Wed. Apr 24th, 2024
    अल्फा सेंचुरी alpha centauri in hindi

    विषय-सूचि

    अल्फा सेंचुरी क्या है? (what is alpha centauri in hindi?)

    अल्फा सेंचुरी तारों की वो प्रणाली है, जो हमारे सूर्य के सबसे नजदीक है। सूर्य से ये 4.37 लाइट ईयर (रौशनी के द्वारा एक साल में तय की जाने वाली दूरी) दूर है।

    इस प्रणाली में तीन तारे हैं – अल्फा सेंचुरी A, अल्फा सेंचुरी बी और एक धुंधला एवं छोटा सा लाल ड्वार्फ तारा अल्फा सेंचुरी C। ये तीनो बाइनरी प्रणाली के अंतर्गत आते हैं। A एवं B एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं एवं C इन दोनों की परिक्रमा करता है।

    रात के समय खुली आँखों से देखने पर A एवं B  तारे एक बिंदु के रूप में नजर आते हैं। A का भार सूर्य के भार  से 1.1 गुना ज्यादा है एवं चमक 1.5 गुना ज्यादा है । उसी प्रकार से B का भार सूर्य से 0.95 कम है और चमक 0.45 कम है । A और B एक दूसरे की परिक्रमा करने में 80 साल लगते हैं।

    अल्फा सेंचुरी C जिसे प्रोक्सिमा सेंचुरी के नाम से भी जाना जाता है, सूर्य के सबसे नजदीक का तारा है भले ही हम उसे खुले आँखों से नहीं देख सकते। अल्फा सेंचुरी AB से यह तारा लगभग 13,000 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट दूर है ।

    अल्फा सेंचुरी प्रणाली का इतिहास (History of Alpha Century System in Hindi)

    अल्फा सेंचुरी तारों की खोज दूसरी सदी में हुई थी। इनके बाइनरी समूह में होने की पुष्टि साल 1689 में जीन रिचर्ड द्वारा की गई थी। बाइनरी प्रणाली के अंतर्गत खोजै जाने वाला यह दूसरा तारा था। साल 1752 में फ्रांस के विज्ञानियों ने उस समय के उपकरणों के द्वारा इन तारों के खगोलीय बिंदु का माप लिया।

    साल 1834 में जॉन हर्षल ने इन तारों का micrometrical अध्ययन किया। उन्नीसवीं सदी से लेकर अब तक फोटोग्राफिक प्लेट के हिसाब से इन तारों का माप लिया जाता रहा है। 1926 में अफ्रीकन विज्ञानी विलियम फिलसन ने इसके परिक्रमा पथ का लगभग सही माप दिया। प्रोक्सिमा सेंचुरी तारे की खोज काफी सालों बाद साल 1915 में फोटोग्राफिक प्लेट के मदद से हुई। इसकी खोज स्कॉटिश विज्ञानी रोबर्ट इन ने की थी।

    अल्फा सेंचुरी AB

    क्योंकि ये एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं, अतः इन्हें अल्फा सेंचुरी AB के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।

    इस तारा प्रणाली का अल्फा सेंचुरी A मुख्य सदस्य है।  इसको Rigel Kentauras के नाम से भी जाना जाता है  यह सूर्य से थोड़ा बड़ा एवं ज्यादा चमकीला है, जैसा कि पहले दर्शाया जा चुका है। इसका वृत्त सूर्य से 22 गुना ज्यादा है। रात के समय दिखने वाले तारों में यह चौथा सबसे चमकीला तारा है।

    अल्फा सेंचुरी B को सेकेंडरी तारा माना जाता है। यह सूर्य के 90 प्रतिशत भार के बराबर है। वृत्त में यह सूर्य से 14 प्रतिशत कम है।

    कुछ महत्वपूर्ण शोध (Research on Alpha Centauri in Hindi)

    अगस्त 2016 के दौरान वैज्ञानिकों ने यह खोज की कि पृथ्वी के आकार का एक ग्रह प्रोक्सिमा सेंचुरी तारा की परिक्रमा कर रहा है, जिसको प्रोक्सिमा b का नाम दिया गया। यह पृथ्वी के भार से 1.3 गुना ज्यादा है और इसकी सतह बहुत ज्यादा पथरीली है।  हालाँकि टेलिस्कोप के माध्यम से इस ग्रह के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता चल पाया है।

    नवम्बर 2017 में प्रोक्सिमा सेंचुरी की ही परिक्रमा करते हुए एक अन्य ग्रह की खोज हुई जिसे Ross 128B का नाम दिया गया। अभी शोधकर्तों की टीम इसके वातावरण, सतह, वायुमंडल आदि के शोध पर लगी हुई है।

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