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विजयवाड़ा के एक छात्रावास में बी-फार्मेसी की छात्रा आयशा मीरा के दुष्कर्म और हत्या के 12 साल बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को उसके शव को नए सिरे से अंत्यपरीक्षण के लिए भेजा है। दिल्ली के फॉरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तेनाली शहर में स्थित कब्रिस्तान में शव का परीक्षण कर रही है।

सीबीआई अधिकारियों की देखरेख में मंगलवार तड़के शव को कब्र से बाहर निकाला गया, जिससे इस सनसनीखेज मामले की जांच शुरू हो गई है। इस मामले में अभी तक कई मोड़ देखने को मिले हैं।

हाईकोर्ट के निर्देश पर पिछले साल जांच शुरू करने वाली एजेंसी को भयावह अपराध में कुछ सुराग मिलने की उम्मीद है। उक्त अपराध ने उस समय अविभाजित पूरे आंध्र प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था।

विजयवाड़ा के पास 27 दिसंबर, 2007 की रात इब्राहिमपट्टनम में एक निजी महिला छात्रावास के बाथरूम में 19 वर्षीय छात्रा का शव खून से सना हुआ मिला था, जिस पर चाकू से कई वार किए गए थे।

पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि दोषियों को बचाने के लिए सबूत मिटा दिए गए। उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन मंत्री के परिवार में से ही एक व्यक्ति और उसके दोस्त इस अपराध में शामिल थे, लेकिन निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें सजा सुनाई गई।

पुलिस ने 2008 में दावा किया था कि सेलफोन लूट मामले में गिरफ्तार सत्यम बाबू ने आयशा की हत्या की बात कबूल कर ली है।

विजयवाड़ा की एक महिला अदालत ने 10 सितंबर, 2010 को सत्यम बाबू को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

हैदराबाद हाई कोर्ट ने 2017 में दलित युवक सत्यम बाबू को बरी कर दिया। अदालत ने मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश दिया।

इसके बाद राज्य सरकार ने नए सिरे से जांच करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। हाईकोर्ट एसआईटी द्वारा की जा रही जांच का निरीक्षण कर रहा था, जिसमें पाया गया कि मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड ट्रायल कोर्ट द्वारा नष्ट कर दिए गए थे।

अदालत ने एसआईटी के जांच के तरीके पर नाखुशी व्यक्त करते हुए नवंबर 2018 में मामले को सीबीआई को सौंप दिया।

एजेंसी को मामले से संबंधित रिकॉर्ड खत्म करने की जांच करने के लिए भी निर्देश दिए गए। इसके बाद सीबीआई ने ट्रायल कोर्ट के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

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