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भारत की दिव्यांग पर्वतरोही अरुणिमा सिन्हा

भारत की पर्वतरोही अरुणिमा सिन्हा ने साल 2013 में माउंट एवेरेस्ट के शिखर पर चढ़कर विश्व की पहली दिव्यान्द पर्वतरोही महिला बन गयी थी और अब वह अंटार्टिका की छोटी पर चढ़ने वाली विष की पहली दिव्यांग महिला बन गयी हैं।

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने अरुणिमा सिन्हा की हौसलाफजाई करते हुए ट्वीट किया कि “अप्रतिम, सफलता की नई चोटी पर चढ़ने के लिए शुभकामनाएं। वह भाररत का गर्व है, जिन्होंने अपनी दृढ़ता और म्हणत से अपनी विशिष्ट अह्चान बनायीं है। भविष्य के बेहतरीन प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।”

गुरूवार को अरुणिमा सिन्हा ने ट्वीटर के जरिये लोगों को अपनी सफलता के बारे में बताया था। उन्होंने कहा “मैं यह साझा करते हुए बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ कि अन्टार्टिक की छोटी पर चढ़ने वाली विश्व की पहली दिव्यांग  महिला का खिताब भारत के हिस्से में आया है। सभी की दुआओं के लिए शुक्रिया और जय हिन्द।”

अरुणिमा सिन्हा राष्ट्रीय स्तर की वॉली बाल खिलाड़ी थी। साल 2011 में अरुणिमा ने एक ट्रेन में डकैतों का विरोध किया था और डकैतों ने उन्हें चलती ट्रेन से फेंक दिया था, जिसमे उन्होंने अपना एक पैर गँवा दिया था। उन्होंने [अहले कहा था कि वह छह महाद्वीपों की छह चोटियों पर चढ़ना चाहती हैं।

अरुणिमा ने कहा कि “मेरा उद्देश्य छह महाद्वीपों की छह चोटियों पर चढ़ना था। मैं कई बार शरीक में दर्द महसूस करती हूँ। मेरे शारीर में एक रोड और प्लेट लगाई गयी है।” पद्मश्री पुरूस्कार से सम्मानित अरुणिमा ने इससे पूर्व पांच चोटियों, माउंट एवेरेस्ट, माउंट किजिमंजरो, माउंट एब्रुस, माउंट कोस्सिउज्सको और माउंट अकांकागुआ की यात्रा कर चुके हैं।

अरुणिमा ने कहा था कि उनका सपना एक अर्वात्रोही बनने का था और उन्हें यह सपना अस्पताल में पर्वतरोहण के आर्टिकल पढने के दौरान आया था। “मैंने एक पर्वतरोही बनने की ठान ली थी और मेरा परिवार मेरी प्रेरणा बना। शुरुआत में मेरी मां थोड़ा चिंतित थी लेकिन मेरी इच्छा शक्ति को देखकर, वो मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा स्त्रोत बन गयी थी।”

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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