in hindi)

    • हीरो स्प्लेंडर आई-स्मार्ट बाइक (hero splendor ismart) में इस्तेमाल।
    • महिंद्रा एंड महिंद्रा (mahindra and mahindra)  नें भी अपनी गाड़ियों में इसकी शुरुआत कर दी है।
    • बड़ी गाड़ियाँ जैसे महिंद्रा स्कार्पियो (mahindra scorpio), महिंद्रा बोलेरो (mahindra bolero) और महिंद्रा एसयुवी (mahindra suv) में इसका प्रयोग हो रहा है।
    • टाटा मोटर्स नें भी इसे टाटा ऐस (tata ace) में शुरू कर दिया है।
    • फ़िएट नें भी इसकी शुरुआत फ़िएट 500 (fiat 500) में कर दी है।
    • हौंडा सिविक-हाइब्रिड नें 2006 में ही इस टेक्नोलॉजी की शुरुआत कर दी थी।
    • वोल्क्स्वगन नें भी अपने वेंटो गाड़ी में इसे लगाया था।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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